BAREILLY:

सैटेलाइट बस अड्डा से डेली हजारों की संख्या में पैसेंजर्स यात्रा करते हैं, लेकिन पैसेंजर्स की सिक्योरिटी को लेकर बस अड्डे पर इंतजाम भगवान भरोसे है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने ट्यूजडे को शहर के सैटेलाइट बस अड्डे के सुरक्षा को लेकर हकीकत जानी तो सुरक्षा के साधनों की पोल खुल गई। सिक्योरिटी के नाम पर सैटेलाइट बस अड्डा पर सीसीटीवी कैमरे तो लगे हैं, लेकिन इसके अलावा कोई सुरक्षा के इंतजाम नहीं दिखाई दिया। सैटेलाइट बस अड्डे पर किसी भी आने जाने वाले पैसेंजर की कोई चेकिंग नहीं की जाती है। वहीं कुछ बाहरी लोग बस अड्डे पर शेड में बनी बेंच पर बैठकर नेट चलाने में भी बिजी दिखे। सैटेलाइट बस अड्डे के सामने बनी चौकी पुलिस ने भी किसी अज्ञात या संदिग्ध से पूछताछ करने की जरूरत नहीं समझी।

शेड की बेंच पर रख्ा रहा बैग

सैटेलाइट बस अड्डा पर शाम 4 बजे इंक्वायरी काउंटर के पास सिक्योरिटी की असलियत जांचने के लिए रिपोर्टर ने अपना बैग छोड़ दिया। बैग करीब 15 मिनट तक वहीं पर रखा रहा वहां पास वाली बेंच पर अन्य पैसेंजर्स भी बैठे रहे, लेकिन उन्होंने भी किसी जिम्मेदार को बताने की जरूरत नहीं समझी। वहीं इंक्वायरी ऑफिस के ठीक सामने लावारिस हालत में बैग होने के बाद भी किसी जिम्मेदार ने पूछताछ करने की जरूरत नहीं समझी और अनदेखा कर दिया।

एसी बस में भी नहीं होती पूछताछ

बस में बैठने वाले पैसेंजर या फिर बस में खाली घूमकर कोई बैग और संदिग्ध वस्तु रखने पर कोई पूछताछ नहीं की जाती है। दिल्ली से आने वाली एक एसी बस शाम करीब साढे चार बजे सैटेलाइट पर पहुंची। तो रिपोर्टर ने बस में अंदर जाकर अपना बैग रख दिया, और करीब 10 मिनट तक बाहर टहलता रहा। इस दौरान बस ड्राइवर और कंडक्टर ने नहीं पूछा कि यह लावारिस बैग किसका है। इसके बाद उत्तराखंड की एक बस में रिपोर्टर ने अपना बैग रखकर सिक्योरिटी चेक की तो वहां भी ड्राइवर और कंडक्टर के साथ किसी ने पूछने की जरूरत नहीं समझी।

बस अड्डा बना टाइम पास का जरिया

बस अड्डा पर वाई-फाई सुविधा शुरू होने के बाद यहां दिनभर लोग इंटरनेट की सुविधा का लाभ लेने के लिए आते हैं। बस अड्डे की बेंचेंज पर बैठकर इंटरनेट का प्रयोग करते हुए अपने मोबाइल में बिजी हो जाते हैं। जिससे जरूरतमंद पैसेंजर को बस लेट होने से बस अड्डा पर बैठने के लिए बेंच तक नहीं मिली पाती है। मजबूरन पैसेंजर को जमीन पर बैठकर टाइम काटना पड़ता है

Posted By: Inextlive