गांधीगीरी करके भी 'खलनायक' साबित हुआ 'रॉकी'
संजय दत्त ने अपने करियर में कई शानदार और हिट फिल्में की हैं. पर जिन फिल्मों ने उनको अलग आइडेंटिटी और सक्सेस दी वो हैं 'खलनायक', 'वास्तव' और 'मुन्नाभाई'. ये तीनों फिल्में महज उनके करियर के ग्राफ को ही नहीं बतातीं बल्कि उनकी लाइफ की कहानी को भी सुनाती हैं. हालात का शिकार 'बल्लू्' गलत रास्ते पर चलता है और एक दिन सच में क्राइम को अपनी जीने का तरीका बना लेता है मगर जब हालात उसे सबक सिखाते हैं तो वह ना सिर्फ खुद को बदलता है बल्कि 'मुन्नाभाई' बन कर गांधीगीरी शुरू कर देता है. बस यहीं फर्क समझ आता है कि रियल लाइफ और रील लाइफ में काफी अंतर होता है वहां रीटेक के चांस नहीं होते और देर से ही सही गलतियों की सजा भुगतनी पड़ती है.
'रॉकी' से अपना करियर शुरू करके संजय दत्त ने सक्सेज की ऊंची सीढ़ी तक का सफर बड़ी कामयाबी के साथ किया. मां नरगिस और फादर सुनील दत्त ने उन्हें सही गलत का फर्क बहुत अच्छी तरह से सिखाया. मगर मां की बेवक्त डेथ ने संजू को तोड़ दिया उस टाइम उनके फादर सुनील दत्त भी उन पर शायद पूरा ध्यान नहीं दे सके क्योंकि वो अपनी लाइफ पार्टनर नरगिस से बेहद प्यार करते थे और उनकी डेथ का झटका उनके लिए बहुत बड़ा था. जब तक वो संभलते संजय अकेलेपन के शिकार हो कर ड्रग्स की अंधेरी दुनिया में खो गए थे. उसी दौरान उनके कुछ गलत किस्म के फ्रेंडस भी बने.
सिर्फ रेफरेंस के लिए या एक अनयूजवल फैक्ट के तौर पर यहां एक बात का जिक्र करते चलें जो संजय दत्त की वाइफ मान्यता दतत से रिलेटेड है. मान्यता दत्त और संजय दोनों की ये थर्ड मैरिज है पर मान्यता के दोनों एक्स हसबेंड किसी ना किसी क्रिमिनल केस में पहले ही जेल में बंद हैं और अब विद इन ए मंथ संजय को भी सरेंडर करके जेल जाना है. सवाल ये कि क्या मान्यता के हसबेंड होने के कारण जेल जाना संजय की डेस्टिनी बन गया था.