1975 में बनी फ़िल्म शोले को भला कौन भूल सकता है. यह उन चुनिंदा फ़िल्मों में से है जिसके डायलॉग और सीन हर किसी को ज़ुबानी याद हैं.


शोले फ़िल्म के सभी किरदार, फिर वो चाहे जय और वीरू हों, या बसंती और मौसी, सभी अपने आप में यादगार हैं.फ़िल्म शोले अब एक बार फिर से हम सब के बीच आ रही है.आप सोच रहे होंगे कि क्या एक बार फिर से  राम गोपाल वर्मा की ‘आग’ के बाद कोई और इसका रीमेक बना रहे हैं. तो हम आपको बता दें कि ऐसा कुछ नहीं हो रहा है.शोले आप सबके बीच आ तो रही है पूरे 37 साल बाद, लेकिन थ्रीडी में."अगर मैने शोले नहीं देखी होती तो मैं शायद कभी निर्देशक ही नहीं बन पाता. शोले में गब्बर सिंह का वो डायलॉग 'ये हाथ मुझे दे दे ठाकुर' मुझे बहुत रोमांचित करता है."-राम गोपाल वर्माः शोले की रिमेक 'रामगोपाल वर्मा की आग' के निर्देशकबिग बी को 'तोहफा'


भारतीय सिनेमा की मशहूर फ़िल्म से एक 'शोले' को अब आप थ्रीडी में देख पाएंगे.15 अगस्त को फ़िल्म 'शोले' अपने 38 साल पूरे करेगी और इस मौके पर इस फ़िल्म के थ्रीडी लुक को पहली बार दिखाया जाएगा.फ़िल्म को थ्रीडी में बदलने में लगभग 16 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं जिसे एक नए रंग रूप और तकनीक के साथ सितबंर में रिलीज़ किया जाएगा.

फ़िल्म 'शोले' ने अमिताभ बच्चन को वो कामयाब दिलाई जिसकी कल्पना हर कलाकार करता है. आज वो बॉलीवुड के शहंशाह कहे जाते हैं.पेन फ़िल्म के मालिक 'जयंती लाल गड़ा' इस फ़िल्म को 11 अक्टूबर के दिन रिलीज कर अमिताभ बच्चन को उनके जन्मदिन का तोहफा देंगे.फ़िल्म शोले 15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई थी. इसका निर्देशन किया था रमेश सिप्पी ने और इसकी कहानी लिखी थी जावेद अख़्तर और सलीम ख़ान ने.फ़िल्म में अमिताभ बच्चन के साथ-साथ  धर्मेंद्र, संजीव कुमार, हेमा मालिनी, जया भादुड़ी, अमजद खान मुख्य भूमिका में थे.शोले भारतीय फ़िल्म के इतिहास मे ऐसी पहली फ़िल्म बनी, जिसने सौ से भी ज्यादा सिनेमाघरों मे सिल्वर जुबली मनाई.

Posted By: Satyendra Kumar Singh