यह बात सच में चौंकाने वाली हैं कि अंतरिक्ष से आने वाले जिन एस्‍टेरॉयड से धरती को खतरा हो सकता है। अब वैज्ञानिक एक नई तकनीक से उन्‍हीं एस्टेरॉयड पर कीमती धातुओं की खुदाई कर सकेंगे। जिससे इंसानों को मिलेंगी अरबों रुपये कीमत वाली धातुएं।

कानपुर। ब्रिटिश वैज्ञानिकों की एक टीम के मुताबिक उन्होंने एक ऐसी तकनीक की खोज की है जिसके द्वारा धरती के आस पास से गुजरने वाले एस्टेरॉयड की दिशा बदल कर उन्हें धरती पर लाया जा सकेगा। फिर उनसे अरबों रुपए कीमत वाली धातुएं खोदकर निकाली जा सकेगी।

एस्टेरॉयड या स्पेस ऑब्जेक्ट की खुदाई से हासिल होंगी अरबों रुपए कीमत वाली धातुएं
डेलीमेल की रिपोर्ट के मुताबिक यूके की ग्लासगो यूनीवर्सिटी में वैज्ञानिकों की एक टीम ने नई रिसर्च पेश की है। जिसमें एक नए एरोब्रेकिंग सिस्टम और धरती के वातावरण की मदद से स्पेस में घूम रहे तमाम एस्टेरॉयड को धरती पर लाया जा सकता है। इसके बाद उन पर मौजूद भारी मात्रा में सोना और प्लैटिनम समेत तमाम कीमती धातुएं हासिल की जा सकती हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक एस्टेरॉयड की खुदाई से निकाली गई धातुओं की कीमत इतनी ज्यादा होगी कि उससे धरती का हर एक व्यक्ति करोड़पति बन सकता है।

एरोब्रेकिंग सिस्टम द्वारा किसी एस्टेरॉयड को ला सकते हैं धरती की कक्षा में
साइंस मैगजीन की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक इस ब्रिटिश रिसर्च टीम का कहना है कि उनकी इस तकनीक में रॉकेट की मदद से स्पेस में घूम रहे या धरती के पास से गुजर रहे किसी भी स्पेस ऑब्जेक्ट या एस्टेरॉयड को धक्का लगाते हुए धरती के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में लाया जा सकेगा। ऐसा करने के पहले अंतरिक्ष में मौजूद इंसान रहित छोटा स्पेसक्राफ्ट किसी भी एस्टेरॉयड की पहले स्कैनिंग करेगा। कीमती या अनोखी धातुओं की मौजूदगी की संभावना होने पर वो स्पेसक्राफ्ट उस पर उतरेगा और उसकी जांच करेगा। अगर उस एस्टेरॉयड पर वाकई कीमती धातुओं की मौजूदगी का पता चलता है। तो उसे फिर एरोब्रेकिंग सिस्टम की मदद से उस एस्टेरॉयड की स्पीड और दिशा में बदलाव करते हुए धरती के परिक्रमा मार्ग पर लाया जाएगा। जहां उस पर माइनिंग का काम किया जा सकता है।

इस तकनीक द्वारा एस्टेरॉयड के खतरों से बचा सकते हैं धरती को
द सन की रिपोर्ट बताती है कि यूनीवर्सिटी ऑफ ग्लासगो में हुई इस रिसर्च से जुड़े वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि इस एरोब्रेकिंग तकनीक के इस्तेमाल से धरती की ओर बढ़ने वाले किसी भी एंड्राइड की स्पीड और उसकी दिशा बदली जा सकती है। इससे धरती पर आने वाले किसी आकाशीय खतरे को भी टाला जा सकता है। रिसर्च टीम का कहना है कि एरोब्रेकिंग सिस्टम अपने आप में बिल्कुल नया नहीं है। अंतरिक्ष से धरती की ओर लौटने वाले किसी भी स्पेसक्राफ्ट की स्पीड और दिशा को इसी तकनीक से मैनेज किया जाता है। अब हम इसी तकनीक की मदद से किसी भी स्पेस ऑब्जेक्ट को धरती की कक्षा में लाकर उस पर कीमती चीजों की खुदाई कर सकते हैं।

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Posted By: Chandramohan Mishra