-अटकलों पर लगा विराम अब दालमंडी में नहीं होगा आईपीडीएस का काम

-पावरग्रिड ने कहा शाही नाले की वजह से नहीं हो सकती अंडरग्राउंड केबलिंग

आईपीडीएस योजना के तहत पुरानी काशी क्षेत्र के अलावा भले पूरे बनारस में लटकते तारों का जंजाल खत्म हो जाए, लेकिन शहर का एक हिस्सा ऐसा है जहां बिजली के तार ऊपर ही रहेंगे। जी हां हम बात कर रहे हैं शहर के सबसे सेंसिटिव एरिया कहे जाने वाले दालमंडी क्षेत्र की। आईपीडीएस वर्क करा रही कंपनी पावरग्रिड ने यहां काम करने से फाइनली इनकार कर दिया है। वजह इस एरिया में कहीं भी खोदाई न हो पाना है। अधिकारियों का कहना है कि दालमंडी में शाही नाले की वजह से यहां अंडरग्राउंड केबलिंग नहीं हो सकती। अब यहां दूसरा रास्ता तलाशा जा रहा है।

अटकलों पर लगा विराम

साल 2016 में आईपीडीएस वर्क के तहत गंगा घाट से लगायत 16 स्क्वॉयर किलोमीटर एरिया में लटकते तारों को भूमिगत किया गया है। 432 करोड़ के इस परियोजना में दालमंडी क्षेत्र में भी यह वर्क होना था। लेकिन कभी संकरी गली तो कभी यहां के निवासियों के विरोध तो फिर कभी पॉलिटिकल प्रेशर की वजह से काम बंद करने की बातें सामने आती रही। जिसकी वजह से इस क्षेत्र में आज तक काम शुरू ही नहीं हो सका। लेकिन इस सभी तथ्यों पर विराम लगाते हुए अब कार्यदायी संस्था पावरग्रिड ने कहा है कि यहां सीवर सबसे बड़ी बाधा है। तीन फीट की खोदाई पर ही पानी आ जाता है। इसलिए यहां अंडरग्राउंड केबलिंग होना संभव ही नहीं है। लिहाजा अब इसकी जिम्मेदारी पावर कारपोरेशन को दे दी गई है।

बहुत बड़ा है नाला

अधिकारियों का कहना है कि दालमंडी एरिया में मुगल काल के दौरान बना शाही नाला है। जहां थोड़ी ही खोदाई करने पार सीवर का पानी जमीन पर आ जाता है। ऐसे में अगर यहां आईपीडीएस जंक्शन बॉक्स लगा तो कभी भी करंट उतर सकता है।

पीवीवीएलएल तलाश रहा विकल्प

दालमंडी क्षेत्र में आईपीडीएस वर्क न होने के बाद अब पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम (पीवीवीएलएल) यहां दूसरे तरह से काम करने का विकल्प ढूंढ रहा है। अधिकारियों की मानें वैसे तो यह बहुत ही सेंसिटिव और क्राउडेड एरिया है, जहां कोई भी काम करना बहुत बड़ा चैलेंज है। इसलिए बिजली विभाग यहां नए सिरे से ऐसा काम कराने का प्लान तैयार कर रहा है, जिससे लोगों को किसी तरह की कोई समस्या न आए।

दालमंडी क्षेत्र में आईपीडीएस वर्क नहीं हो सकता, इसलिए अब यहां विकल्प के तौर पर ऐसा प्लान बनाया जा रहा है, जिससे यहां भी तारों का जंजाल खत्म होने के साथ बिजली चोरी बंद हो जाए।

आशीष अस्थाना, एसई, पीवीवीएनएल

यहां कई बार आईपीडीएस वर्क कराने का प्रयास किया गया। लेकिन हर बार विफलता मिली। एरिया में 3 से 4 फीट पर ही नाले का पानी आने लगता है। लिहाजा पावर कारपोरेशन को बता दिया गया कि यहां अंडरग्राउंड केबलिंग नहीं हो सकती।

नवीन श्रीवास्तव, सीजीएम, पावरग्रिड कारपोरेशन

एक नजर

572

करोड़ का है आईपीडीएस परियोजना

432

करोड़ खर्च हो चुका है पुरानी काशी क्षेत्र के वर्क पर

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फेज में होना है काम

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फेज का काम हो चुका है पूरा

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किमी एरिया में होना था दालमंडी में काम

Posted By: Inextlive