शायला मसूद के कत्ल साढ़े तीन महीने बाद शानू ओलंगा भी सरे राह कत्ल कर दिया गया. उसके कत्ल में आपके अखबार की बदौलत रईस बनारसी पुलिस गिरफ्त में है. आई नेक्स्ट ने ही थाली में सजाकर ये मुल्जिम पुलिस को पेश किया. मौके पर मौजूद दूसरा कातिल आज तक गायब है. जैसे कभी था ही नहीं. ठीक वैसे जैसे शायला के कत्ल में शामिल सलीम. जिसके बारे में सीबीआई को महज उसके नाम के अलावा कुछ नहीं पता.


वीआईपी रोड पर डीआईजी आफिस के करीब जिस तरीके से शानू को सरे सडक़ मारा गया, तसल्ली से गोलियों बरसाकर, तय था कि कातिल मामूली नहीं हैैं. अमूमन पुलिस सुबूत तलाशती है, लेकिन मौका-ए-वारदात पर शानू के कातिलों की तस्वीर छाप दी. पुलिस फिर भी कातिलों का पता न लगा सकी (या लगाना नहीं चाहा). जब आई नेक्स्ट के बनारस एडिशन के जरिये ये भी खुलासा हो गया कि कातिलों में से एक रईस बनारसी है, तो पुलिस मजबूरी में हिली. ये सारा काम अखबार करता रहा और अखबार में छपने के बाद मजबूरी में पुलिस.


मौके पर मौजूद दूसरे कातिल के बारे में इस बाबत पुख्ता तस्दीक नहीं हो सकी कि वो कौन है. उसका नाम मामा बिंद के तौर पर उभरा तो, लेकिन बस नाम बनकर रह गया. मामा कहां गया, पता नहीं. शायला के कत्ल की जांच में सीबीआई  सलीम नाम के एक नए किरदार को लेकर सामने आई है. जिसके बारे में सीबीआई और एसटीएफ के पास बस इतनी जानकारी है, कि उसका नाम सलीम है. न पता, न ठिकाना, न तस्वीर. इस कहानी से आप वाकिफ है. ये उलझी सी दास्तान जांच के लिए तीन संभावित रास्ते पेश करती है...1

पहली संभावना यही है कि मौके पर रईस बनारसी के साथ मौजूद शख्स सलीम था. जो शायला के कत्ल में शामिल था, और शानू ओलंगा को रास्ते से हटाकर जांच की कड़ी तोडऩा चाहता था.2.मामा बिंद और सलीम कहीं एक ही शख्स तो नहीं है. सीबीआई के पास महज एक नाम है. ये मामा बिंद का असली शिनाख्त छिपाने वाला नाम भी हो सकता है. लेकिन दिक्कत ये है कि सीबीआई या एसटीएफ अभी इस डायरेक्शन में काम नहीं कर रहे हैं कि सलीम और मामा बिंद एक ही शख्स हो सकते हैं3.मामा बिंद और सलीम के एक ही शख्स होने की संभावना इसलिए ज्यादा है कि शायला के कत्ल की सुपारी शाकिब के जरिये सलीम तक पहुंची और वारदात में शानू भी शामिल हो गया. मामा की असल शिनाख्त जानने वाला शानू ऊपर पहुंच गया. और शाकिब के लिए तो मामा की शिनाख्त सलीम के तौर पर थी ही. इरफान सीबीआई ने जेल में की पूछताछ

सीबीआई टीम ने पहले एसीएमएम-7 के यहां से एप्लीकेशन देकर इरफान से जेल में पूछताछ की परमीशन ली. सीबीआई के डीवी त्रिपाठी और पी.के राय चौधरी ने  कानपुर जेल में 1.40 मिनट पर जेल में दाखिल हुए थे और  4.40 मिनट  पर बाहर निकले. इस दौरान उन्होंने इरफान से सख्ती से पूछताछ की. जेल सोर्सेज ने बताया कि पहले तो उन्होंने इरफान का नाम,पता और परिवार के बारे में पूछा. 1.कितनी बार जेल गए. 2.सलीम कहां हैं.3.उससे  मुलाकात कैसे हुई. 4.अंडरवल्र्ड में कैसे आए. 5.सुपारी देने वाले से क्या बात हुई थी.

6.शयला मर्डर में कौन कहां पर था.7.किसने रोका और किसने गोली चलाई. 8.मर्डर के लिए असलहे कहां से लिए थे.

Posted By: Kushal Mishra