तकरीबन एक सदी तक चले शोध के बाद वैज्ञानिकों ने विश्‍व के सबसे पुराने खगोल विज्ञान के कंप्यूटर का रहस्‍य डिकोड कर लिया है। इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्‍टि कर दी है कि सदियों पहले भी कंप्‍यूटर का अस्‍तित्‍व था।

एक सदी पहले मिले थे इस कंप्युटर के अवशेष
कुछ गोताखोरों को यूनान के एक द्वीप पर करीब 116 साल पहले साल 1900 में एक समुद्र में डूबे जहाज पर इस कंप्यूटर के अवशेष मिले थे और तभी से वैज्ञानिक इसके रहस्य को खेजने का प्रयास कर रहे थे। इस तकनीक को ‘एंटीकायथेरा मैकेनिज्म’ का नाम दिया गया है।
क्या इस मैकेनिज्म का रहस्य
हालाकि शोध करने वालों ने अभी अपना पहला चरण पूरा किया है और आशा व्यक्त की है कि अगले चरणों में और भी रहस्यों का पता चलेगा। अभी लगता है कि ‘एंटीकायथेरा मैकेनिज्म’ से यह सुपर कंप्यूटर प्राचीन यूनानियों के लिए सूर्य, चंद्रमा और ग्रहों की चाल का चार्ट तैयार करने में मदद करता था। जिसके जरिये वे भविष्य का अनुमान लगाते थे। इसके जरिये सूर्य और चंद्र ग्रहण के बारे में भी जानकारी मिलती थी।

82 टुकड़ों में छिपे हैं रहस्य
वैज्ञानिको को इस सुपर कंप्यूटर के 832 टुकड़े मिले हैं जिन पर बेहद महीन अक्षरों में यूनानी भाषा में खगोलीय कोड लिखे हुए हैं। करीब 60 से 100 साल पहले के बताये जा रहे इस कंप्यूटर में कांसे के बने यंत्रों का प्रयोग किया गया है। इस पर लिखे अक्षर माइक्रोस्कोप से ही पढ़े जा सकते हैं। वहीं अभी वैज्ञानिक ये रहस्य नहीं सुलक्षा सके हें कि आखिर ये गणना करता किस तरह था।

चीन का है आधुनिक सुपर कंप्यूटर
जिस तरह ये प्राचीन सुपर कंप्यूटर ग्रीक की देन है उसी तरह वर्तमान संपर कंप्यूटर चीन का है जो ‘सनवे तायहूलाइट’ है और ये 93.01 PFLOPS यानी लोटिंग प्वाइंट ऑपरेशन प्रति सेकंड की गति से गणना करता है।

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Posted By: Molly Seth