Gorakhpur: 'संदेसे आते हैं हमें तड़पाते हैं...' सरहद पर जवानों को अपनों की चिट्ठी का इंतजार किस कदर रहता है बॉर्डर मूवी के इस सांग में इसका दर्द सभी के सामने आ चुका है. यह संदेशा तो उन तक पहुंचता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसी जगह पर संदेश किस तरह से पहुंच पाता होगा? क्योंकि वहां तो हर पल गोली और बम के धमाकों का डर लगा रहता है. यही वजह है चाहकर भी वहां पर पोस्ट ऑफिस या पीसीओ नहीं बनाए जा सकते. हम बताते हैं कि सरहद पर देश की रक्षा कर रहे उन नौजवानों तक संदेसा पहुंचने का माध्यम है टेलीग्राम. जी हां वहीं टेलीग्राम जिसे घाटे की वजह से 15 जुलाई को हमेशा के लिए बंद कर दिया जाएगा.

कैसे पहुंचेंगे सदेंशे
टेलीग्राम के बंद होने की न्यूज ने सबसे ज्यादा अगर किसी को झटका दिया है तो वह हैं बॉर्डर पर रहने वाले जवानों को। उन्हें अगर छुट्टी जानी हो या उसे एक्सटेंड कराना हो। किसी की तबीयत खराब होने की इंफॉर्मेशन देनी हो, सिवाए टेलीग्राम के कोई दूसरा मीडियम मान्य नहीं है, या यूं कहें कि सरकारी तंत्र टेलीग्राम के सिवाए फैक्स या फिर कॉल को ऑथेंटिक नहीं मानता है।
डूबा टेलीग्राम का जहाज
हाईटेक एरा में अगर कोई हाईटेक न हो तो उसके पिछड़ने के चांसेज बढ़ जाते हैं। इन दिनों जमाने के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाले टेलीग्राम के ऊपर संकट के बादल घिर चुके हैं। लोग इसे अभी से इतिहास मान चुके हैं, जबकि यह भी ईमेल और मैसेज की तरह सुपरफास्ट हो चुका है। अब पलक झपकते ही टेलीग्राम एक सिटी से देश के कोने-कोने में पहुंचाया जा रहा है। बावजूद इसके इसको परमनेंटली बंद करने का डिसीजन ले लिया गया है।
4 साल पहले हाईटेक हुआ
सिटी में पहले टेलीग्राम भेजने के लिए लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती थी। जगह के अकॉर्डिंग इसका वक्त भी तय नहीं था कि कितने वक्त में यह अपने डेस्टिनेशन तक पहुंच जाएगा। हालांकि लोकल सिटी में यह सेम डे ही पहुंच जाता था। लोगों की प्रॉब्लम को देखते हुए पांच साल पहले डब्लूटीएमएस (वेब बेस्ड टेलीग्राफ मेसेजिंग सिस्टम) सिस्टम स्टार्ट हुआ, वहीं सिटी में यह पिछले चार सालों से एक्टिव है, जिससे टेलीग्राम ऑनलाइन बेस्ड हो गया।
एफआईआर के लिए कारगर
टेलीग्राम का सबसे ज्यादा यूज ऐसे फरियादी करते हैं जिनकी सुनवाई कहींनहीं होती है। एफआईआर के मामले में यह सबसे ज्यादा कारगर है। बीएसएनएल के सीनियर टीओए ओपी चौधरी ने बताया कि अगर पुलिस वाले एफआईआर दर्ज नहीं करते हैं या आनाकानी करते हैं तो लोग आला अफसरों के पास टेलीग्राम कर फर्स्ट रिपोर्ट दर्ज कराते हैं, इसके साथ ही वह इस टेलीग्राम की नकल अपने पास बतौर प्रूफ रख लेते हैं, जिससे कि फ्यूचर में उन्हें कोई प्रॉब्लम न हो। टेलीग्राम सिस्टम बंद हो जाने के बाद ऐसे लोगों को काफी दिक्कत होगी। उन्हें एफआईआर दर्ज कराने के लिए नाकों चने चबाने पड़ेंगे।
कोर्ट में बतौर सबूत मान्य
किसी ने मार दिया हो, या फिर पुलिस उठाकर ले गई हो, इस बात को अगर कोर्ट में प्रूफ करना है तो इसके लिए सिवाए टेलीग्राम के कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है। इसके साथ ही अगर आपकी मारपीट की सूचना दी है और वह दर्ज नहीं हुई है तो इसे भी प्रूफ करने के लिए टेलीग्राम की कॉपी ही मान्य है। यानि अगर आपने टेलीग्राम नहीं किया है तो आपको कोई बचा नहीं सकता। यही वजह है कि अगर पुलिस किसी को उठा ले जाती है तो उसके घरवाले सबसे पहले टेलीग्राम ही करते हैं कि उसे कोई नुकसान न हो इसलिए वह बतौर प्रूफ टेलीग्राम की कॉपी ले लेते हैं।
28 रुपए है मिनिमम चार्ज
