एकेटीयू के कॉलेजेस में तकरीबन 80 फीसदी सीटें अभी है खाली

यूपीएसईई काउंसिलिंग के थर्ड राउंड का चल रहा प्रॉसेस

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ALLAHABAD: डॉ। एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी लखनऊ से जुड़े प्रदेश के कॉलेजेस में दाखिले के लिए यूपीएसईई 2018 की ऑनलाइन काउंसिलिंग का संचालन किया जा रहा है। इस बार काउंसिलिंग तीन चरण में पूरी होनी है। करेंट में थर्ड राउंड की काउंसिलिंग का प्रॉसेस संचालित किया जा रहा है। लेकिन अब तक बमुश्किल 15 से 20 फीसदी सीटें ही भर सकी हैं।

खर्चा निकालना भी है चैलेंज

बताया जा रहा है कि इस बार काउंसिलिंग की जो स्थिति है। उससे एडमिशन के इंतजार में बैठे कॉलेजेस भी भयभीत हैं। उनके लिए बड़ी टेंशन की वजह ये है कि जब बड़े-बड़े कॉलेजेस में एडमिशन नहीं हो पा रहे तो अन्य कॉलेजेस में तो शैक्षिक सत्र का खर्चा निकालना भी मुश्किल होगा। जानकारी के मुताबिक प्रदेश में बड़ी संख्या में ऐसे कॉलेजेस हैं। जहां एक भी एडमिशन नहीं हो सका है। इलाहाबाद में भी एकेटीयू से जुड़े कॉलेजेस की संख्या करीब 12 है। यहां भी एडमिशन की हालत बहुत ज्यादा खराब बताई जा रही है।

स्पॉट काउंसिलिंग का मिलेगा मौका

बहरहाल, एकेटीयू ने गवर्नमेंट कॉलेजेस में सीट भरने के लिए स्पॉट काउंसिलिंग की घोषणा की है। हालांकि, इसका पूरा शेड्यूल अभी एनाउंस नहीं किया गया है। जल्द ही इसकी घोषणा की जाएगी। इलाहाबाद में बीबीएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी फाफामऊ के निदेशक डॉ। सीपी सिंह ने बताया कि जो स्थिति चल रही है। उसमें अब कॉलेजेस के पास एक ही आप्शन है कि वे मैनेजमेंट कोटा से सीटों को भरें। उन्होंने कहा कि कॉलेजेस के पास बहुत सारे चैलेंजेस हैं। इनसे पार पाने का एक ही रास्ता है कि छात्र-छात्राएं अधिक से अधिक संख्या में यहां पढ़ाई के लिए आएं।

इन बातों पर करें गौर

- प्रदेश में एकेटीयू से जुड़े कॉलेजेस की संख्या साढ़े पांच सौ से ज्यादा है।

- पूर्व के वर्षो में कॉलेजेस की यह संख्या 800 से ज्यादा हुआ करती थी।

- एडमिशन की खराब हालत के चलते बड़ी संख्या में कॉलेजेस बंद होते चले गए।

- अनुमान के मुताबिक करेंट में भी एडमिशन का जो हाल है। उसके चलते करीब ढाई सौ कॉलेज और बंद होने की कगार पर हैं।

- वर्तमान में स्थापित कॉलेजेस में सीटों की संख्या एक लाख से ज्यादा है।

- इस बार एडमिशन में भारी कमी का कारण काउंसिलिंग फीस और कॉलेजेस में रजिस्ट्रेशन की फीस भी बढ़ाया जाना बताया जा रहा है।

- मौजूदा हालात ने बड़े कॉलेजेस के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं।

ज्यादातर छात्र जेईई मेंस और जेईई एडवांस के तहत मिलने वाले कॉलेजेस में दाखिला लेना चाहते हैं। इससे यूपीएसईई काउंसिलिंग पर असर पड़ता है। बहुत सारे कॉलेज ऐसे हैं। जिनकी बोहनी तक नहीं हो सकी है। यह स्थिति चिंताजनक है।

डॉ। केके तिवारी, सचिव, शम्भूनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी

Posted By: Inextlive