यूजीसी की गाइडलाइन के बाद भी कोल्हान यूनिवर्सिटी में सेमेस्टर सिस्टम को लेकर कोई कारवाई नहीं हो रही है.


यूजीसी की गाइडलाइन के बाद भी कोल्हान यूनिवर्सिटी में सेमेस्टर सिस्टम को लेकर कोई कारवाई नहीं हो रही है। यूजीसी ने अपने इलेवंथ प्लान के तहत हर यूनिर्वसिटी को सेमेस्टर सिस्टम लागू करने के साथ-साथ कॉलेज में ग्रेडिंग सिस्टम शुरू करने का निर्देश दिया था। यूजीसी ने सेंट्रल यूनिर्वसिटीज को सेमेस्टर सिस्टम लागू करने के लिए दो साल और स्टेट यूनिर्वसिटीज को तीन साल का टाइम दिया था। इस गाइड लाइन के जारी होने के दो वर्ष बाद भी अभी तक कोल्हान यूनिर्वसिटी में सेमेस्टर सिस्टम लागू नहीं किया जा सका है। यूजीसी के नॉम्र्स को फालो नहींकरने का असर यूनिर्वसिटी के ग्रांट पर पड़ सकता है।हुआ था फैसला


2011 के लास्ट मंथ में कोल्हान यूनिवर्सिटी की स्टैंडिंग कमिटी की मीटिंग में वाइस चांसलर ने कहा था कि 2012-13 सेशन से यूनिर्वसिटी में सेमेस्टर सिस्टम स्टार्ट कर दिया जाएगा। इसकी शुरुआत यूनिर्वसिटी में चलने वाले पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स से होनी थी, लेकिन यूनिर्वसिटी टीचिंग स्टॉफ्स कम होने का बहाना बना कर एक बार फिर से सेमेस्टर सिस्टम को नए सेशन से लागू नहीं कर रही है। तो मिलता फायदा

सेमेस्टर सिस्टम लागू होने से जहां निश्चित टाइम फ्रेम में स्टूडेंट्स को स्टडी करने का मौका मिलता, वहीं उन्हें अपनी तैयारी के साथ-साथ नॉलेज गेन करने का मौका भी मिलता। इसका सबसे ज्यादा फायदा यह होता कि सेशन रेगुलर हो जाता। फिलहाल यूनिवर्सिटी के कई कोर्सेज का सेशन लेट चल रहा है। इससे स्टूडेंट्स का कॅरियर प्रभावित हो रहा है। टीचर्स की कमी का बहाना कोल्हान यूनिर्वसिटी में टीचर्स की कमी सेमेस्टर सिस्टम शुरू नहीं करने का बहाना बना। यूनिर्वसिटी के मुताबिक पीजी लेवल का कोर्स स्टार्ट करने के लिए कॉलेज के पास 6 टीचर, 2 रीडर और 1 प्रोफेसर की जरूरत है। जब तक कॉलेज में टीचर्स की सुविधा नहीं मिलेगी, तब तक सेमेस्टर सिस्टम सही तरीके से नहीं चल सकता है। लग सकती है ग्रांट पर रोक यूजीसी द्वारा अदर स्टेट के कई यूनिर्वसिटीज में सेमेस्टर सिस्टम लागू नहीं करने के कारण से उनके ग्रांट में कटौती कर दी गई है। अगर टाइम से कोल्हान यूनिर्वसिटी में सेमेस्टर सिस्टम लागू नहीं किया गया, तो यूजीसी कोल्हान यूनिर्वसिटी के ग्रांट में कटौती कर सकती है। -सेमेस्टर सिस्टम के लागू होने से स्टूडेंट्स को फायदा होगा। इसके तहत स्टूडेंट्स को छह महीने में एग्जाम देना होगा। इसके लिए कॉलेज के पास पूरे टीचिंग स्टॉफ्स होने चाहिए। शकुंतला पाठक, प्रिंसिपल, ग्रेजुएट कॉलेज 

-सेमेस्टर सिस्टम लागू होने से स्टूडेंट्स बेहतर ढंग से अपनी तैयारी कर सकते हंै। इसके साथ ही इस सिस्टम से सेशन टाइम से चलेगा और स्टूडेंट्स को ज्यादा सीखने का मौका मिलेगा। आरके दास, प्रिंसिपल, को-ऑपरेटिव कॉलेज -हमारे यहां टीचिंग स्टॉफ्स की कमी है। इस वजह से सेमेस्टर सिस्टम लागू नहीं किया जा सकता है, क्योंकि 6 महिने के एग्जाम कराने और कोर्स मैटेरियल डवलप करवाने में प्रॉब्लम होगी। कुमारेश डे, कुल सचिव, कोल्हान यूनिर्वसिटी

Posted By: Inextlive