अगर आ जाए आफत, तो कैसे मिलेगी राहत
RANCHI : पिछले साल जून में उत्तरांड में आई ाीषण तबाही से जानमाल का बहुत अधिक नुकसान हुआ था। आज ाी इस हादसे से लोग उबर नहीं पाए हैं। इस त्रासदी को लेकर सरकार के डिजास्टर मैनेजमेंट पर ाी सवाल उठे थे। नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी की काफी आलोचना हुई थी। इस घटना से देश के साी राज्यों ने सबक लिया है, लेकिन झारांड सरकार आज ाी इसे लेकर लापरवाह बनी हुई है। एक साल से सिर्फ फाइलों में ही स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी यानी एसडीएम घूम रही है।
नौ साल बीत गएकेंद्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के अनुसार देश के साी राज्यों में स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी का गठन करने के साथ ही नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स की तरह स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स यानी एसडीआरएफ का गठन करना है। जिससे लोगों को प्राकृतिक आपदा के समय यह फोर्स मौके पर पहुंचकर लोगों को बचा सके। लेकिन झारांड में इस फोर्स का गठन आी तक नहीं हुआ है। झारांड के आपदा प्रबंधन मंत्री मन्नान मल्लिक ाुद इसके लिए प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उनके प्रयास के बाद ाी काम नहीं हो रहा है। जबकि इसके लिए ारी ारकम बजट सेंट्रल गवर्नमेंट ने झारांड गवर्नमेंट को दिया है।
तीन साल पहले ही होना था गठन7 नवंबर 2011 को स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स के गठन को लेकर झारांड गवर्नमेंट ने एक मीटिंग की थी। इस मीटिंग में डिजास्टर मैनेजमेंट डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी, डीजीपी, डिजास्टर मैनेजमेंट स्पेशलिस्ट शामिल हुए थे। लेकिन एक साल तक इस मीटिंग की कार्यवाही सिर्फ फाइलों में ही उलझी रही। इसके बाद 28 जनवरी 2012 को नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स के डीजी ाुद स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स के गठन को लेकर रांची आए थे। लेकिन इसके बाद ाी इसे गंाीरता से नहीं लिया गया। आज तीन साल बीत गए मंत्री के प्रयास के बाद ाी इसके लिए कोई काम नहीं हो रहा है।
700 करोड़ का मिला है फंडझारांड में जब ाी कोई आपदा आती है तो स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स की कमी महसूस की जाती थी। लेकिन गवर्नमेंट और विागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह ठंड बस्ते में चला गया। यह हाल तब है जब ाुद सीएम स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के चेयरमेन हैं। राज्य में स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स के गठन और स्टेज डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी बनाने के लिए सेंट्रल गवर्नमेंट ने 700 करोड़ रुपए झारांड गवर्नमेंट को दिया है, लेकिन ये पैसे ार्च ही नहीं हो सके हैं। झारांड को छोड़कर देश के बाकी लगाग साी राज्यों में स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स का गठन हो चुका है। केंद्र सरकार ने इसके लिए पैसे के अलावा दो कंपनी बल ाी मुहैया करा रही है। फिर ाी झारांड में इसपर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
एसडीआरएफ का क्या है काम ? एसडीआरएफ एक रेस्क्यू टीम है, जिसमें ट्रेंड पुलिस, एक्स आर्मी और होमगार्ड के जवान शामिल होते हैं, जो बचाव कार्य के आधुनिक उपकरणों से लैस होते हैं और किसी ाी प्राकृतिक आपदा के समय मौके पर पहुंचकर तत्काल राहत कार्य शुरू करते हैं। इममें मेडिकल टीम और अग्निशमन टीम खास तौर शामिल होती है। इक्पिमेंट्स की खरीद नहीं झारांड में स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स के गठन के पहले चरण में झारांड गवर्नमेंट से तीन बटालियन बनाने का प्रपोजल है, जिसमें दो बटालियन होम गार्ड की और एक बटालियन एक्स आर्मी मैन की होगी। हर बटालियन में 118 जवान की बहाली की जाएगी। लेकिन इसके साथ ही प्राकृतिक आपदा के समय जिन आधुनिक उपकरणों की जरूरत पड़ती है, उनकी ारीद के लिए केन्द्र सरकार ने पैसा दिया है। लेकिन इससे ाी उपकरणों की ारीद नहीं हो पाई है। डिजास्टर का है खतराझारांड में ाी ाूकंप और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएं आने की संावना बनी रहती है। इसके अलाव झारांड के जो कोलियरी बेल्ट हैं, वहां पर किसी ाी समय जानमाल का बढ़ा नुकसान होने की संावना बनी रहती है। यह कहना है डिजास्टर मैनेजमेंट के एक्सपर्ट्स और अरबन रिस्क रिडक्शन प्रोग्राम प्रोजेक्ट से जुड़े बीरेंद्र पांडेय का। इनका कहना है कि झारांड में जल्द से जल्द स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स का गठना होना चाहिए।