Jamshedpur : सैटरडे को सिटी के स्कूल्स में सुबह 7 बजे से एडमिशन की लिस्ट डिक्लेयर होनी शुरू हो गई थी. डिफरेंट स्कूल्स में 4 बजे तक लिस्ट डिक्लेयर करने का सिलसिला जारी रहा.

स्कूल-दर-स्कूल भटकते नजर आए

बात जब बच्चों के एडमिशन की हो तो पेरेंट्स को चैन कहां मिलने वाला। लॉटरी द्वारा बच्चों का नाम फाइनल किए जाने की वजह से पेरेंट्स किसी एक स्कूल पर डिपेंड नहीं रहना चाहते थे, सो काफी संख्या में पेरेंट्स ने कई स्कूल्स में फॉर्म भर रखा था। जब लिस्ट निकली तो वे स्कूल-दर-स्कूल भटकते नजर आए। पेरेंट्स का कहना था कि वे दिन भर भूखे प्यासे लिस्ट देखने के लिए परेशान रहे।

एक बार और ठीक से देख लो
अच्छे स्कूल्स में बच्चों का एडमिशन पेरेंट्स के लिए कितना इंपॉर्टेंट है और वे इसको लेकर कितने चिंतित रहे होंगे इसका नजारा सैटरडे को दिखा। केएसएमएस में दोपहर एक बजे लिस्ट डिक्लेयर की गई। वहां पहुंचे पेरेंट्स और बच्चों के गार्जियंस अपने बच्चों का नाम लिस्ट में ढूंढते नजर आए। मानगो के रहने वाले विनय कुमार अपनी बेटी का नाम लिस्ट देखते ही तुरंत अपने फैमिली मेंबर्स को फोन लगाकर इसकी खुशखबरी देने में लग गए। उन्हें फोन पर फिर से एक बार अच्छी तरह से लिस्ट देखने को कहा जा रहा था ताकि बेटी के नाम को लेकर वे एश्योर हो जाएं। विनय कुमार तो खुश दिखे लेकिन उन्हीं के बगल में खड़े डॉ मो। फिरोज इब्राहिमी इस बात से नाराज थे कि स्कूल में सिबलिंग का ख्याल नहीं रखा गया क्योंकि केएसएमएस में क्लास थर्ड में उनके बेटे के पढऩे के बावजूद उनके छोटे बेटे का नाम लिस्ट में नहीं था।

और हो गया एडमिशन
वैसे तो सैटरडे को स्कूल के आस-पास निराश हुए पेरेंट्स की संख्या ज्यादा दिखी पर कई पेरेंट्स की खुशी इसलिए कई गुना बढ़ गई क्योंकि उन्होंने एक ही स्कूल में एडमिशन के लिए अप्लाई किया था और उनके बच्चे का नाम लिस्ट में शामिल हो गया। गुरचरण सिंह और परमजीत कौर उन्हीं लकी पेरेंट्स में शामिल थे। उन्होंने सिर्फ केएसएमएस में ही अपनी बेटी के एडमिशन के लिए अप्लाई किया था और उनकी बच्ची का नाम लिस्ट में दिख गया था। आदित्यपुर की रहने वाली रागिनी मिश्रा डीबीएमएस स्कूल में बेटे का नाम लिस्ट में देखकर इतनी खुश हुईं कि वे वहीं से फोन पर इसकी जानकारी अपने सभी रिलेटिव्स को दे दी।

मंदिर और गुरुद्वारा होकर आए थे पर लिस्ट देखने
केएसएमएस में बेटी का नाम लिस्ट में देखकर गुरचरण सिंह ने कहा कि वे गुरुद्वारा में माथा टेक कर आए थे। इसलिए उनकी बच्ची का एडमिशन लिस्ट में है। ऐसे भी पेरेंट्स डिफरेंट स्कूल्स में दिखे जो मंदिर से पूजा कर स्कूल आए थे ताकि उनके बच्चे का नाम एडमिशन लिस्ट में दिख जाए। इनमें से कई पेरेंट्स ऐसे भी दिखे जो एडमिशन लिस्ट देखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे। पति पत्नी से और कोई फ्रेंड्स से लिस्ट देखकर बताने का रिक्वेस्ट कर रहा था।

लॉटरी ने खाया पूरा दिन
सैटरडे को यूं तो हॉलीडे नहीं था, फिर भी कई गवर्नमेंट और नन गवर्नमेंट ऑफिसेज में सन्नाटा पसरा रहा। दरअसल हर कोई अपने लाडले के एडमिशन के लिए बेकरार था। लॉटरी का रिजल्ट देखने के लिए कुछ लोगों ने तो ऑफिस से छुट्टी ले ली थी। परसूडीह से अपने बेटे के एडमीशन को लेकर बिष्टुपुर आए देवेंद्र विश्वकर्मा ने बताया कि उन्होंने कई दिनों पहले से ही इसके लिए छुट्टी ली थी.  रें भाई बेटे के फ्यूचर की जो बात है।

