कानपुर में दिन दहाड़े हुए हिस्ट्रीशीटर शानू ओलंगा ने भले ही क्राइम वल्र्ड में कई दुश्मन बना रखे हों मगर उसे अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता था रईस बनारसी.


जी हां, रईस बनारसी का नाम भी शानू के हत्यारों के रूप में उसके फैमिली वालों ने एफआईआर दर्ज कराया है। बनारस से ताल्लुक रखने वाले रईस ने अपने भाई नौशाद कालिया की दो साल पहले हुई हत्या के बाद ही शानू व उसके दो साथियों को मारने की कसम खाई थी। अब तक रईस शानू सहित दो को मौत के घाट उतार चुका है।


पुलिस सोर्सेज की माने तो बनारस के खालिसपुरा में भी रईस का मकान है। यहां उसके पिता इश्तियाक अहमद उर्फ बउआ, शकील, साने और इरशाद रहते हैं। इसके अलावा रईस का यहां आना-जाना लगा रहता है। वह कभी कानपुर तो कभी बनारस में ठिकाना रखता है। यहां भी उसने नाम कई वारदात हैं मगर पुलिस ने उसे कभी बड़े क्रिमिनल या हिस्ट्रीशीटर के रूप में नहीं देखा। आखिरी बार रईस को सितम्बर में यहां देखा गया था। 30 सितम्बर को उसके घर के पास अपराधी किस्म के युवक गोपाल यादव के मर्डर के बाद से यहां नजर नहीं आ रहा है। गोपाल मर्डर के केस में उसका नाम नहीं था मगर हत्यारों से अच्छे कनेक्शन के चलते वह खुद को सेफ करने के लिए यहां से निकल गया। कानपुर में भी है परिवार

रईस के बारे में जानकारी मिली है कि उसके कुछ भाई कानपुर में रहते हैं। इसमें एक नौशाद का मर्डर कुछ साल पहले शानू और उसके दो साथियों ने किया। इसके बाद से रईस कानपुर में ज्यादा वक्त बीताने लगा और हर वक्त बदला लेने की कोशिश में रहता था। उसने अपने भाई के एक हत्यारोपी राजा को कुछ समय पहले मारा भी। बाकी बचे दो हत्यारोपियों में शानू कहीं ज्यादा पावरफुल और हार्डकोर था। लिहाजा रईस उसे मारने में कोई बचकानी हरकत नहीं करना चाहत था। वह अंदर ही अंदर एक तगड़ा नेटवर्क तैयार कर रहा था। मोनू पहाड़ी से मिलाया हाथ

पुलिस इस बारे में पूरी तरह आश्वस्त है कि कानपुर में रईस ने मोनू पहाड़ी से हाथ मिलाया था। मोनू किसी भी तरह शानू को रास्ते से हटाकर कानपुर में अपनी दहशत का साम्राज्य फैलाना चाहता था। जबकि रईस का मकसद सिर्फ बदला लेना था। इन दोनों ने मिलकर शानू के कुछ और दुश्मनों को अपने साथ मिलाया और उसे रास्ते से हटाने के प्रोग्राम में जुट गये। इस तरह देखा जाए तो इन दोनों ने 'प्राइड और प्रेजडिसÓ के लिए इस मर्डर केस को अंजाम दिया। बनारस पुलिस को शक है कि इस मर्डर के केस में रईस का साला, जो रईस का दोस्त और कई अपराधों में उसका साथी है, वह भी इन्वॉल्व हो सकता है। हालांकि पुलिस के पास उसकी बहुत ज्यादा इंफार्मेशन नहीं है। सिर्फ इतना पता है कि रईस ने अपने इस हिंदू दोस्त की बहन से प्यार किया और फिर शादी कर ली। इसके बाद भी दोनों साथ रह कर ही काम करना पसंद करते थे। हेलमेट वाला रईस तो नहीं!कानपुर पुलिस शानू मर्डर केस में आई नेक्स्ट से मिले फोटोग्राफ से दोनों हत्यारों की पहचान की कोशिश में लगी है। इस बारे में बनारस पुलिस को भी उस तस्वीर के जरिये पहचान कराने को कहा गया है। पुलिस के मुखबिर हेलमेट वाले शख्स को रईस होने की संभावना जता रहे हैं। कद-काठी से ये पॉसिबिलिटी ज्यादा लग रही है। हालांकि दूसरा शख्स कौन है, ये तस्वीर में चेहरा क्लीयर होने के बावजूद क्लीयर नहीं हो पा रहा।नम्बर भी हो गया है चेंज
कानपुर में शानू ओलंगा मर्डर के बाद वांटेड के रूप में सामने आए रईस बनारसी की खोज के लिए एसटीएफ टीम के अलावा बनारस की एसओजी भी हाथ-पैर मार रही है। एसओजी टीम को बड़ी सफलता इस मर्डर केस के दो दिन बात मिली जब सर्विलांस के जरिये रईस का ट्रेस कर लिया गया। मगर उनकी ये खुशी ज्यादा देर नहीं टिकी और रईस का नम्बर बंद हो गया। एसओजी सोर्स मान रहे हैं कि उसने नम्बर और हैंडसेट दोनों चेंज कर दिया है। बनारस में खंगाला जा रहा नेटवर्क शानू ओलंगा मर्डर केस में कानपुर पुलिस ने बनारस पुलिस से मदद मांगी है। डीआईजी और एसपी सिटी से कानपुर पुलिस लगातार सम्पर्क में है। रईस से जुड़े क्रिमिनल्स के नेटवर्क को खंगाला जा रहा है। जबकि मुख्तार और अन्नू त्रिपाठी के एक रिलेटिव की ओर से संचालित किए जा रहे नये गैंग के अलावा बनारस में जेल से संचालित एक और बदमाश के गैंग के नेटवर्क में शानू मर्डर केस से जुड़े बदमाशों को ढूंढने की कोशिश हो रही है। इस मामले में पुलिस रईस के फैमिली सहित उसके खास करीबियों पर निगाह गड़ाए हुए है।अन्नू, बाबू के बाद मुख्तार
रईस ने बनारस में दो बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया था इसमें चेतगंज में एक लूट और दूसरी भेलूपुर एरिया में हत्या के प्रयास के रूप में दर्ज है। पुलिस सोर्स ने बताया कि रईस का एक और भाई भी क्रिमिनल किस्म का है। मुहल्ले में इन दोनों भाइयों के चलते लोग परेशान थे। हालांकि पुलिस सख्ती के बाद ये दोनों ही यहां से गायब रहने लगे। रईस सबसे पहले अन्नू त्रिपाठी गैंग के कान्टैक्ट में आया। मगर जेल में अन्नू के मर्डर के बाद वह अन्नू के साथी बाबू यादव के गैंग से जुड़ गया। बाबू भी मारा गया तो वह कानपुर में जाकर रहने लगा। इसी बीच बनारस आते-जाते वह मुख्तार गैंग के कुछ मेम्बर्स के कांटैक्ट में आया। हालांकि पुलिस के पास इस बात के सबूत नहीं कि रईस मुख्तार गैंग के लिए काम कर रहा था मगर इस पॉसिबिलिटी को भी नहीं नकारा जा सकता है कि शानू मर्डर केस में इस गैंग का इन्वॉल्वमेंट हो। क्योंकि यदि शानू ओलंगा का खात्मा होने से इस गैंग को कानपुर में भी अपनी जड़े जमाने का मौका मिलता। ये भी पॉसिबल है कि इस मर्डर केस में कुछ बड़े नाम भी इन्वॉल्व हों।

Posted By: Inextlive