कहानियां लिफ्ट करना तो कोई बॉलीवुड से सीखे हॉलीवुड में 1987 की लैंडमार्क फिल्‍म 'वाल स्ट्रीट' का दलाल स्ट्रीट वर्जन आज सिनेमाघरों में आया है। कैसी है बाजार आइये आपको बताते हैं।

कहानी :
ऊपर बता दी है, बस इतना फर्क है कि इसमें बहुत सारे गाने भी हैं।

रेटिंग : 2-1/2 STAR


समीक्षा :
मुझे शेयर मार्केट की ज्यादा जानकारी नहीं है, जितना भी पता है वो इनफेमस हर्षद मेहता घोटाले से ही पता है और आपको ज्यादा जानने की जरूरत भी नहीं है। मुझ जैसे शेयर मार्केट के नासमझ को भी फिल्म पूरी समझ मे आ गई, सीधे बोलें तो कोई नई बात नहीं बताई है। फिल्म की कहानी बड़ी प्रेडिक्टेबल है और आपको कहानी के लेवल पे कोई तिलिस्म देखने को नहीं मिलता। करैक्टर काफी ग्रे हैं पर फिर भी काफी स्टीरियोटाइप्ड हैं। फिल्म में चकाचौंध तो भर भर कर है पर फिल्म से सोल मिसिंग है। एक और बड़ी समस्या हैं फिल्म में गाने, जहां जहां आपको फिल्म में इंटरेस्ट आता है वहीं वहीं कोई एक गाना आकर फिल्म की फील का सत्यानाश कर जाता है। इसी कारण से फिल्म लंबी लगने लगती है। ऐसा नहीं है कि पूरी फिल्म खराब है, कुछ सीन काफी बढ़िया है, पर अफसोस वो बहुत कम है।

अदाकारी :
यही वो डिपार्टमेंट है जिसकी तारीफ खुले दिल से की जा सकती है। सैफ ने ये खलनायक चरित्र जबरदस्त निभाया है। लोमड़ी की तरह उनकी चाल ढाल बिल्कुल उतनी ही इम्पैक्टफुल है जितनी ओमकारा में लंगड़ा त्यागी के किरदार में थी। राधिका आप्टे और चित्रांगदा सिंह भी बढ़िया काम करती है और अपने अपने किरदार में परफेक्ट फिट होती हैं। रोहन मेहरा जो मरहूम विनोद मेहरा जी के बेटे है वो कोशिश बहुत करते हैं पर अभी उनको थोड़ा और समय देना पड़ेगा एक्टिंग को बेहतर बनाने के लिए।

 

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— INOX Leisure Ltd. (@INOXMovies) September 25, 2018वर्डिक्ट :
थोड़ी बेहतर रायटिंग और कम गाने अगर होते तो बाजार एक बेहतर फिल्म होती पर अपनी प्रेडिक्टेबल स्क्रिप्ट के कारण एक साधारण फिल्म बन के रह जाती है। फिर भी इस फिल्म को सैफ के परफॉर्मेन्स के लिए एक बार जरूर देखा जा सकता है।

Posted By: Chandramohan Mishra