- स्टेट गवर्नमेंट की उदासीनता से पिछड़ गया सेपक टाकरा

- प्लेयर्स को न प्रोत्साहन मिलता है और न ही जॉब

PATNA (25 Aug) : मलेशिया का एक फेमस खेल सेपक टाकरा जो इंडिया में क्98ख् के दिल्ली एशियाई गेम के बाद से इस देश में खेला जाना शुरू हुआ। इसके बाद बिहार समेत कई राज्यों में खेला जाने लगा। लेकिन बिहार में यह ख्000 से खेला जा रहा है और इस बेहद कम समय में राष्ट्रीय स्तर का प्लेयर दिया है। लेकिन अफसोस यह खेल अपनी पहचान खोता जा रहा है। वजह है इस खेल का प्रचार नहीं है और स्टेट गर्वनमेंट इसके लिए फंडिंग नहीं करती है। इसे लेकर प्लेयर्स को भी मलाल है। इस बारे में बिहार को नेशनल लेबल पर रिप्रेजेंट करने वाले पंकज कुमार रंजन का कहना है कि आम तौर पर समझा जाता है कि एसोसिएशन खेल को आगे बढ़ाती है लेकिन गवर्नमेंट फंड नहीं देगी तो बात कैसे बनेगी।

यहां सम्मान नहीं पर विदेश में पूछ

सेपक टाकरा खेल से बिहार के कई प्लेयर्स का नाम नेशनल लेबल पर रहा है। इसी में एक बड़ा नाम हैं-नमिता सिन्हा। इन्होंने दो बार इस गेम का व‌र्ल्ड कप खेला है और अब अक्टूबर ख्0क्ब् में साउथ कोरिया में होने वाले एशियाई गेम में इनका सलेक्शन हुआ है।

बिहार में इस खेल के प्लेयर्स की कमी नहीं

इस खेल को पसंद करने वालों की कमी नहीं है। बिहार में इस खेल के सीनियर, सब जूनियर और जूनियर वर्ग में कई प्लेयर्स हैं। बिहार में जूनियर वर्ग के भ्00 प्लेयर्स, सीनियर वर्ग में 70 प्लेयर्स और सब जूनियर में फ्भ्0 प्लेयर्स हैं। लेकिन अफसोस की बात यह है कि ऐसे प्लेयर्स खेल को आखिर किस प्रकार से खेले।

गवर्नमेंट कर रही है टालमटोल

प्लेयर सोनू कुमार का कहना है कि मैं दस साल से यह गेम खेल रहा हूं। लेकिन कोई फ्यूचर नहीं दिख रहा है। गवर्नमेंट भी स्पोर्टस कोटे से नौकरी देने में तीन साल से टालमटोल कर रही है। उधर, इस खेल के स्टेट चैंपियन रहे पंकज कुमार रंजन का कहना है आखिर इस प्रकार से स्टेट गवर्नमेंट का रवैया है तो प्लेयर्स को इस खेल से दूर होते जाएगें। मुझे भी जॉब नहीं मिली मेरिट लिस्ट में नाम होने के बावजूद।

स्टेट गवर्नमेंट का नकारात्मक रवैया है तो ऐसे में प्लेयर्स इस खेल से दूर होते जाएंगे। न फैसिलिटी मिली और न ही जॉब मिली।

-पंकज कुमार रंजन, स्टेट चैम्पियन

Posted By: Inextlive