21वीं शताब्दी में उच्च शिक्षा में मूल्यांकन पर राष्ट्रीय संगोष्ठी

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PRAYAGRAJ: ईश्वर शरण महाविद्यालय में शिक्षाशास्त्र विभाग द्वारा 21वीं शताब्दी में उच्च शिक्षा में मूल्यांकन विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुक्रवार को समापन हो गया। अंतिम दिन संगोष्ठी में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति प्रो। केएस मिश्र, उच्चतर शिक्षा चयन आयोग के अध्यक्ष प्रो। आईएस विश्वकर्मा एवं बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर विवि के शिक्षाशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो। हरिशंकर सिंह आदि उपस्थित रहे।

मूल्यांकन को और अधिक पारदर्शी बनाने की जरुरत

उद्बोधन में प्रो। केएस मिश्र ने कहा कि मूल्यांकन को और अधिक पारदर्शी एवं व्यापक बनाने की आवश्यकता है। मुख्य अतिथि प्रो। विश्वकर्मा ने भारतीय प्राचीन मूल्यांकन पद्धतियों की वर्तमान विश्व में प्रासंगिकता की चर्चा करते हुए कहा भारतीय शैक्षिक परम्परा विश्व को नई दिशा दे सकती है। विशिष्ट अतिथि प्रो। हरिशंकर सिंह ने उच्च शिक्षा में मूल्यांकन को और अधिक प्रासंगिक बनाए जाने पर विचार व्यक्त किए। प्रिंसिपल डॉ। आनंद शंकर सिंह ने भी अपनी बात रखी।

सात दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ

महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विवि वर्धा के क्षेत्रीय केन्द्र में पं। मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय शिक्षक तथा शिक्षण अभियान के अन्तर्गत हिंदी शिक्षण अधिगम केन्द्र द्वारा सात दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन किया गया। जिसका शुभारंभ इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश सुधीर नारायण तथा विश्व हिंदी सचिवालय के पूर्व महासचिव डॉ। राजेन्द्र प्रसाद मिश्र ने की। केन्द्र के प्रभारी डॉ। विधु खरे दास ने बताया कि कार्यशाला का विषय हिंदी का वैश्विक स्वरूप व विश्वव्यापी हिंदी था।

Posted By: Inextlive