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मुकदमे महिला उत्पीड़न के 2018 में दर्ज हुए.

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मुकदमों का ही विवेचकों द्वारा 2018 में निस्तारण किया गया.

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मुकदमे महिला उत्पीड़न के 2019 में अब तक दर्ज हुए.

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मुकदमों का विवेचकों ने जनवरी से मार्च 2019 तक किया निस्तारण.

-इंसाफ के लिए भटक रही हैं प्रताड़ना की शिकार सैकड़ों महिलाएं

-मुसीबत की इस घड़ी में महिला थाने तक का सफर उन्हें और दे रहा है कष्ट

PRAYAGRAJ: एक तो अपनों का जुल्म और उसपर थाने तक की दूरी सितम बन गई है. कुछ ऐसी ही कहानी है जिले में अपराध का शिकार महिलाओं की. महिलाओं के उत्पीड़न वाले केवल सिविल लाइंस स्थित महिला थाना में दर्ज होने का फरमान उनके लिए मुसीबत बन चुका है. आलम यह है कि रिपोर्ट दर्ज कर न्याय दिलाने के बजाय थाना पुलिस उन्हें महिला थाने भेज दे रही है. ऐसे में उनकी मुसीबत दोगुनी हो जा रही है. दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने ऐसी ही कुछ महिलाओं से उनकी समस्या पर बात की.

केस-1

उतरांव एरिया के बेनीपुर आसेपुर की माया शर्मा काफी आहत हैं. छह साल पहले उनकी शादी प्रतापगढ़ के परसरामपुर गांव निवासी सुधीर शर्मा से हुई. उन्होंने बताया कि शादी के पहले दिन से ही कम दहेज मिलने को लेकर ससुरालियों द्वारा तंज कसा जाने लगा था. सुधीर भी परिवार वालों की तरह ही बर्ताव करता था. यह बात उसने अपने भाई को बताई. मैनेज करने की उसकी सारी कोशिशें नाकाम हुई तो वह अपने उतरांव आ गई. थाने गई तो उसे शहर स्थित महिला थाना भेज दिया गया. आज तक उसे इंसाफ नहीं मिल सका. सिलाई करके वह केस की पैरवी करने के लिए पैसे इकट्ठा करती है.

केस 2

कोतवाली क्षेत्र के कोठापार्चा निवासी गोविंद शर्मा की पुत्री विदुषी शर्मा के साथ भी ससुरालियों ने कुछ ऐसा ही किया. ससुरालियों के बर्ताव से खिन्न विदुषी उनका नाम तक लेना उचित नहीं समझती. वह कहती हैं, पति सहित उसका पूरा परिवार आए दिन दहेज को लेकर प्रताडि़त करता था. पेट में बच्चा आया तो उसे गिरवाने तक की साजिश रची गई. ससुराल की नारकीय जिंदगी से तंग विदुषी पिता के घर आ गई. थाने गई तो पुलिस ने बगैर उसकी बात सुने महिला थाने का रास्ता दिखा गया. करीब चार माह से वह महिला थाने का चक्कर लगा रही है. आज तक उसे इंसाफ नहीं मिल सका.

बाक्स

552 केस 2018 के ऐसे हैं जिनकी विवेचनाएं शेष हैं

98 केस 2019 के हैं जिनकी विवेचना शेष है

19 महिला दरोगा ही महिला थाने में हैं तैनात

43 महिला सिपाही तैनात की गई हैं महिला थाने में

वर्जन

महिलाओं की समस्या एक महिला दरोगा या सिपाही अच्छी तरह से सुन सकती है. इसलिए उन्हें महिला थाने भेजा जाता है. तमाम ऐसी बातें होती हैं जो उनसे पुरुष दरोगा या सिपाही नहीं पूछ सकते. रही बात मुकदमों के सुस्त विवेचना की तो सभी महिला दरोगाओं को विवेचना में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं.

-अतुल शर्मा, एसएसपी प्रयागराज

Posted By: Vijay Pandey