हिंदी फिल्मों में बायोपिक फिल्मों का चलन जोरों पर है। वहीं शॉर्ट फिल्म भी इस मामले में पीछे नहीं है। 29 जुलाई को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने वाली शार्ट फिल्म 'चलो जीते हैं' सत्य घटना से प्रेरित है। यह एक बच्चे की कहानी है जो देश के लिए कुछ करना चाहता है। बालक का नाम नरु है।


मुंबई(ब्यूरो)। हिंदी फिल्मों में बायोपिक फिल्मों का चलन जोरों पर है। वहीं शॉर्ट फिल्म भी इस मामले में पीछे नहीं है। 29 जुलाई को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने वाली शार्ट फिल्म 'चलो जीते हैं' सत्य घटना से प्रेरित है। यह एक बच्चे की कहानी है, जो देश के लिए कुछ करना चाहता है। बालक का नाम नरु है। 

पीएम मोदी के बचपन से प्रेरित फिल्म 

स्वामी विवेकानंद की किताब पढ़ने के दौरान नरु उनके विचार, 'वही जीते हैं जो दूसरों के लिए जीते हैं' से बहुत प्रभावित होता है। वह दूसरों के लिए क्या कर सकता है, यह सवाल उसे मथता है। वह दूसरों से भी इसके जवाब मांगता है। सूत्रों के मुताबिक, यह शॉर्ट फिल्म प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बचपन से प्रेरित है। यह कहानी 'सामाजिक समरता' किताब से ली गई है। यह किताब नरेंद्र मोदी के विचारशील और चिंतनपरख लेखों का संकलन है।' 

32 मिनट की है फिल्म 

32 मिनट की यह फिल्म मंगेश हदावाले ने निर्देशित की है। उनकी डेब्यू मराठी फिल्म 'टिंगिया' को राष्ट्रीय समेत कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले थे। भूषण कुमार और महावीर जैन द्वारा निर्मित यह शॉर्ट फिल्म जिंदगी के मकसद को तलाशती है। साथ ही भलाई की ताकत को चित्रित करने का प्रयास है। 

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