पेरेंट्स की शिकायतों पर दिया होता ध्यान तो निजी स्कूलों पर कसती लगाम
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- 80 शिकायतें साल 2018 से अब तक हुई दर्ज, एक पर भी नहीं लिया गया एक्शन -2017 में शिकायत दर्ज करने के लिए बनाया गया था हेल्पलाइन नंबर - समिति के एक्शन न लेने से निजी स्कूलों की मनमानी है जारी बरेली : वर्ष 2018 में शासन ने उत्तर प्रदेश स्वतंत्र स्ववित्त पोषित शुल्क अध्यादेश जारी किया था. इसके अंतर्गत कांवेंट स्कूलों में हो रही मनमानी के खिलाफ पेरेंट्स अपनी कंप्लेन कर सकें, लेकिन शिकायत समिति की हीलाहवाली के चलते निजी स्कूल संचालकों के हौसले बुलंद है और उनकी मनमानी जारी है. पिछले वर्ष दर्ज हुई करीब 80 शिकायतों में से एक भी शिकायत का विभाग निस्तारण नहीं कर सका है. ऐसा हम नहीं बल्कि विभागीय आंकड़े बयां कर रहे हैं. नोटिस जारी कर झाड़ा पल्लावर्ष 2018 में जनवरी माह से अप्रैल तक करीब 80 शिकायतों मे से विभाग ने सिर्फ तीन शिकायतों का संज्ञान लिया. जिन स्कूलों की शिकायत विभाग को मिली, उन्हें महज नोटिस जारी कर पक्ष रखने को कहा गया इसके बाद आगे की क्या कार्रवाई हुई इसका विभागीय अफसरों को भी नहीं पता.
ठंडे बस्ते में शिकायतेंवर्ष 2017 में दिल्ली में आयोजित हुई बोर्ड की बैठक में पेरेंट्स फोरम की ओर से मांग रखी गई कि अगर कोई स्कूल मनमानी फीस व अन्य तरीकों से कमीशन खोरी करता है तो ऐसी शिकायतों के लिए कंट्रोल रूम बनाया जाए. जिसके बाद कंट्रोल रूम बनाकर हेल्पलाइन नंबर शुरू किया गया, लेकिन इस पर आने वाली शिकायतों का भी विभाग की ओर से कोई संज्ञान नहीं लिया जाता है.
वर्जन :: मेरे पास लिखित शिकायत आती हैं जिसका फौरन निस्तारण किया जाता है. हालांकि शिकायत के बाद स्कूल प्रबंधन को भी अपना पक्ष रखने के लिए समय दिया जाता है इस बार कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है. दीपक अग्रवाल, को-ऑर्डिनेटर, सीबीएसई पिछले वर्ष करीब 80 शिकायतें प्राप्त हुई थीं उनकी जांच भी हुई. कई शिकायतों की अभी भी जांच चल रही है. शिकायत पुष्ट होने पर कार्रवाई अवश्य की जाएगी. डॉ. अचल कुमार मिश्रा, डीआईओएस. पेरेंट्स की बात 1. हर साल कांवेंट स्कूलों में फीस बढ़ा दी जाती है कोई मानक ही नहीं है. फीस के बाद अन्य स्कूली चीजें खरीदने में भी भारी रकम चुकानी पड़ती है. शिकायत के बाद भी कोई एक्शन नहीं होता है. शिल्पी, बड़ा बाजार.2. कांवेंट की फीस पहले से ही अधिक होती है ऊपर से स्टेशनरी, बैग और यूनीफार्म भी स्कूल प्रबंधन का जिन दुकानों से करार होता है उनसे खरीदने का दबाव बनाते हैं विभाग में शिकायत करने पर भी इस ओर कोई ध्यान नही देता.
अनूप