ओपी चौधरी ने बताया कि टेलीग्राम का मिनिमम चार्ज 28 रुपए फिक्स किया गया है। इसकी वर्ड लिमिट 30 है। इससे ऊपर जाने पर प्रति वर्ड 1 रुपए चार्ज किया जाता है। उन्होंने बताया कि बीएसएनएल ऑफिस में डेली 5-10 टेलीग्राम बुक होते हैं वहीं 15-30 टेलीग्राम बाहर से रिसीव किए जाते हैं। इनकी डिलेवरी सेम डे ही हो जाती है। इसमें सबसे ज्यादा टेलीग्राम एफआईआर के बाद कंपनी में न्यू ज्वाइनिंग के टेलीग्राम करने वालों की रहती है।
यूं होता था टेलीग्राम
स्टार्टिंग में टेलीग्राम एक डिवाइस के थ्रू भेजा जाता था, जिसे मॉर्स कहते हैं। यह कॉम्पैक्ट साइज का डिवाइस था। इसमें सिंगल वे फैसिलिटी थी, यानि कि एक स्टेशन से इसे भेजा जाता था तो दूसरे स्टेशन से रिसीव किया जाता था। इस मशीन से मैसेज को कोड में कन्वर्ट कर भेज दिया जाता था, दूसरे स्टेशन पर बैठा रिसीवर उसे डिकोड कर डेस्टिनेशन तक पहुंचा देता था। बाद में जब टेलीग्राम का टै्रफिक बढ़ा तो बोथ साइड सेंडिंग और रिसीविंग के लिए टेलीप्रिंटर का यूज शुरू हो गया।
8 किमी रेडियस के बाद बाई पोस्ट
टेलीग्राम डिलेवरी की बात की जाए तो स्टेशन पर प्वाइंट टू प्वाइंट सर्किट की फैसिलिटी हुआ करती थी। इसलिए जिस डेस्टिनेशन पर टेलीग्राम भेजना हो उसके आसपास के स्टेशन पर टेलीग्राम भेजा जाता था। इसमें रिसीव होने के बाद 8 किमी रेडियस में आने वाले एरिया में टेलीग्राफ मैसेंजर खुद जाकर टेलीग्राम देते हैं, वहीं इससे ज्यादा दूरी के लिए बाई पोस्ट टेलीग्राम भेजा जाता है। पहले सिंगल वे सर्किट था, जिसकी वजह से निर्धारित स्टेशन पर भेज दिया जाता है। लेकिन वेब बेस्ड टेलीग्राम होने के बाद इसमें 6 डिजिट का कोड पड़ने लगा, जिससे यह ऑटोमैटिक अपने डेस्टिनेशन पर पहुंच जाता है। जहां सर्किट नहीं होता था वहां पर अगले स्टेशन पर पहुंच जाता था।
2000 से बीएसएनएल के पास है सर्विस
टेलीग्राम की सर्विस 2000 से बीएसएनएल के पास है। इससे पहले यह डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम के पास था। स्टार्टिंग में बात की जाए तो यह सर्विस पोस्ट एंड टेलीग्राम डिपार्टमेंट के पास था जो 1979-80 में अलग हो गया। इसमें पोस्टल डिपार्टमेंट अलग और टेलीकॉम डिपार्टमेंट अलग हो गया। इसमें बाकी जिम्मेदारियां तो पोस्टल डिपार्टमेंट के पास रह गया लेकिन टेलीग्राम की फैसिलिटी टेलीकॉम डिपार्टमेंट के पास चली गई।
History of Telegram
On May 24, 1844, Samuel F। B। Morse dispatched the first telegraphic message over an experimental line from Washington, D.C। to Baltimore। The message, taken from the Bible, Numbers 23:23 and recorded on a paper tape, had been suggested to Morse by Annie Ellworth, the young daughter of a friend। Soon after, Morse conceived of a communications system employing the electro-magnet and a series of relays through a network of telegraph stations। In order to transmit messages via this system, he invented Morse Code, an alphabet of electronic dashes and dots used to transmit telegraph messages।
History of Indian telecom
The history of Indian telecom can be started with the introduction of telegraph। The Indian postal and telecom sectors are one of the worlds oldest। In 1850, the first experimental electric telegraph line was started between Calcutta and Diamond Harbour। In 1851, it was opened for the use of the British East India Company। The Posts and Telegraphs department occupied a small corner of the Public Works Department at that time। A separate department was opened in 1854 when telegraph facilities were opened to the public। In 1890, two telephone companies namely The Oriental Telephone Company Ltd। and The Anglo-Indian Telephone Company Ltd। approached the Government of India to establish telephone exchanges in India।

 

report by : syedsaim.rauf@inext.co.in

Posted By: Inextlive