इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यों है
-वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे स्पेशल
-कोई जल्द ही सब कुछ पाने तो कोई ऑफिस के दबाव में हो रहा मेंटल डिसार्डर का शिकार -काम का बोझ और अकेलापन भी लोगों को बना रहा है मानसिक रूप से बीमार -स्वास्थ्य विभाग जनजागरूकता कार्यक्रम का आयोजन कर बेहतर जिन्दगी जीने के लिए बता रहा है राहचेंज लाइफ स्टाइल और भागदौड़ भरी जिंदगी के चलते अब लोगों के पास न तो अपनों के लिए समय है और न ही खुद के लिए। ढेर सारा पैसा कमाने और जरूरतों को पूरा करने के चक्कर में लोग मानसिक बीमारी की चपेट में आ रहे हैं, खासकर यंगस्टर्स। अभी तक जहां दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में लोग काम के बोझ और अकेलापन के कारण मानसिक बीमारी के शिकार हो रहे थे, वहीं अब ये परेशानी बनारस के लोगों में भी बढ़ रही है। शहर में ऐसा कोई हॉस्पिटल नहीं है जहां लोग मानसिक बीमारी की शिकायत लेकर न पहुंच रहे हों। साइक्रेट्रिस्ट की मानें तो खुद में मस्त रहने वाले बनारस शहर में अब हर शख्स परेशान सा नजर आता है। इसका सबसे बड़ा कारण बदलता लिविंग स्टैंडर्ड है। कम समय में ही सब कुछ पा लेने की चाहत के चलते लोगों पर मानसिक दबाव बढ़ता जा रहा है।
आगे निकलने की होड़ में परेशान
एसएसपीजी हॉस्पिटल के मनोचिकित्सक डॉ। रविन्द्र कुशवाहा ने बताया कि यह एक ऐसा युग है जिसमें हर कोई ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने की चाह में कुछ भी करने को तैयार है। युवा वर्ग इसके लिए एक-दूसरे से आगे निकलने के चक्कर सबसे ज्यादा इस बीमारी की गिरफ्त में आ रहे हैं। इस समस्या को देखते हुए ही स्वास्थ्य विभाग ने इस बार विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस को विश्व के बदलते परिदृश्य में युवा और मानसिक स्वास्थ्यय" आधारित थीम पर मनाने का निर्णय लिया है। सफलता न मिलने पर भी टेंशन उन्होंने बताया कि ऑफिस के काम के दबाव और सही वक्त पर मुकाम हासिल न कर पाने की वजह से भी मानसिक बीमारी के शिकार हुए लोग नशे की गिरफ्त में आ जा रहे हैं। नशा सिर्फ कुछ देर के लिए उस चीज के बारे में सोचने नहीं देगा, लेकिन वह शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से आपको तबाह जरूर कर देगा। उन्होंने बताया कि मानसिक समस्याओं के बेहतर इलाज के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से बनारस में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। कई तरह के होते हैं मानसिक रोगबीएचयू के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ। संजय गुप्ता की मानें तो मानसिक रोग किसी को भी हो सकता है, फिर चाहे वह आदमी हो या औरत, जवान हो या बुजुर्ग, पढ़ा-लिखा हो या अनपढ़। अगर मानसिक रोगी अच्छी तरह अपना इलाज कराए, तो वह ठीक होकर, बेहतर और खुशहाल जिंदगी जी सकता है। लेकिन ज्यादातर केस में पीडि़त काउंसलिंग कराने से डरते हैं कि लोग उन्हें पागल समझेंगे बस इसी से समस्या बढ़ जाती है। मानसिक रोग कई तरह के होते हैं, तनाव, डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन, गुस्सा ये सभी इसी के तहत आते हैं।
महिलाएं ज्यादा शिकार डिप्रेशन भले ही शुरू में समझ में नहीं आता हो, लेकिन पुरुषों की तुलना में यह महिलाओं को ज्यादा और जल्द जकड़ लेता है। अनुमान के मुताबिक 10 पुरुषों में से एक, जबकि 10 महिलाओं में से पांच के डिप्रेशन में आने की आशंका रहती है। मनोचित्सिकों का मानना है कि महिलाएं दबाव और शोषण के चलते जल्द डिप्रेशन में आ जाती हैं। यही नहीं जेनरेशन गैप होने की वजह से भी घरों में जहां सांस-बहू का सामंजस्य न बैठने से वे इस परेशानी का शिकार हो रही हैं। वहीं वर्किंग वूमेन ऑफिस और होमवर्क दोनों के बोझ से तनाव में रहती हैं।किया जा रहा है जागरूक
समाज में तेजी से फैल रही इस बीमारी के प्रति जनजागरूकता पैदा करने के लिए हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। स्वास्थ्य विभाग इस बार 8 से 14 अक्टूबर तक मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता सप्ताह के रूप में मना रहा है। जिसमें विभिन्न जनजागरूकता कार्यक्रम और शिविर का आयोजन कर लोगों के मन से उनके वहम को इलाज के जरिये दूर कर बेहतर जिन्दगी जीने की राह दिखाने का प्रयास किया जा रहा है। क्या करें मानसिक रोगी -नियमित रूप से 20 से 30 मिनट शारीरिक व्यायाम करें, इससे दिमाग को सोचने का वक्त मिलेगा। -मेडिटेशन करने के साथ राहत भरा संगीत सुनिए। -10 से 20 मिनट तक आंखें बंद करके शांति का अनुभव करें। -दिमाग को शांत रखें, और तनाव भरी बातें दिमाग से निकाल दें। चला अभियान स्वास्थ्य विभाग की ओर से जनवरी 2017 से चलाए जा रहे इस कार्यक्रम के तहत अब तक तकरीबन 200 से अधिक कैंप, 150 से अधिक सेमिनार और काउंसलिंग कार्यक्रम का आयोजन किया जा चुका है। एक नजर 100 मरीज रोजाना पहुंचते हैं एसएसपीजी हॉस्पिटल के मनोरोग ओपीडी में 70मरीज होते हैं तनाव से ग्रसित
30 से 35 होती हैं महिलाएं 8 से 10 होते हैं बच्चे वर्जन-- लोगों में धैर्य खत्म हो रहा है, सब कुछ जल्द पा लेने की चाहत में लोग इस बीमारी की गिरफ्त में आ रहे हैं। डॉ। रविन्द्र कुशवाहा, मनोरोग विशेषज्ञ, एसएसपीजी हॉस्पिटल मानसिक रोग किसी को भी हो सकता है, लेकिन मौजूदा वक्त में यह ज्यादातर युवाओं को शिकार बना रहा है। क्योंकि वे एक-दूसरे से आगे निकलने की चाहत पाले हुए हैं। डॉ। संजय गुप्ता, वरिष्ठ मनोचिकित्सक, बीएचयू