RANCHI : जमीन से जुड़ी कामों के लिए लोगों को दोहरी मुसीबत झेलनी पड़ रही है। चाहे दाखिल-खारिज (म्यूटेशन) कराना हो या रसीद कटवाना अथवा करेक्शन स्लिप इश्यू कराना। जमीन का ब्योरा अगर जानना हो तो फिर अंचल से डीसी ऑफिस तक दौड़ लगाते-लगाते परेशान हो जाएंगे। वजह ऑनलाइन -ऑफलाइन का पेंच है। कहने को तो जमीन से जुड़ी सारी सेवाएं व रिकॉर्ड ऑनलाइन कर दी गई हैं, लेकिन, यह सिर्फ दिखावे का साबित हो रहा है। स्क्रीन पर ऑनलाइन लैंड रिकॉर्ड हासिल करना आसान नहीं है। ऐसे में अगर आप संबंधित अफसरों के पास इस बाबत जानकारी लेने अथवा काम कराने जाएंगे तो वे सभी रिकॉर्ड ऑनलाइन होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लेंगे।

सीएम के आदेश ताक पर

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने लोगों की परेशानियों को देखते हुए जमीन से जुड़े सभी डॉक्यूमेंट्स को दुरुस्त करने के साथ डिजिटलाइनेशन कराने का निर्देश दिया है। लेकिन, सीएम के इस आदेश को भी अधिकारी व कर्मचारी ताक पर रख दे रहे हैं। लोग अंचल अधिकारी के दफ्तर के सामने बैठ कर उनका इंतजार करते हैं तो कभी कर्मचारी के पीछे पीछे घुम कर जल्दी से जल्दी अपने रिकार्ड में सुधार में करने के लिए गुहार लगाते रहते हैं, लेकिन उनका काम नहीं हो पाता है।

अंचल ऑफिस की लगानी पड़ रही दौड़ (बाक्स)

चाहे म्यूटेशन कराना हो या रसीद कटाना अथवा जमीन से जुड़ा कोई और काम। जरूरतमंद को बिना किसी वजह से अफसरों की खुशामद करनी पड़ रही है, फिर भी काम नहीं हो रहा है। जब वे अपनी समस्या लेकर अंचल अधिकारी के पास जाते हैं तो वे कह देते हैं कि कर्मचारी से जाकर मिलें। ऐसे में जब वे कर्मचारी से मिलते हैं तो कहा जाता है कि सभी कागजात ऑनाइन हैं। ऐसे में 'साहब' ही कुछ कर सकते हैं।

जमीन के कागजातों में भारी हेरफेर

लैंड रेवेन्यू रिकार्ड को ऑनलाइन करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। अंचल ऑफिस के स्तर पर जमीन से जुड़े कागजातों में इतना हेरफेर हो चुका है कि उससे संबंधित रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है। कहीं रजिस्टर टू में रैयत के नाम में गड़बड़ी कर दी गई है तो कहीं जमीन किसी के नाम से है और रसीद किसी और के नाम से कट रहा है। कई अंचलों में तो रजिस्टर टू से कई पन्ने भी गायब हैं। ऐसे में जमीन से जु़ड़े रिकॉर्ड ही नष्ट हो गए हैं। इस वजह से लैंड रिकॉर्ड के डिजिटलाइजेशन का काम प्रभावित हो रहा है।

कामकाज में नहीं है कोई पारदर्शिता

लैंड रिकॉर्ड ऑनलाइन करने का मकसद कामकाज में पारदर्शिता लाना है, लेकिन यह धरातल पर कहीं देखने को नहीं मिल रहा है। जो काम ऑनलाइन होना है उसे भी ऑफलाइन निपटाया जा रहा है। लेकिन, इसमें भी कई पेंच हैं। जमीन से जुड़े काम को लेकर आवेदन किस स्तर पर है, यह ऑनलाइन तो दिखता है, लेकिन संबंधित अफसर के पास जाने पर पता चलता है कि फाइल उनके पास पहुंची ही नहीं है।

किस तरह की आ रही है परेशानियां

-खतियान में नाम तो है, लेकिन करेक्शन स्लिप नहीं हो रहा है इश्यू

--खतियान में खाता नम्बर सही है लेकिन प्लॉट नम्बर गलत चढ़े हैं। वहीं, अधिकांश खतियान में खाता नम्बर ही गलत चढ़ा हुआ है।

-- ऑनलाइन रसीद नहीं कट रहा। ऑफलाइन रसीट कटवाने के लिए लगानी पड़ रही दौड़।

--वंशावली रजिस्टर्ड है ही नहीं फिर भी दूसरे लोगों के नाम से रसीद किया जा रहा निर्गत

--मुआवजा दिए जाने वाली जमीन की रसीद काटने में बरती जा रही है लापरवाही

-- सरकार के आदेश के बाद बी गैरमजरुआ जमीनों का नहीं काटी जा रही रसीद

Posted By: Inextlive