PATNA (18 Nov): आखिर कब तक मासूमों की जान से खिलवाड़ करता रहेगा नगर निगम। करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद पटना के नालों की सफाई नहीं हो सकी है। यदि नाला साफ रहता तो एसके पुरी के नाले में गिरे मासूम को तत्काल बाहर निकाल लिया जाता। स्थिति यह है कि राजधानी के 9 नालों की सफाई पर पटना नगर निगम ने पिछले 4 सालों में 16 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। लेकिन नाले साफ नहीं हो सके। स्थिति पहले से और खराब हो गई है। नालों में भारी मात्रा में सिल्ट ज्यों का त्यों पड़ा हुआ है। पॉलीथिन और कचरे की ढेर से नाले भरे पड़े हैं। स्थिति यह हो गई है कि ये नाले कई स्थानों पर अवरूद्ध हो गए हैं और उनसे जल निकासी बंद हो चुकी है।

सफाई के खर्च का मांगा हिसाब

नालों में गंदगी भरे होने की वजह से आसपास के एरिया में संक्रमण और बदबू की स्थिति बनी हुई है। नालों की साफ-सफाई पर होने वाले करोड़ों खर्च और उनकी दयनीय हालत पर पटना नगर निगम के कमिश्नर ने एक्शन लेते हुए 15 दिन पहले निगम के सीए को जांच के निर्देश दिए हैं।

4 माह में भी साफ नहीं होते नाले

नगर निगम सभी नालों की सफाई हर वर्ष साफ करवाता है। सफाई का काम फरवरी से अप्रैल तक चलता है। प्रत्येक अंचल को नाले सफाई के लिए 50 लाख से एक करोड़ रुपए तक दिए जाते हैं। फिर भी शहर का नाला साफ नहीं हो पाता है।

ऐसे होती है सफाई तो कैसे हो शहर के नाले साफ

अंचल कार्यालयों की ओर से नालों की सफाई में हर साल खानापूर्ति कर दिया जा रहा है। नाला सफाई के नाम पर कचरे को ऊपर ही ऊपर बाहर निकाल लिया जाता है और सिल्ट को ज्यों का त्यों छोड़ दिया जाता है। जिसकी वजह से यह सिल्ट दिनोंदिन मोटी परत में बदलती जा रही है। कुछ नालों से सिल्ट निकालने की कोशिश की भी जा रही है तो उसे नालों के किनारे ही डाल दिया जा रहा है।

सफाई के नाम पर डकार गए 5 लाख

एनसीसी अंचल में नाले की सफाई के नाम पर पांच लाख रुपए के गबन का मामला सामने आया है। नगर निगम के कमिश्नर ने सीए को जांच करने का आदेश दिया है। निगम सूत्रों की मानें तो यह राशि बिना किसी के हस्ताक्षर किए ही जारी कर दिया गया है।

Posted By: Inextlive