Djokovic the new world No1 and Wimbledon champion. लेकिन कोई नहीं जानता कि इस दमदार परफॉर्मेंस के पीछे का सीक्रेट क्या है? 2010 में खराब आगाज करने वाले जोकोविच अचानक 2011 के हीरो कैसे बन गए? तो आइए आप भी जानिए इस साल जोकोविच की सक्सेस का सीक्रेट.


रविवार को विंबलडन के फाइनल मुकाबले के बाद सर्बिया के नोवाक जोकोविच के रूप में टेनिस वर्ल्ड को नया नंबर वन प्लेयर मिल गया। जोकोविच के इस अचीवमेंट का क्रेडिट 2011 में उनके दमदार परफॉर्मेंस को जाता है जिसमें उन्होंने 6 महीने के अंदर सात टूर्नामेंट जीतने और लगातार 43 मैच जीतने का रिकॉर्ड बनाया.
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जोकोविच एक अच्छे लर्नर हैं। वह मैच से पहले अपने कोच से अपोनेंट प्लेयर्स कमी पर चर्चा करते हैं और इसका फायदा उठाने के लिए कोच द्वारा दी गई गाइडलाइंस को फॉलो करते हैं। इसके अलावा वह प्रॉपरली प्रिपरेशन और मैच के दौरान प्रेशर को कैसे हैंडल किया जाए, इस पर भी कोच की सलाह को तवज्जो देते हैं। फ्रेंच ओपेन में रोजर फेडरर से मिली हार ने उनके 43 मैचों के अनबीटेन कैंपेन को खत्म कर दिया था, लेकिन इस हार से भी उन्होंने सबक लिया और फिर जीत की राह तलाश ली।
Hard worker
2010 की शुरुआत में जोकोविच मश्किलों से गुजर रहे थे। उनकी सर्विस बेहद खराब थी। मेन टेनिस में सर्विस एक अहम इश्यू होता है और वह नई टेक्निक्स को फॉलो करने में नाकामयाब हो रहे थे। इस कमी को सुधारने के लिए जोकोविच ने कड़ी मेहनत की और 2011 की शुरुआत तक इसे पूरी तरह सुधार लिया। उस दौरान जोकोविच कोर्ट पर लंबा समय नहीं बिता पा रहे थे। पांच सेट वाले मुकाबलों के बाद अगले मैच के लिए उनके पास एनर्जी ही नहीं होती थी। हालांकि इंड्योरेंस में कड़ी मेहनत करके इस कमी को भी दूर कर दिया.
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इस साल फ्रेंच ओपेन के सेमीफाइनल तक  पहुंचने के बाद उन्होंने विंबलडन के प्रैक्टिस मैचों में गंभीरता से पार्टिसिपेट किया। हालांकि जब वह लंदन पहुंचे तब उन्होंने अपनी गर्लफ्रेंड के साथ काफी मस्ती की और अपना ज्यादातर समय बीच पर बिताया, लेकिन प्रैक्टिस मैचों की शुरुआत के साथ ही वह गंभीरता के साथ कोर्ट पर लौट आए और पहले ही प्रैक्टिस मैच में रिचर्ड गास्केट के खिलाफ हाई लेवल गेम का नजारा पेश किया। इसके बाद दूसरे मैच में उन्होंने जाइल्स सिमोन का हाल भी गास्केट जैसा ही किया। उन्हें जानने वालों का मानना है कि वह पहली बार ग्रास कोर्ट पर इतने कॉफिडेंट नजर आए.
Professional

फ्रेंच ओपेन के दौरान जब सेमीफाइनल में रोजर फेडरर ने जोकोविच को शिकस्त दी तो उनके फैंस को सबसे ज्यादा निराशा हुई। दरअसल इस साल यह जोकोविच की पहली हार थी, ऐसे में कोई भी दिग्गज प्लेयर टूट सकता था,  लेकिन जोकोविच ने इस सच को एक्सेप्ट किया और बेहद प्रोफेशनल तरीके से फिर से गेम पर फोकस करना शुरू किया। एक महीने बाद ही उन्होंने नडाल पर जीत के साथ न सिर्फ पहला विंबलडन टाइटल जीता, बल्किर  फेडरर और नडाल जैसे दिग्गजों को हराकर वर्ल्डो रैंकिंग में भी टॉप पर पहुंच गए.

Posted By: Inextlive