जो लोग जौहर सारनाइव को जानते हैं वो क्लिक करें बॉस्टन धमाके से पहले और उसके बाद की पूरी घटना को समझने की कोशिश कर रहे हैं.

लोग ये जानना चाहते हैं कि इतने उज्जवल भविष्य वाला एक नौजवान आख़िर किस तरह इतना बदल सकता है. कैंब्रिज रेंज और लिट्टन स्कूल में लाइफ़ गार्ड का सर्टिफ़िकेट कोर्स करने वाले जौहर को पानी में तैरने में काफ़ी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता था.
जौहर के 19 वर्षीय दोस्त मार्क फ़ारिया का कहना है कि जौहर की सबसे बड़ी मुश्किल यही थी लेकिन फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी और अपना कोर्स पूरा किया. मार्क फ़ारिया कहते हैं, ''उसके बाद हमलोगों ने जश्न मनाया था. हमलोग बहुत ख़ुश थे. हमलोग जब उसे देखते तो उसे हाय लाइफ़गार्ड कह कर बुलाते थे.''

कभी जौहर ने इतनी कड़ी मेहनत कर लोगों की ज़िंदगी बचाने का हुनर सीखा था लेकिन आज वो हत्या के आरोप में पुलिस हिरासत में है और उस पर बॉस्टन मैराथन में बम धमाके कराने और दूसरे अपराध करने का इल्ज़ाम है. जौहर के बड़े भाई और बॉस्टन बम धमाके मामले में दूसरे संदिग्ध तैमूरलंग सारनाइव पुलिस गोलीबारी में मारे गए हैं.

जो लोग जौहर को जानते हैं उन्हें विश्वास नहीं होता कि वो बॉस्टन बम धमाकों का क़सूरवार है. उन लोगों के अनुसार शायद वो किसी दबाव में था, अपने बड़े भाई के या फिर किसी चरमपंथी संगठन के.
'भूतों का शहर'
कारण चाहे जो भी हो लेकिन अब वो एक अंतरराष्ट्रीय घटना के केंद्र में बने हुए हैं और इसी वजह से उनके आवास के आस-पास भी इसका काफ़ी असर पड़ा है. फ़ारिया के अनुसार प्रॉस्पेक्ट स्ट्रीट को देखकर लगता है कि ये 'भूतों का शहर' हो गया है.

फ़ारिया कहते हैं, ''अली बारा मार्केट में हलाल चिकेन की दुकान बंद है और जौहर जिस मस्जिद में नेमाज़ पढ़ता था वो भी बंद है. इलाक़े के ज़्यादातर लोगों ने ख़ुद को घरों के अंदर बंद कर रखा है.''

जौहर साल 2002 में चेचन्या से अपने परिवार के साथ अमरीका आकर बस गए थे. फ़ारिया के अनुसार उन्होंने और जौहर ने एक साथ पढ़ाई की थी. फ़ारिया के अनुसार जौहर पढ़ाई में बहुत अच्छे थे और उनको ढाई हज़ार डॉलर की स्कॉलरशिप भी मिलती थी.

एक स्थानीय रेडियो स्टेशन में काम करने वाली 58 वर्षीय नैन्सी भी इसी गली में रहती हैं. जौहर के बारे में पूछे जाने पर नैन्सी कहती हैं, ''आख़िर वो ऐसा क्यों करेगा.''

जौहर को साल 2012 में अमरीकी नागरिकता मिल गई थी. हालांकि एक समय ऐसा भी था जब जौहर अपने भविष्य को लेकर बहुत सुरक्षित महसूस नहीं करते थे.

जौहर और उसके बड़े भाई तैमूरलंग सारनाइव के पिता का कहना है कि ख़ुफ़िया एजेंसियों ने उनके बेटों को फंसाया है. ग़ौरतलब है कि पुलिस ने तैमूरलंग को गोली मार दी थी.

जौहर के पिता इंज़ोर सारनाइव ने बीबीसी से बातचीत के दौरान कहा, ''ये एक चरमपंथी हमला था जिसे ख़ुफ़िया एजेंसियों ने बड़ी सावधानी से अंजाम दिया है. मेरा बेटा मस्जिद जाया करता था. सिक्रेट सर्विस वाले एक दिन आए और पूछा कि वो ऐसा क्यों करता है और फिर सारा इल्ज़ाम उस पर मढ़ कर उसे गोली मार दी.''

 

 

Posted By: Garima Shukla