US economy की चिंता से बाजार को लग सकता है तगड़ा झटका. Crude oil की कीमतों में गिरावट इंडिया के लिए हो सकती है वरदान.


रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स द्वारा दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग घटाए जाने का निगेटिव इम्पैक्ट इस हफ्ते शेयर मार्केट पर देखने को मिल सकता है. एक्सपट्र्स का कहना है कि अमेरिकन इकॉनमी को लेकर चिंता से इंडिया ही नहीं ग्लोबल शेयर मार्केट्स में भारी उतार-चढ़ाव हो सकता है. ग्लोबल लेवल पर ग्र्रोथ कमजोर पडऩे की आशंका से शेयर मार्केट्स में पिछले हफ्ते दुनिया के बाजारों को करीब 2.5 खरब डॉलर का चूना लग चुका है.डिग सकता है भरोसा


स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने शनिवार को अमेरिकन सरकार की ‘एएए’ सोवरेन क्रेडिट रेटिंग को कम कर ‘एए प्लस’ कर दिया. इस कदम से दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी में इनवेस्टर्स का विश्वास हिल सकता है, जिसका असर ग्लोबल मार्केट्स पर दिखेगा. दूसरी तरफ कुछ एनालिस्ट्स का मानना है कि सोमवार को बाजार में तेजी लौट सकती है. उनके मुताबिक, क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट आई है जो वरदान साबित हो सकती है, क्योंकि इंडिया की बुनियाद और कैपिटल के इंटरसर्कुलेशन की स्थिति बेहतर है.बीती बात

शुक्रवार को बांबे स्टॉक एक्सचेंज के सेंसेक्स में कारोबार के दौरान लगभग 700 प्वॉइंट्स की भारी गिरावट दर्ज की गई. हालांकि बाद में स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ और यह अंत में 387.31 प्वॉइंट्स की गिरावट के साथ 17,305.87 पर बंद हुआ. पिछले हफ्ते सेंसेक्स में करीब 900 प्वॉइंट्स की भारी गिरावट आई है.बढ़ रही है चिंताअमेरिका की रेटिंग कम होने की आशंका पहले से थी, इसलिए उम्मीद थी कि बाजार शायद इसको पचा लेंगे, लेकिन रविवार को ही यह खुशफहमी खत्म हो गई. इस दिन कारोबार करने वाले मिडिल-ईस्ट के मार्केट औंधे मुंह गिरे. दुबई का इंडेक्स 5, अबूधाबी का 2.5 परसेंट और इजिप्ट का 4 परसेंट गिरा है. माना जा रहा है कि स्टैंडर्ड एंड पुअर्स के बाद एक-दो दिनों में दुनिया की दो अन्य प्रमुख क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां- फिच और मूडीज भी अमेरिका की रेटिंग घटा सकती हैं.  अमेरिका के कर्जदाताओं में इंडिया भी शामिल

अमेरिका को उधार देने वाले 15 प्रमुख देशों में इंडिया भी शामिल है. अमेरिका के बढ़ते कर्ज में इंडिया की हिस्सेदारी लगभग 41 अरब डॉलर है, जो फ्रांस और आस्ट्रेलिया जैसे देशों के मुकाबले अधिक है. अमेरिका का कुल कर्ज बढक़र 15000 अरब डॉलर हो गया है. ये कर्ज अमेरिकन गवर्नमेंट के डिबेंचर्स के जरिए दिए गए हैं. अमेरिका को सबसे अधिक कर्ज चीन ने दिया है. उसके पास 1150 अरब डॉलर के अमेरिकन बांड्स हैं. इंडिया ने अमेरिकन बांड्स में 41 अरब डॉलर (1.83 लाख करोड़ रुपए) का इनवेस्टमेंट कर रखा है और इस तरह अमेरिका को कर्ज देने वाले प्रमुख देशों की लिस्ट में इंडिया 14वें स्थान पर है. अमेरिका की सोवरेन रेटिंग ‘एए प्लस’ किए जाने के बाद रिजर्व बैंक भी कुछ कदम उठा सकता है, क्योंकि सेंट्रल बैंक उन्हीं देशों के डेब्ट बांड्स खरीदने की परमीशन देता है, जिन्हें ‘एएए’ रेटिंग मिली है. किसका कितना उधार   चीन    1150 अरब डॉलर  जापान    912 अरब डॉलर  ब्रिटेन    346 अरब डॉलर  ब्राजील    211 अरब डॉलर  ताइवान    153 अरब डॉलर  हांगकांग    122 अरब डॉलर  रूस    112 अरब डॉलर  स्विट्जरलैंड    108 अरब डॉलर  कनाडा    91 अरब डॉलर   जर्मनी    61 अरब डॉलर  थाईलैंड    60 अरब डॉलर   सिंगापुर    57 अरब डॉलर  इंडिया    41 अरब डॉलर‘इकॉनमिक ग्रोथ पर नहीं होगा असर’ एक्सपट्र्स का कहना है कि अमेरिका की सोवरेन क्रेडिट रेटिंग घटाए जाने का इंडियन शेयर मार्केट पर कुछ असर पड़ेगा, लेकिन मीडियम और लांग टर्म में इकॉनमिक ग्र्रोथ को यह अफेक्टेड नहीं करेगा.

Posted By: Divyanshu Bhard