- यूपी बोर्ड एग्जाम सेंटर पर 12वीं साइंस स्ट्रीम कैंडिडेट्स को दे दिया गया आ‌र्ट्स का हिंदी पेपर

- कक्ष निरीक्षक की ड्यूटी पर तैनात था क्लास फोर्थ इंप्लाई, शिकायत पर सही पेपर देने से कर दिया इनकार

GORAKHPUR: यूपी बोर्ड परीक्षा को व्यवस्थित और नकलविहीन कराने की डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा की सख्ती भी माध्यमिक शिक्षा विभाग व जिला प्रशासन के अधिकारियों की नींद नहीं खोल सकी है। हाल ये कि सीएम सिटी में ही जिम्मेदार सरकार की कोशिशों में पलीता लगाने में जुटे हैं। माध्यमिक शिक्षा विभाग व जिला प्रशासन के अधिकारियों की लापरवाही ने 12वीं के छह कैंडिडेट्स का पेपर ही बदलवा दिया। हद तो ये कि सिटी के इस परीक्षा केंद्र पर क्लास फोर्थ इंप्लाई को कक्ष निरीक्षक बना डाला गया था जिसने हिंदी का एग्जाम देने बैठे एमजी इंटर कॉलेज के साइंस स्ट्रीम के कैंडिडेट्स को आ‌र्ट्स का पेपर थमा दिया। दो घंटे पेपर लिखने पर कैंडिडेट्स को गलत पेपर ंिमलने का अहसास हुआ तो उन्होंने विरोध दर्ज कराया लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई। कैंडिडेट्स ने एमजी इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल से लिखित शिकायत दर्ज करा फिर से हिंदी विषय की परीक्षा की मांग की है। जिन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए डीआईओएस को पत्र लिखा है। मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारियों के होश उड़ गए हैं। उधर, डीआईओएस ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह भदौरिया का कहना है कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है। दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

प्रशासन के दावों की खुली पोल

बता दें, सात फरवरी से शुरू हुई यूपी बोर्ड परीक्षा पहले दिन तो शांतिपूर्ण ढंग से हो गई। लेकिन बुधवार को दूसरे पेपर हिंदी की परीक्षा के दौरान इतनी बड़ी लापरवाही सामने आई जिसने शिक्षा विभाग से लेकर जिला प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़ा कर दिया है। सिटी के एमजी इंटर कॉलेज का सेंटर लहसड़ी स्थित आचार्य नरेंद्र देव इंटर कॉलेज में गया हुआ है। बुधवार को सेंटर के रूम नंबर आठ में एमजी इंटर कॉलेज के 12वीं साइंस स्ट्रीम के छह कैंडिडेट्स बैठे थे। रूम में कुल 28 कैंडिडेट्स मौजूद थे। शिकायत सामने आई है कि एमजी के छह साइंस स्ट्रीम कैंडिडेट्स को सामान्य हिंदी विषय का पेपर देने के बजाय आर्ट स्ट्रीम के हिंदी विषय का पेपर दे दिया गया। ढाई घंटे बाद जब पेपर बदलने का शक हुआ तो कैंडिडेट साइंस स्ट्रीम पेपर की मांग करते हुए कुछ और समय मांगने लगे। लेकिन कक्ष निरीक्षक की जगह वहां बिठाए गए क्लास फोर्थ इंप्लाई ने एक न सुनी। जब इसकी शिकायत प्रिंसिपल योगेश श्रीवास्तव से की गई तो उन्होंने भी वापस लौटा दिया। थक हारकर कैंडिडेट्स ने अपने स्कूल प्रिंसिपल ओपी सिंह से इसकी लिखित शिकायत दर्ज कराई। जिन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए डीआईओएस ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह भदौरिया को अवगत कराया है।

क्या है प्रिंसिपल का कहना

जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने आचार्य नरेंद्र देव इंटर कॉलेज प्रिंसिपल योगेश श्रीवास्तव ने बात की तो उन्होंने बताया कि उनके यहां तीन ही टीचर हैं। जिस रूम नंबर आठ में ये कैंडिडेट्स बैठे थे वहां सैय्यदा हुसैन (अंश कालिक कर्मचारी) ने पेपर दिया था। रूम में जितने परीक्षार्थी थे उतने क्वेश्चन पेपर और आंसर शीट थे। जो सभी स्टूडेंट्स को दिया गया था। लेकिन गलती कर्मचारी से हुई है। ऐसे में बच्चों का भविष्य न खराब हो, इसके लिए साइंस स्ट्रीम के हिंदी विषय और आर्ट स्ट्रीम के विषय के आंसर शीट इवैल्यूएशन के लिए सामान्य हिंदी और हिंदी दोनों ही विषय के क्वेश्चन पेपर भेज दिए गए हैं। ताकि बच्चों की कॉपियों के इवैल्यूएशन के दौरान दिक्कत न हो। वहीं एमजी इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल ओपी सिंह ने बताया कि यह मानवीय भूल भी हो सकती है और लापरवाही भी हो सकती है। लेकिन कक्ष निरीक्षक के साथ-साथ इन परीक्षार्थियों की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि इन्हें क्वेश्चन पेपर मिलने के बाद ही आपत्ति दर्ज करानी चाहिए थी।

क्लास फोर्थ इंप्लाई को बना दिया कक्ष निरीक्षक

आचार्य नरेंद्र देव इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल योगेश श्रीवास्तव का कहना है कि उनके यहां तैनात सैय्यदा हुसैन अंशकालिक बाबू हैं। लेकिन सवाल इस बात का है कि 12वीं के साइंस विषय की परीक्षा में एक बाबू को कक्ष निरीक्षक कैसे बना दिया गया। जब बाबू कक्ष निरीक्षक तो गलती होना स्वाभाविक ही है। सवाल यह भी है कि बोर्ड को-ऑर्डिनेटर शिवचरण द्वारा यह क्यों नहीं देखा गया कि कक्ष निरीक्षक जिसे बनाया जा रहा है वह शिक्षक है या फिर स्कूल का कर्मचारी। कहीं न कहीं यह माध्यमिक शिक्षा विभाग की उदासीनता को दर्शाता है।

इन परीक्षार्थियों को मिला था आर्ट स्ट्रीम का पेपर

- सूर्य प्रताप सिंह, सूर्य प्रताप दूबे, सूर्याश द्विवेदी, सुशांत गौतम, सूरज

बॉक्स

फिर से परीक्षा कराने की मांग

एमजी इंटर कॉलेज के स्टूडेंट सूर्य प्रताप सिंह के पिता पवन प्रताप सिंह समेत बाकी कैंडिडेट्स ने इस मामले में एमजी इंटर कॉलेज प्रिंसिपल से फिर से परीक्षा कराने की मांग की है। स्टूडेंट्स की मानें तो उन्होंने आंसर शीट में आर्ट स्ट्रीम का पेपर कोड भरा है। जबकि साइंस स्ट्रीम का पेपर भरा जाना चाहिए था।

साइंस स्ट्रीम का पेपर कोड - 302(सीवी)

आर्ट स्ट्रीम का पेपर कोड - 301 (सीओ)

वर्जन

मैं इस मामले की जांच के लिए आचार्य नरेंद्र देव इंटर कॉलेज सेंटर पर जाऊंगा। मामला गंभीर है। इसकी जांच कर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह भदौरिया, डीआईओएस

Posted By: Inextlive