RANCHI : सरकार की ओर से 'विशेष बच्चों' को विशेष सुविधा देने का दावा किया जाता है, लेकिन हकीकत कुछ और है। अब देखिए ना। सिटी के कई स्कूलों में 'विशेष बच्चों' की पढ़ाई-लिखाई के लिए माकूल सुविधाएं नहीं मिल रही है। इन स्कूलों में दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के लिए स्पेशल एडुकेटर तक नहीं हैं। इतना ही नहीं, दिव्यांग बच्चों का एडमिशन लेने से भी ये स्कूल बचने की कोशिश करते हैं। जिला प्रशासन की ओर से 61 बिंदुओं को लेकर स्कूलों में की गई जांच के दौरान यह बात सामने आई है। ऐसे में डीसी राय महिमापत रे ने सभी सभी स्कूलों प्रबंधन से कहा है कि जल्द से जल्द इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई कर रिपोर्ट दें।

विभाग ने दिए हैं कई निर्देश

मानव संसाधन विभाग ने आदेश जारी किया है कि सभी स्कूलों में दिव्यांग और विशेष बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था की जानी चाहिए और इसके लिए बाकायदा स्पेशल एडूकेटर की नियुक्ति की जानी चाहिए। जिला प्रशासन ने जब स्कूल प्रबंधन से वहां पढ़ने वाले दिव्यांग बच्चों के संबंध में जानकारी मांगी तो उन्हें वह सूची भी उपलब्ध नहीं करायी गई।

दाखिला नहीं लेते दिव्यांग बच्चों का

राज्य के सरकारी व निजी दोनो तरह के स्कूलों में दिव्यांग बच्चों का दाखिला नहीं लिया जा रहा क्योंकि वहां उन्हें पढ़ाने के लिए स्पेशल टीचर्स उपलब्ध नहीं है। स्कूल प्रबंधन इससे बचने के लिए दिव्यांग बच्चों का दाखिला ही स्कूल में नहीं लेता और स्टूडेंट लिस्ट में यह साफ कर देता है कि वहां दिव्यांग बच्चे नहीं पढ़ते इसलिए स्पेशल एडूकेटर नहीं रखा गया।

बीपीएल की सीटों पर हो रहा 'गेम'

जिला प्रशासन की जांच में यह भी अहम था कि शिक्षा के अधिकार के तहत रिजर्व 25 प्रतिशत सीट में कितने बच्चे फिलहाल पढ़ाई कर रहे हैं और कितने बच्चे स्कूल छोड़कर चले गए हैं। उनके स्कूल छोड़ने का मुख्य कारण क्या रहा। दरअसल अधिकारियों को यह सूचना मिली कि 25 प्रतिशत सीट पर फर्जी दाखिला लिया जाता है और बाद में उसे ट्रांसफर दिखाते हुए सीटों का फेरबदल किया जाता है। इस मामले में भी जांच चल रही है।

बसों में मोबाइल जीपीएस

स्कूल बसों के लिए जारी निर्देश में यह साफ है कि बसों में जीपीएस लगाया जाना है लेकिन छानबीन में खुलासा हुआ है कि प्रबंधन खर्च कटौती करने के चक्कर में बसों के स्थान पर बस के चालक या कंडक्टर के मोबाइल जीपीएस का इस्तेमाल कर रहा है।

Posted By: Inextlive