सिलेंडर बम की फैक्ट्री देखिए
मानकों को ताक पर रखकर तैयार किए जा रहे सिलेंडर
जाकिर कॉलोनी, श्यामनगर और हुमायूं नगर में 2.5 से 5 किलो के घरेलू सिलेंडर बनाने के कारखाने हो रहे संचालित - सिलेंडर की खेप की पंजाब और दिल्ली के बाजारों में हो रही खपत Meerut. तीन विभागों की आंखों में धूल झोंककर शहर के कई इलाकों में सिलेंडर बनाने का अवैध कारोबार फल-फूल रहा है. लाखों के इस कारोबार में सैकड़ों कर्मचारी दिन-रात जुटे रहते हैं और रोजाना मानकों को ताक पर रखकर हजारों सिलेंडर तैयार कर रहे हैं. आश्चर्यजनक है कि न तो पूर्ति विभाग को इस अवैध कारोबार की फिक्र है और न ही सेल टैक्स विभाग को. इतना ही नहीं सिलेंडर बनाने के अवैध कारोबार पर लोकल थाना पुलिस की पूरी मेहरबानी है. मानकों की परवाह नहींशहर की जाकिर कालोनी, श्यामनगर और हुमायूं नगर में जगह-जगह 2.5 से 5 किलो तक के छोटे घरेलू सिलेंडर बनाने के कारखाने संचालित हो रहे हैं. इन सिलेंडर को लोहे की पतली चादर को नॉर्मल तरीके से वेल्ड करके बिना किसी सुरक्षा जांच और मानक के तैयार किया जाता है. सिलेंडर बनाने के बाद उसका न प्रेशर टेस्ट होता है और न एक्सप्लोसिव अप्रूवल सर्टिफिकेट लिया जाता है.
केवल पानी की लिकेज जांचसिलेंडर को लोहे पतली चादर के दो हिस्सों से तैयार किया जाता है. इन दोनों हिस्सों को मशीन में गोलाई में मोड़कर सिलेंडर की शेप में तैयार किया जाता है. जिसके बाद तैयार दोनों हिस्सों को वेल्ड करके तैयार सिलेंडर में पानी भर उसकी लीकेज को चेक किया जाता है. यदि वेल्डिंग में कही गैप है तो पानी बाहर आने लगता है. केवल इस जांच के बाद सिलेंडर को पेंट कर तैयार कर दिया जाता है. मानक या एक्सपायरी का कोई स्केल इन सिलेंडर पर नही होता है.
पंजाब और दिल्ली तक सप्लाई शहर में लोकल सिलेंडर का यह कारोबार सिर्फ खैरनगर, लालकुर्ती, कबाड़ी बाजार, सदर बाजार आदि मार्केट तक सीमित नहीं है. यकीन मानिए जाकिर कालोनी से तैयार सिलेंडर की खेप को रोजाना पंजाब और दिल्ली के बाजारों में भेजा जाता है. अधिकतर अवैध कारोबारी बाहर के बाजारों में ज्यादा माल सप्लाई करते हैं और लोकल में कम. क्या कहता है नियमनियमानुसार घरेलू सिलेंडर केवल बीआईएस 3196 मानक के आधार पर ही बनाया जा सकता है. जिन कंपनियों के पास लाइसेंस के साथ सीसीओई यानि चीफ कंट्रोलर ऑफ एक्सप्लोसिव सर्टिफिकेट होता है वही इसे बना सकती हैं. सिलेंडर बनने के बाद प्रेशर टेस्ट से सिलेंडर की क्षमता की जांच होती है. इसके बाद एक्सप्लोसिव अप्रूवल दिया जाता है.
आंकड़ें बोलते हैं.. हुमायूं नगर, श्यामनगर और जाकिर कॉलोनी में सिलेंडर के अवैध कारखानों की भरमार - 20 से 25 कारखानों का अवैध रूप से हो रहा संचालन - 5 से 8 हजार सिलेंडर का होता है निर्माण रोजाना - 2.5 किलो से लेकर 5 किलो तक के सिलेंडर के कारखाने - 200 रुपये से 700 रुपये तक मिलते हैं प्रति सिलेंडर - 800 से 1000 सिलेंडर की एक कारखाने से सप्लाई होलसेल में रोजाना ----------------- शहर में कई जगह अवैध रूप से सिलेंडर बनाने के कारखाने संचालित किए जा रहे हैं. मगर इनकी जांच की जिम्मेदारी अग्निशमन विभाग की है. जो लाइसेंस के बिना संचालित हो रहे हैं, उन पर एक्शन लिया जाएगा. बीके कौशल, उपायुक्त, उद्योग सिलेंडर को यदि मानकों के विपरीत बेचा जा रहा है तो पीसीआर एक्ट के तहत चेकिंग कर चालान काटा जा सकता है. इसके लिए चेकिंग की जाएगी. आरके विक्रम, निरीक्षक, नापतौलकई बार सूचना के आधार पर अवैध कारखानों पर एक्शन लिया जा चुका है. इनके पास न पंजीकरण है और न ही सिलेंडर बनाने का लाइसेंस. जल्द ही दोबारा अभियान चलाया जाएगा.
ओपी वर्मा, ज्वाइंट कमिश्नर, सेल टैक्स