नाप ली पूरी city
कई लोग तो ऐसे भी थे जिन्होंने कई सारे स्कूल्स में अप्लाई कर रखा था। सैटरडे को अधिकांश स्कूल्स में रिजल्ट एनाउंसमेंट के चलते कई पेरेंट्स को तो पूरे सिटी घूमना पड़ा। हरहरगुट्टू से आए मो उबैदुर्र ने बताया कि उन्होंने 13 स्कूल्स में अप्लाई किया था और सैटरडे को उन्हें 11 स्कूल्स घूमने पड़े। इस दौरान उन्होंने टेल्को से लेकर मानगो, साकची, बिष्टुपुर के कोने-कोने में दौड़ लगाई। उन्होंने बताया कि अब बेटे का एडमीशन कराना भी किसी बड़े काम से कम नहीं। आज ही नहीं पिछले कई दिनों से लगातार भागदौड़ करनी पड़ रही है।


और फूट पड़ा गुस्सा
कुछ पेरेंट्स ऐसे भी थे जिनको डर था कि लॉटरी के चलते कहीं बच्चे का एडमिशन न हो और साल बर्बाद हो जाए। इस डर के कारण उन्होंने कई स्कूल्स में अप्लाई कर रखा था। लेकिन इतनी मेहनत के बाद भी कई लोगों के हाथ निराशा लगी। नर्भेराम हंसराज स्कूल में कुछ ऐसा ही मंजर नजर आया। कदमा से लिस्ट में अपनी बेटी का नाम खोजने आए विभूति शर्मा को जब लिस्ट में अपनी बेटी का नाम नहीं मिला तो वे आग बबूला हो गए और लॉटरी सिस्टम पर अपना गुस्सा निकालते हुए गालियां देने लगे। लोगों सांत्वना देते हुए उन्हें शांत कराया। विभूति शर्मा ने बताया कि उन्होंने सात स्कूल्स में फॉर्म लिया था, लेकिन कहीं नाम नहीं आया। ऐसी स्थिति केवल विभूति शर्मा की नहीं थी बल्कि कई पेरेंट्स के साथ भी ऐसी ही बात थी।

इनका भाग्य पर विश्वास था
कुछ लोग ऐसे भी थे जिन पर सैटरडे को शनि भगवान की मेहरबानी जमकर बरसी। साकची के दयानंद पŽिलक स्कूल में लिस्ट देखने आए एम हरि कृष्णन ने बताया कि उन्होंने केवल डीपीएस स्कूल में ही फॉर्म डाल रखा था और यहां पर उनके बेटे का नाम लिस्ट में आ गया। उन्होंने कहा, ‘मुझे तो विश्वास ही नहीं था कि लिस्ट में नाम आएगा। भगवान की कृपा मुझ पर रही.’


तोड़ डाला list board
अपने बच्चे का नाम खोजने की परेशानी और बेचैनी तो लोगों पर इस कदर सवार थी कि नर्भेराम हंसराज स्कूल में लोगों ने लिस्ट बोर्ड को तोड़ डाला। ऐसे में लोगों को और भी प्रॉŽलम फेस करनी पड़ी। चौंकाने वाली बात तो ये है कि इस दौरान पास ही में मौजूद स्कूल स्टाफ ने बोर्ड को वापस सही ढ़ंग से लगाना मुनासिब नहीं समझा। नर्भेराम हंसराज स्कूल के एक स्टाफ ने बताया कि लोगों की भीड़ में जाकर कौन उनके गुस्से का शिकार बने।

नदारद रहा school management
रिजल्ट्स के लिए जहां एक ओर पेरेंट्स घंटों परेशान रहे, वहीं दूसरी तरफ स्कूल मैनेजमेंट हर जगह नदारद रहा। और तो और रिजल्ट्स को लेकर अगर कोई घटना हो जाए इस बात को लेकर भी किसी भी स्कूल में कोई व्यवस्था नहीं दिखी। एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से कहीं भी पुलिस के जवान भी नजर नहीं आए।

नाम तो है नहीं, बेबी को सोने दो
स्कूल्स में लिस्ट देखने के लिए काफी संख्या में पेरेंट्स अपने बच्चों को भी साथ लेकर आए थे। जिनके बच्चे का नाम लिस्ट में था वे तो वहीं उसे प्यार करने में लग गए। कुछ पेरेंट्स के बच्चे गोद में सो रहे दिखे। ऐसे में उनका नाम लिस्ट में नहीं दिखने पर उस बच्चे को सोने देने की बात करते नजर आए पेरेंट्स।

