इंफोग्राफिक्स

- 5500 राजधानी में स्कूली वैन

-1800 रजिस्टर्ड स्कूली वैन

- 500 स्कूली बसें

-175 रजिस्टर्ड स्कूली बसें

- 40000 से अधिक रोजाना बच्चे करते हैं सफर

- नहीं लग रहे हैं स्कूली वाहनों में सीसीटीवी

- अधिकांश स्कूली वाहनों में सुरक्षा के मानक अधूरे

lucknow@inext.co.in

LUCKNOW: वाहनों की फिटनेस खत्म हो चुकी है..सुरक्षा के उपकरण भी स्कूली वाहनों में नहीं हैं..सीसीटीवी आज तक नहीं लगे और स्पीड गवर्नर को रौंद कर स्कूली वाहन राजधानी की सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं. कई वाहन चालकों के पास लाइसेंस भी नहीं हैं. इसी का नतीजा है कि एक के बाद एक लगातार स्कूली वाहन दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं. ऐसा नहीं इसके बारे में राजधानी के प्रवर्तन दस्ते को नहीं पता है, उसे सब कुछ पता है. लेकिन अपनी जेब भरने के लिए प्रवर्तन दस्तों के अधिकारियों ने स्कूली वाहन चालकों को राजधानी की सड़कों पर मनमाने तरीके से फर्राटा भरने की छूट दे रखी है.

कबाड़ हालत में दौड़ रहे है स्कूली वाहन

अप्रैल की शुरुआत के साथ ही राजधानी के विभिन्न मिशनरीज और अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खुल गए. स्कूल खुलने के साथ ही राजधानी में सड़कों पर स्कूली वाहन रोड पर फर्राटा भरते देखे जा सकते हैं. स्कूली बच्चों को ढोने वाले अधिकांश स्कूली वाहन कबाड़ हालत में दौड़ रहे हैं. इन वाहनों में ना तो अग्निशमन यंत्र हैं और ना ही फ‌र्स्ट एड बॉक्स. कई स्कूली वाहन बिना पीले रंग के ही बच्चों को ढो रहे हैं जबकि यह सबसे खतरनाक है. सभी स्कूली वाहनों का रंग पीले रखे जाने के निर्देश हैं जिससे इन वाहनों को देख कर रोड पर चल रहे अन्य वाहन चालक भी सजग हो जाएं. पैरेंट्स, टीचर्स स्कूली वाहनों की फिटनेस और अन्य सभी डिटेल जान सकें इसके लिए वाहनों की फिटनेस वैधता, परमिट, चालक के लाइसेंस की डिटेल चालक के बाई तरफ दर्ज होनी चाहिए. अधिकांश स्कूली वाहनों से यह डिटेल मिट चुकी है. इसके बावजूद इस ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं है.

कोट

अनफिट वाहनों को तो अब तुंरत ही सीज किया जा रहा है. चालान के साथ ही उन्हें रोड पर चलने की छूट नहीं दी जा रही है. स्कूल खुलने के साथ ही स्कूली वाहनों की चेकिंग भी तेज की जाएगी. इसके लिए अभियान भी चलेगा.

एके सिंह

आरटीओ लखनऊ परिक्षेत्र

आरटीओ ऑफिस

फिटनेस के नियम

- स्कूली वैन या बस का शैक्षिक संस्था के नाम से रजिस्टर्ड होना जरूरी

- निजी आपरेटर भी स्कूल मानक के अनुसार रजिस्ट्रेशन कराकर वैन या बस का उपयोग कर सकते हैं

- कांट्रेक्ट कैरिज परमिट होना अनिवार्य है

- इनके वाहनों पर आगे और पीछे मोटे अक्षरों में स्कूल बस लिखा होना अनिवार्य है. इसके साथ ही ऑन स्कूल ड्यूटी भी लिखवाया जाएगा.

- कोई स्कूल बस या वैन किराए की फुटकर सवारी नहीं ढोएगा.

- स्कूली बस की अधिकतम आयु 15 साल होगी.

- हर स्कूल बस स्कूल का नाम और टेलीफोन नंबर लिखा होगा.

- हर स्कूल बस या वैन में बच्चों की सूची, उनक नाम और पता, और उनका ब्लड ग्रुप के साथ ही रूट चार्ट उपलब्ध होना चाहिए.

- स्कूल में चालक के अलावा एक अन्य पुरुष या महिला की तैनाती होगी जो सफर के दौरान उनकी सुरक्षा का ध्यान रखेगी.

- स्कूली गाडि़यों के चालक और सहायक नियमित ड्रेस पहनेंगे, स्कूली गाडि़यों का रंग गोल्डन यलो विथ ब्राउन ब्लू लाइनिंग होगी.

सीट्स की व्यवस्था

1. वाहन में आराम देह सीट के साथ ही आर्मरेस्ट एक साइड में होना चाहिए.

