-स्कूलों ने नहीं दिया प्राइवेट वैन संचालकों को अथॉरिटी लेटर

-स्कूल वैन की व्यवस्था को लेकर पैरेंट्स पर ही स्कूल फोड़ते हैं ठीकरा

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PRAYAGRAJ: स्कूल वैन की मनमानी की कहानी बेहद आम हो गई है. स्कूल छूटते ही वैन चालक अपनी मनमानी दिखाने लगते है. इसका खामियाजा स्कूल जाने वाले बच्चों को उठाना पड़ता है. जबकि स्कूल प्रशासन हमेशा की तरह यह कहते हुए पल्ला झाड़ लेता है कि वैन संचालन की जिम्मेदारी उनके स्कूल की नहीं है. ऐसे में वैन से स्कूल जाने वाले बच्चों को ही जान जोखिम में डालकर प्रतिदिन सफर करना पड़ता है. स्कूल प्रशासन की ओर से पूछे जाने पर उनकी ओर से कहा जाता है कि पैरेंट्स खुद ही प्राइवेट स्कूल वाहन चालकों को हायर करते हैं.

पैरेंट्स की अपनी अलग है दिक्कत

एक तरफ जहां स्कूल प्रबंधन अपना पल्ला झाड़ने में लगा है, वहीं पैरेंट्स की अपनी अलग ही समस्या है. दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने जब इस बारे में कुछ पैरेंट्स से बात की तो उनका कहना है कि व्यस्तता के कारण उनके पास इतना समय नहीं मिलता. इतने काम होते हैं कि संभव नहीं होता कि बच्चों को रोज स्कूल छोड़ने और लेने जाएं. ऐसे में मजबूरी में उस एरिया में चलने वाली स्कूल वैन के संचालकों से सम्पर्क करना पड़ता है. स्कूल प्रबंधन भी कोई व्हीकल नहीं चलवाता है. ऐसे में पैरेंट्स के पास कोई भी ऑप्शन नहीं बचता.

वर्जन

स्कूल की ओर से किसी भी प्राइवेट वाहन या वैन चालक को अथॉरिटी नहीं दी गई है. पैरेंट्स खुद से ऐसे वाहनों का चयन करते है. ऐसे में पैरेंट्स को अपने बच्चों के बारे में सोचकर वैन या बस चालकों को हायर करना चाहिए.

-डॉ. विशाल सिंह,

प्रिंसिपल, बिशप जानसन स्कूल एंड कालेज

मेरा बेटा मेरी लूकस में पढ़ता है. उसे स्कूल लाने और ले जाने के लिए मजबूरी में उसी वैन को हायर करना पड़ा, जो उस एरिया में आती है. दूसरे से बात करने पर उसने आने से मना कर दिया. ऐसे में कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है.

मीना

फैमिली में सभी जॉब करते हैं. सुबह तो बेटे को सेंट जोसफ तक छोड़ा जा सकता है. लेकिन दोपहर में स्कूल से ले आने में दिक्कत होगी. इसलिए मजबूरी में वैन को हायर करना पड़ती है.

स्मृति

Posted By: Vijay Pandey