- मानसिक परीक्षण करने से मेंटल हॉस्पीटल ने किए हाथ खडे़

- आधे आवेदकों का नहीं हो सकेगा परीक्षण तब तक लग जाएगी आचार संहिता

आगरा। शस्त्र लाइसेंस के आवेदनों के बोझ से मेंटल हॉस्पीटल हांफने लगा है। अब तक करीब 5500 से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं। रोजाना भारी संख्या में लोग मानसिक योग्यता को जांचने के लिए पहुंच रहे हैं। 2019 में लोकसभा चुनाव के चलते आचार संहिता लगने के डर से लोग दबाव भी बना रहे हैं। ऐसा ही हाजल रहा तो निश्चित तौर पर सैकड़ों आवेदन आचार संहिता लगने के कारण लटक जाएंगे। इसे ध्यान में रखते हुए मेंटल हॉस्पीटल के अधीक्षक ने सीएमओ से अन्य उच्च संस्थानों में मानसिक परीक्षण कराए जाने की व्यवस्था किए जाने का अनुरोध किया है।

मेंटल हॉस्पीटल में ही हो रहा है परीक्षण

शस्त्र लाइसेंस के लिए मानसिक परीक्षण केवल मेंटल हॉस्पीटल में ही किया जा रहा है। एक दिन में केवल चार से पांच लोगों का ही मानसिक परीक्षण संभव है। चिकित्सा अधीक्षक मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय ने सीएमओ को लिखकर अनुरोध किया है कि एसएन मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल के साथ ही अन्य संस्थानों में भी मानसिक परीक्षण कराया जाए, क्योंकि यह एक सतत प्रक्रिया है, जो कि निहित समय सीमा के अंतर्गत होती है। ऐसे में लगातार दबाव बढ़ता जा रहा है, जिसे देखते हुए अन्य उच्च संस्थानों में परीक्षण कराए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

आचार संहिता के दृष्टिगत है जरूरी

सीएमओ को लिखे पत्र में इस बात का उल्लेख किया गया है कि यह एक समयबद्ध प्रक्रिया है। जिसमें वर्तमान में एक दिन में केवल चार से पांच लोगों का ही परीक्षण संभव है। इस स्थिति में आवेदकों को तिथि निश्चित कर भविष्य में आने के लिए कहा जाता है। आवेदक आचार संहिता के दृष्टिगत विधिवत लगने वाले समय को लेकर आपत्ति और रोष दर्ज करा रहे हैं। लोगों के व्यवहार को देखते हुए भविष्य में कोई भी घटना गठित हो सकती है। इसके पीछे प्रमुख कारण आचार संहिता ही है। जितने आवेदक हैं, उसके मुताबिक अन्य स्थानों पर भी मानसिक परीक्षण की व्यवस्था की जाए।

तीन दिन एसएन मेडिकल कॉलेज होना था परीक्षण

बैठक के दौरान यह निश्चित हुआ था कि सप्ताह में केवल तीन दिन एसएन मेडिकल कॉलेज में मानसिक परीक्षण होना था, लेकिन केवल मेंटल हॉस्पीटल में ही परीक्षण हो रहा है। क्यों न एसएन मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में भी परीक्षण शुरू कराया जाए।

मनोचिकित्सकों की है कमी

जनपद में मनोचिकित्सकों की कमी है। जिसके कारण यह परेशानी उत्पन्न हो रही है। लेकिन अन्य उच्च संस्थानों में भी मानसिक परीक्षण हो सके, इसके लिए प्रयास शुरू हो गए हैं।

ऐसे तो लग जाएंगे पांच साल

अगर हम 5500 आवेदनों की बात करते हैं तो, इन आवेदकों की मानसिक परीक्षण प्रक्रिया में करीब पांच साल लगेंगे। इस बीच अगर औपचारिकता पूर्ण करने के बाद छह माह से अधिक समय निकल जाता है तो फिर से सारी प्रक्रिया पूर्ण करनी होंगी। इससे तो ऐसा लगता है कि लाइसेंस के नाम पर प्रक्रिया पूर्ण करने में आवेदक लगा रहेगा।

Posted By: Inextlive