2. सेफ्टी बेल्ट, आर्म रेस्ट और बॉडी के बीच साधारण हुक

3. सीट के नीचे स्कूल बैग और कॉपी किताबें नहीं रखी जाएंगी.

4. हेडरेस्ट स्पंजी और सॉफ्ट होना चाहिए.

5. बस में चढ़ने के लिए फुटबोर्ड के अलावा दरवाजे में कोलैप्सबिल फुट स्टेप की व्यवस्था होनी चाहिए. दरवाजा खुलने पर फुटस्टैप्स बॉडी से बाहर निकल कर जमीन से कम ऊंचाई का पायदान बना दें. दरवाजा बंद होने पर पावदान वापस बस की बॉडी के अंदर चला जाए.

6. गेट खोलने पर स्कूल या स्टॉप का चिन्ह गेट के पास और पीछे दाहिनी ओर प्रदर्शित होना चाहिए, जिससे बस रुकने पर बच्चों को उतारते समय पीछे से आने वाला यातायात बच्चों की सुरक्षा के लिए सचेत हो सके. इसी प्रकार गेट खोलने पर ध्वनि या लाइट के माध्यम से ब्लिंकर कार्य करने की व्यवस्था हो और ओडीबिल सायरन लगा हो. जिससे बच्चों की सुरक्षा के लिए सड़क पर चलते यातायात को सचेत कर सके.

7. सीट्स की खिड़की के शीशे और चैनल इस प्रकार के लगे हो, कि बच्चे अपनी गर्दन या सिर खिड़की से बाहर ना निकाल सके लेकिन उन्हें हवा से भी वंचित ना रखा जाए.

8. बस में दो इमरजेंसी गेट हो. आराम से बैठने के लिए स्कूली बस की सीट की ऊंचाई सामान्य सीटों की तुलना में थोड़ी नीची होनी चाहिए.

9. एक दूसरे के सामने की दिशा में लगाई गई सीटे गेट के पास लगी होनी चाहिए.

10. चालक की सीट के पास स्पीड-अलार्म की व्यवस्था होनी चाहिए. बस की गति अधिक होने पर स्पीड अलार्म के माध्यम से स्कूल या बस मालिक को सूचित किया जा सके.

पैरेंट्स इसका रखें ख्याल

- स्कूल ले जाने वाला वाहन कानूनी रूप से अधिकृत होना चाहिए.

- चालक का नाम, पता और उसका मोबाइल नंबर गाड़ी पर छपा होना चाहिए. साथ ही इसकी जानकारी आप अपने पास भी नोट कर जरूर रखें.

- जो ड्राइवर बच्चों को ढो रहा है, देख लें कि उसके पास वाहन चलाने का पांच साल का अनुभव है या नहीं.

- गाड़ी में अग्निशमन यंत्र है या नहीं.

बॉक्स: स्कूली बसों के हादसे

25 अप्रैल 2009- गाजीपुर में स्कूल रोडवेज बस भिड़ी, लामार्ट के तीसरी कक्षा के छात्र की मौत

15 जुलाई 2009 मोहनलाल गंज में स्कूली बच्चों से भरा टेंपो ट्रक से भिड़ा, छात्रा की मौत, 13 घायल.

5 मार्च 2010- मोहनलाल गंज में 40 बच्चों से भरी स्कूल बस पलटी, 13 घायल

- 23 अप्रैल 2010- सिटी बस ने स्कूली बच्चों से भरे रिक्शे पर टक्कर मारी, दो जख्मी.

27 अप्रैल 2010- स्कूली बस और मारुति कार में भिड़ंत, छह बच्चे पहुंचे हॉस्पिटल, दो गंभीर रूप से घायल

26 नवम्बर 2012 में - स्कूली बस कैसरबाग चौराहे के पास बस में पीछे से जा लड़ी. इस दुर्घटना में चालक को गंभीर रूप से चोटे आई थी.

27 अप्रैल 2014- गोमती नगर स्थित शंकर चौराहे के पास एक स्कूली बस और मारुति कार में भिड़ंत हो, 2 बच्चे गंभीर रूप से घायल

25 जुलाई 2016- भदोही में स्कूली बस के रेलवे ट्रैक में फंस गई. जिसके चलते कई बच्चों की जान चली गई.

19 जनवरी 2017- एटा के अलीगंज में स्कूली बस और ट्रक में हुई भिड़ंत में दो दर्जन से अधिक बच्चों की मौत हो गई. 35 से अधिक बच्चे घायल हो गए.

फरवरी 2019- हजरतगंज में एक स्कूली बस ओवरटेक करने के चक्कर में सिटी बस से जा भिड़ी. इस घटना में बच्चों को मामूली चोटें आई.

Posted By: Kushal Mishra