वरदान ट्राई साइकिल बनाकर हैंडीकैप्ड लोगों को 'वरदान' देने वाली शानू शर्मा की उपलब्धि एक ऐसे यूथ की कहानी है जिसने महज 25 साल की उम्र में एक ऐसा अविष्कार कर दिया जिससे पैर से लाचार लोग सीढ़ी चढ़ सकते हैं। ये काम शानू ने

एमटेक की पढ़ाई के दौरान ही कर दिया। शानू ने लखनऊ के गर्वनमेंट कॉलेड ऑफ आर्कीटेक्चर से बीटेक करने के बाद आईआईटी कानपुर से मास्टर ऑफ डिजाइन में दाखिला लिया। इस दौरान उन्होंने एक प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया। ऐसा प्रोजेक्ट जो समाज के लिए योगदान भी हो और मार्केट जिसे हाथो हाथ ले। एमटेक पूरा करने से पहले ही शानू ने ऐसी ट्राइसाइकिल बना दी जिसके जरिए हैंडीकैप्ड बिना किसी का सहारा लिए सीढि़यों पर चढ़ सकते हैं। भारत सरकार ने वरदान के लिए 50 लाख रुपए का फंड दिया। वरदान को और एडवांस स्टेज पर ले जाने के लिए उस पर सरकार रिसर्च करा रही है।

तकनीक को समाज से जोड़ना चाहती हूं

शानू ने आईनेक्स्ट को बताया कि भले ही वो इंजीनियर हो लेकिन उसकी रुचि समाज में है। इस समय भी वो एक स्पेशल प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। ये प्रोजेक्ट है कि गंगा के किनारे बसे गांवों का तकनीकी दृष्टि से रिसर्च। इस रिसर्च से ये बाद सामने आएगी कि गंगा के किनारे बसे हुए गावों में कैसे तकीनीकी परिवर्तन करके गंगा को फायदा पहुंचाया जा सकता है। इस प्रोजेक्ट के लिए शानू गंगोत्री से गंगा सागर तक का सर्वे तकनीकी दृष्टि से कर रही हैं, सामाजिक जीवन का तकीनीकी दृष्टि से सर्वे अपने आप में अनूठा प्रोजेक्ट है जिसे आईआईटी कानपुर की मदद से किया जा रहा है। टेक्नाॉलॉजी के जरिए समाज को बदलना शानू अपने जीवन का लक्ष्य मानती हैं। उनके आदर्श स्वामी विवेकानंद जी हैं।

Posted By: Inextlive