- पर्यावरण संरक्षण के हिमायती संत थे जल समाधि के विरोधी

- जगन्नाथ धाम में लगा श्रद्धांजलि देने वालों का तांता

HARIDWAR: वैष्णव रामानंद संप्रदाय के आचार्य और रामजन्म भूमि मंदिर आंदोलन से जुड़े संत श्रीमज्जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य के ब्रह्मलीन होने की सूचना से संत समाज शोक में डूब गया। हरिद्वार के भीमगोड़ा स्थित उनके आश्रम जगन्नाथ धाम में श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा हुआ है। अग्रणी संतों में शामिल स्वामी हंसदेवाचार्य के शिष्य लोकेश दास ने बताया कि ब्रह्मलीन संत का पार्थिव शरीर देर रात हरिद्वार पहुंचेगा। स्वामी हंसदेवाचार्य पर्यावरण संरक्षण के हिमायती थे। आमतौर पर ब्रह्मलीन संतों को जल समाधि दी जाती है, लेकिन वह इसके विरोधी थे, इसीलिए शनिवार शाम चार बजे उनका दाह संस्कार किया जाएगा। शुक्रवार को उन्हें श्रद्धांजलि देने जगन्नाथधाम पहुंचे श्रीजयराम आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि स्वामी हंसदेवाचार्य संत समाज के प्रेरणास्रोत और हिंदू हृदय सम्राट थे, उनका यूं आकस्मिक चले जाना संत समाज की अपूर्णीय क्षति तो है ही, राष्ट्र और समाज की भी क्षति है। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतानंद ने कहा कि स्वामी हंसदेवाचार्य की गिनती उच्चकोटि के विद्वानों में होती थी और उन्होंने हमेशा राष्ट्र, धर्म और सांप्रदायिक सौहार्द के लिए काम किया। उन्होंने संत समाज को एकजुटता का संदेश दिया।

Posted By: Inextlive