महाशिवरात्रि पर बाबा विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक को जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए पर्याप्त सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है। वैसे भी यदि विश्वनाथ मंदिर में दर्शन को लाइन लंबी है तो काशी के अन्य प्रमुख शिव मंदिरों में दर्शन-पूजन को जा सकते है।

श्री विश्वनाथ मंदिर, बीएचयू

श्री विश्वनाथ मंदिर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (मेन गेट से दक्षिण-पश्चिम) के परिसर के अंदर 1.7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

बीएचयू स्थित श्री विश्वनाथ मंदिर, परिसर में भगवान शिव के साथ ही

नौ मंदिर हैं। शिव मंदिर ग्राउंड फ्लोर में है और लक्ष्मी नारायण और दुर्गा मंदिर पहली मंजिल पर हैं। परिसर के अन्य मंदिरों में नटराज, माता पार्वती, भगवान गणेश, पंचमुखी महादेव, हनुमान जी, सरस्वती का भी मंदिर है।

सारंगनाथ मंदिर, सारनाथ

भगवान बुद्ध की उपदेश स्थली के करीब सारनाथ में सारंगनाथ मंदिर हैं। मान्यता है कि शिवरात्रि में यदि एक बार सारंगनाथ के दर्शन हो जाएं तो काशी विश्वनाथ के दर्शन के बराबर पुण्य का भागी होता है मनुष्य। इस मंदिर में एक साथ मौजूद है दो शिवलिंग एक छोटा तो एक बड़ा। कैंट रेलवे स्टेशन से लगभग सात किलो मीटर दूर है सारंगनाथ मंदिर।

मार्कण्डेय महादेव कैथी

बनारस से करीब 30 किमी दूर गंगा तट पर स्थित मार्कण्डेय महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है। वाराणसी-गाजीपुर राजमार्ग पर कैथी गांव स्थित मार्कण्डेय महादेव मंदिर की मान्यता है कि महाशिवरात्रि और उसके दूसरे दिन श्रीराम नाम लिखा बेल पत्र अर्पित करने से पुत्र रत्‍‌न की प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है। महाशिवरात्रि व सावन मास में यहां राम नाम लिखा बेलपत्र व एक लोटा जल चढ़ाने से ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

तिलभांडरेश्वर महादेव

शिव की नगरी काशी में तिलभांडेश्वर महादेव का मंदिर है। बंगाली टोला के करीब स्थित मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां मौजूद विशालकाय शिवलिंग तिल के बराबर बढ़ता है, जिसकी वजह से इस मंदिर को तिलभांडेश्वर के नाम से जाना जाता है। महाशिवरात्रि में शिवलिंग की आराधना का विशेष महत्व है।

कर्मदेश्वर महादेव मंदिर, कंदवा

बीएचयू से पांच किमी दूर पश्चिम-दक्षिण दिशा में स्थित कंदवा में कर्मदेश्वर महादेव मंदिर है। उत्तरवाहिनी गंगा किनारे एक बड़े चतुर्भुजा तालाब के पश्चिमी छोर पर स्थित यह मंदिर उड़ीसा के विकसित मंदिरों से प्रेरित है। मान्यता है कि यहां दर्शन पूजन करने से बीमारियों का समूल नाश होता है। महाशिवरात्रि पर यहां भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।

शूलटंकेश्वर महादेव

काशी से लगभग 15 किलोमीटर दूर बच्छाव में स्थित है शूलटंकेश्वर महादेव मंदिर। इस मंदिर में मौजूद विशालकाय शिवलिंग का दर्शन करने दूर-दराज से भक्त आते हैं।

रामेश्वर महादेव

शहर से करीब 18 किमी दूर हरहुआ में स्थित रामेश्वर महादेव मंदिर काफी प्राचीन है। वरूणा तट पर मंदिर में दर्शन-पूजन का बहुत महात्म है। मान्यता है कि यहां मत्था टेकने से समस्त रोगों का नाश होता है।

Posted By: Inextlive