बुक्स और यूनिफॉर्म का खेल एडमिशन के साथ ही शुरू
सैटरडे को सिटी के डिफरेंट स्कूल्स में न सिर्फ एडमिशन की लिस्ट डिक्लेयर हुई बल्कि इसके साथ ही पेरेंट्स को यह भी बताया गया कि उन्हें बुक्स कहां से लेने हैं और उस स्कूल के लिए यूनिफॉर्म कहां मिलेगा। कई स्कूल्स में बुक्स स्कूल कैंपस से ही लेने को कहा गया है जबकि यूनिफॉर्म के लिए कहीं दो तो कहीं चार शॉप्स के नाम लिख दिए गए हैं ताकि पेरेंट्स वहीं से यूनिफॉर्म लें। हर बार की तरह इस बार भी सभी प्राइवेट स्कूल्स में बुक्स और यूनिफॉर्म का खेल शुरू हो गया है। लास्ट इयर कुछ स्कूल्स में बुक्स खरीदते समय पेरेंट्स को पुराने बुक्स पर नया प्राइस स्टीकर लगा मिला था जिससे काफी हंगामा भी हुआ था।

प्रिंसिपल के घर फूटा पेरेंट्स का गुस्सा
सैटरडे को लिस्ट में नाम न आने से बौखलाए कई पेरेंट्स ने लिटिल फ्लावर स्कूल की प्रिंसिपल सिस्टर हिल्डा के टेल्को स्थित रेजिडेंस पर धावा बोल दिया। कई पेरेंट्स ने प्रिंसिपल के घर पहुंच कर पहले उनके साथ काफी कहा-सुनी की और बाद में तोड़-फोड़ पर आ गए। प्रिंसिपल ने बताया कि कुछ लोगों ने उनके घर के गमले तोड़े तथा उनके साथ बदतमीजी की।

मैंने तो केवल एक ही स्कूल में फॉर्म डाल रखा था। हालांकि मुझे विश्वास नहीं था कि लिस्ट में नाम आ जाएगा। भगवान की कृपा रही मुझ पर।
-एम हरिकृष्णन, कदमा
समझ में नहीं आ रहा है कि अपना गुस्सा किस पर निकालूं? एडमिशन को तो मजाक बना दिया गया है। डर के मारे मैंने 17 स्कूल्स में फॉर्म डाल रखा था, लेकिन कहीं नाम नहीं आया।
-शशि राणा, परसूडीह
मैंने 5 स्कूल्स में फॉर्म डाल रखा था। चार स्कूल्स में लिस्ट देख चुका हूं लेकिन अभी तक कहीं भी लिस्ट में नाम नहीं आया। डर लग रहा है कि कहीं बच्चे का साल खराब न हो जाए।
-यूके पांडे, बिष्टुपुर
मैंने 13 स्कूल्स में अप्लाई कर रखा था तब जाकर एक स्कूल में नाम आया। अब सोच लिया है कि सेकेंड बच्चे के लिए सिटी के सभी स्कूल में फॉर्म डाल दूंगा। कम से कम पॉसिबिलिटी तो ज्यादा रहेगी।
-सी सोरेन, हरहरगुट्टू
नर्सरी एडमिशन के नाम पर छोटे-छोटे बच्चों के फ्यूचर के साथ खुलेआम जुआ खेला जा रहा है। ऐसे में टैलेंट की तो कोई कद्र ही नहीं रही। जिसका नसीब उसका एडमीशन। ये बिल्कुल गलत है।
-एसके मंडल, हरहरगुट्टू
मैं तो गुरुद्वारा में माथा टेक कर आया था। पूरा विश्वास था कि बेटी का नाम केएसएमएस के एडमिशन लिस्ट में जरूर आएगा। लग रहा है जैसे दुनिया की सबसे बड़ी खुशी मिल गई।
- गुरुचरण सिंह
मैंने लिस्ट देख ली है और बेटी का नाम लिस्ट में देखने के बाद यहां रुकने की जरूरत नहंी है। मैं तो तुरंत घर जाकर यह गुड न्यूज सभी को बताना चाहता हूं।
- विनय कुमार
सिबलिंग की बात तो ये स्कूल वाले बेकार ही करते हैं। मेरा बड़ा बेटा केएसएमएस में पढ़ता है फिर भी छोटे बेटे का नाम यहां के एडमिशन लिस्ट में नहीं है।
- डॉ मो। फिरोज इब्राहिमी

Report by : amit.choudhary@inext.co.in, rajnish.tiwari@inext.co.in

Posted By: Inextlive