-किसी ने खुद बनाई दूरी तो किसी की छुड़वाई गई तंबाकू

-काल्विन हॉस्पिटल में कराई जाती है काउंसिलिंग, दो साल में 200 से अधिक को मिला छुटकारा

PRAYAGRAJ: तंबाकू से ढेरों नुकसान हैं. यह कई बीमारियों की वजह बनता है. यह सब जानते हुए भी लोग तंबाकू का सेवन करने से बाज नहीं आते. इन सबके बीच बहुत से ऐसे भी हैं जिन्होंने सबक लेते हुए तंबाकू के सेवन से दूरी बना ली. उनका यह हौसला आज समाज में दूसरों के लिए इंस्पिरेशन से कम नहीं है. इनकी मिसाल देकर दूसरों की टुबैको हैबिट को छुड़वाया जा रहा है.

केस-1

स्वास्थ्य के प्रति हो गए सचेत

बाल विकास विभाग में वाद सहायक पद पर कार्यरत विक्रम पिछले बीस साल से तंबाकू का सेवन कर रहे थे. हाल ही में स्वास्थ्य के प्रति सतर्कता बरतते हुए उन्होंने तंबाकू का सेवन छोड़ दिया. उनकी इस पहल से परिवार के लोगों ने भी खुशी जाहिर की है.

केस-2

बीमारी और गंदगी का कारण है तंबाकू

समाज कल्याण विभाग में प्रधान सहायक शीतला प्रसाद श्रीवास्तव ने भी अचानक तंबाकू का सेवन त्याग दिया. उनका कहना है कि तंबाकू से चारों ओर गंदगी फैलती है बीमारियां भी होती हैं. दूसरों को बीमार देखकर तंबाकू छोड़ने में ही भलाई समझी है.

केस-3

भाई की बीमारी से खुली आंखें

स्वास्थ्य विभाग के आपदा प्रबंधन सेल में कार्यरत सतीश कुमार के भाई को कुछ माह पहले मुख का कैंसर हो गया. वह तंबाकू का सेवन करते थे. उनकी बीमारी को देखकर स्वयं सतीश ने तंबाकू छोड़ने का फैसला कर लिया. अब वह भाई के इलाज में ध्यान लगा रहे हैं. वह कहते हैं कि लोगों को बिना देरी किए तंबाकू खाना बंद कर देना चाहिए.

केस-4

डॉक्टर की पहल पर छूटी तंबाकू

मझिगवां करछना के रहने वाले सियाराम बिंद फिलहाल स्वास्थ्य विभाग में ड्राइवर हैं. काल्विन हॉस्पिटल के मनोचिकित्सक डॉ. राकेश पासवान की पहल पर सियाराम ने तंबाकू का सेवन बंद कर दिया. इसके लिए उनकी बकायदा काउंसिलिंग की गई. वह कहते हैं कि डॉक्टरों की मदद से उन्हें इस जहर के सेवन से आजादी मिल सकी है.

बॉक्स..

पीके सिंह ने 237 को जिंदगी से मिलाया

काल्विन हॉस्पिटल स्थित तंबाकू छुटकारा निवारण केंद्र के काउंसलर पीके सिंह अब तक 237 लोगों को तंबाकू से निजात दिलवा चुके हैं. दो साल से एनसीडी सेल के अंतर्गत चल रहे इस केंद्र में तंबाकू एडिक्ट खुद आते हैं या उन्हें रिफर किया जाता है. पीके सिंह कहते हैं कि चीफ फार्मासिस्ट विनोद श्रीवास्तव, ड्राइवर वारसी, कीडगंज के पप्पू साहू, गोलपार्क के निमित टंडन जैसे कई लोग आज तंबाकू के नाम से दूर भागते हैं. इन सभी को बिहेवियर चेंज सब्जेक्ट के तहत तंबाकू छुड़वाने की ट्रेनिंग दी गई. वह कहते हैं एक बार हिम्मत जुटा लेने के बाद कोई भी नशा छोड़ा जा सकता है. इसके लिए साइकोथेरेपी भी यूज होती है.

इतने प्रकार से होता है तंबाकू का सेवन

सिगरेट

सामान्य और सबसे अधिक हानिकारक होता है.

बीड़ी

आमतौर पर भारत में उपयोग किए जाने वाला सबसे सामान्य प्रकार है.

सिगार

हुक्का

सीसा

तंबाकू चबाना.

क्रेटेक्स (लौंग सिगरेट).

सुंघनी/नसवार.

ई-सिगरेट.

तंबाकू से होने वाले नुकसान

-हृदय रोग

-श्वसन रोग

-मुंह में छाले और कैंसर

-गले और फेफड़े का कैंसर

-गुर्दा, लीवर और दांत रोग

-डायबिटीज और आंत में सूजन

-नपुंसकता

फैक्ट फाइल

28.6 फीसदी व्यस्क आबादी तंबाकू की लत से ग्रसित है भारत में.

38.6 प्रतिशत था यह 2009-10 के सर्वे में.

18 फीसदी युवा इसमें धुआं रहित तंबाकू का सेवन करते हैं.

05 में से एक की मौत तंबाकू के कारण होती है दुनिया में.

तंबाकू छोड़ने के फायदे

-ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है.

-ऑक्सीजन दर भी स्थिर रहती है.

-हार्ट अटैक और दिल की बीमारियों का खतरा कम.

-तंत्रिका तंत्र री-डेवलप होता है

-लांग वॉक पर आसानी से जा सकते हैं.

-फेफड़ों में इंफेक्शन का खतरा कम.

ऐसे छोड़ें तंबाकू का सेवन

-सिगरेट से होन वाले नुकसान के बारे में बताया जाए.

-किसी करीबी का सहयोग लेकर अपनी इच्छाशक्ति बढ़ाएं.

-जिन्होंने लत को छोड़ा है उनसे बातचीत करें.

-अपने डॉक्टर से खुलकर सभी तरीकों के बारे में बात करें.

-पसंदीदा कामों में खुद को व्यस्त रखें. नियमित व्यायाम करें, प्रकृति के साथ समय बिताएं.

-भोजन में फल और हरी सब्जियों को बढ़ा दें.

Posted By: Vijay Pandey