- द अध्ययन स्कूल के कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंची पद्मिनी कोल्हापुरे

- आई नेक्स्ट से अपने करियर के बारे में खुलकर की बातचीत

Meerut : 'ये गलियां ये चौबारा, यहां आना न दोबारा'। यह गाना जहन में आते ही मात्र क्भ् साल की मासूम लड़की की याद आती है, जिसका नाम पद्मिनी कोल्हापुरे है। अपने फिल्मी करियर में बाल कलाकार के बाद एक परिपक्व कलाकार के रूप में अपनी छाप छोड़ने वाली पद्मिनी कोल्हापुरे ने कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया। आज भी जब वो फिल्मी पर्दे पर किसी हीरो की मां की रोल में नजर आती है तो वो मासूमियत झलकती है जो कभी प्रेम रोग फिल्म में थी। रविवार को शताब्दी नगर स्थित 'द अध्ययन स्कूल' के कार्यक्रम में शिरकत करने आई तो पत्रकारों से अपने फिल्मी करियर के बारे में खुलकर बातचीत की।

माधुरी दीक्षित, जूही चावला, तब्बू और आपके दौर की बाकी हीरोइन की तरह आपका कमबैक कब होने जा रहा है?

मेरी कुछ महीनों पहले एक फिल्म आई थी 'फटा पोस्टर निकला हीरो'। जिसमें मैंने फिल्म के हीरो की मां का रोल प्ले किया। फिर मेरी एक फिल्म आई माई। अभी दो-तीन प्रोजेक्ट्स हैं मेरे पास, जिनके बारे में मैं सोच रही हूं। साथ ही मैंने हास्य नाटक 'बाप का बाप' में काम किया है, जिसमें असरानी जी हैं।

जितनी भी पुरानी हीरोइनों ने कमबैक किया। बाद में उनका ग्राफ उतना परवान नहीं चढ़ सका। इसका क्या रीजन मानती है?

देखिये हर हीरोइन अपना एक दौर होता है। जिन्हें देखकर लोग खुश होते हैं। उनकी फिल्मों को ज्यादा से ज्यादा देखना चाहते हैं। बाद में जब उनका कमबैक होता है तो पुरानी एक्ट्रसेस का दौर थोड़ा कम हो जाता है।

आज आप अपने करियर ग्राफ को देखती हैं तो अपने आप को कहां पाती हैं?

मैंने चाइल्ड एक्टर के तौर पर काम करना शुरू किया। उसके बाद मैंने जब लीड रोल करने शुरू किए तो कई दिग्गजों के साथ काम किया। राज कपूर, संजीव कुमार, दिलीप कुमार, देवानंद। उसके बाद मुझे कई गाने काफी बेहतरीन मिले तो मैं अपने करियर से काफी खुश हूं।

ऐसा कोई रोल जिसे आप करना चाहती हों, लेकिन न कर पाई हों?

देखिये जब भी कोई एक्टर स्क्रिप्ट पढ़ता है और उसे वो कहानी दिल को छू जाती है, वो उसके लिए बेहतरीन रोल हो जाता है। ये दरिया है। मैंने ऐसा कोई रोल नहीं सोचा कि इस रोल को करने के बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा या तृप्त हो जाऊंगी।

आप आज की दौर फिल्में देखती हैं तो क्या कमी पाती हैं?

आज के दौर की फिल्में तो और भी ज्यादा टेक्नीकली साउंड हो रही है। बहुत बेहतरीन और टैलेंटेड कलाकार आ रहे हैं। अच्छी फिल्में बना रहे हैं। मुझे कोई कमी नहीं दिखाई देती।

आप आज के दौर के किन डायरेक्टर्स के साथ काम करना चाहती हैं?

मैं राजकुमार संतोषी के साथ करना चाहती थी। मैंने उनके साथ फटा पोस्टर निकला हीरो फिल्म में काम किया। उसके बाद नाम संजय लीला भंसाली के साथ काम करना चाहती हूं।

आपको नहीं लगता कि टेक्नीक स्टोरी पर ज्यादा हावी हो रही है?

देखिये दोनों एक साथ चल रही हैं। जहां कई फिल्मों को तकनीक का ज्यादा उपयोग हो रहा है। वहीं अच्छी कहानियां भी आ रही है। जैसे 'एक कहानी' काफी स्क्रिप्ट और कहानी के साथ आई। कमर्शियल फिल्मों में तकनीक का उपयोग होता है। पहले भी होता था।

आप भी चाइल्ड एक्टर से लीड एक्टर तक काफी सक्सेस रही? लेकिन आज के दौर में ऐसा नहीं देखा जा रहा क्यों?

हमारे दौर में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती थी, लेकिन आज काफी मेहनत काफी ज्यादा है। कॉम्पटीशन काफी टफ है। एक-एक फिल्म के लिए एक्टर्स की लाइन लगी हुई है। ऐसे में कई चाइल्ड एक्टर फिल्मों में सक्सेस नहीं हुए।

श्रद्धा कपूर आपकी भतीजी हैं। आपसे फिल्मों के बारे में या करियर के बारे में किस तरह की सलाह लेती हैं?

फिल्मों की सेलेक्शन से लेकर मीडिया से बातचीत तक सभी तरह की सलाह लेती है। वो धीरे-धीरे परिपक्व हो रही है। अच्छी फिल्में भी की हैं। उसका करियर ग्राफ काफी आगे जाएगा। मेरा ऐसा मानना है।

आपको अपनी फिल्मों में की गई कौन सी यादगार भूमिका मानती हैं?

मेरे करियर की सबसे यादगार भूमिका प्रेमरोग की मानू की है। मेरे चाहने वाले प्रेमरोग से मुझे ज्यादा प्यार करते हैं।

क्980 के दशक की तुलना में आप आज महिलाओं को कितना सेफ और अनसेफ मानती हैं?

महिलाओं के लेकर काफी सुरक्षा बढ़ी है। थैंक्स टू मीडिया कि वो हर चीज सामने लेकर आता है। हर कोई भी कुछ करने उसे पहले कई बार सोचता है। मैं दिल्ली से मेरठ आई तो मुझे ऐसा कोई फील नहीं हुआ कि मैं असुरक्षित हूं।

पाक्षिक कार्यशाला का हुआ रंगारंग समापन

रूद्गद्गह्मह्वह्ल : रविवार को 'द अध्ययन स्कूल' में पाक्षिक कार्यशाला का समापन बड़े रंगारंग अंदाज में हुआ। स्टूडेंट्स के चहुंमुखी विकास को देखते हुए रंगबाज गु्रप के कुशल प्रशिक्षकों से संगीत-गायन और नृत्य एवं अभिनय का प्रशिक्षण दिलवाया गया। उसके बाद स्टूडेंट्स ने अपने कार्यशाला को सफल बनाते हुए राष्ट्रगान, गणेश वंदना, ओल्ड इज गोल्ड, फ्री स्टाइल नगाड़ा, हिपहॉप डांस दिखाकर सभी मंत्रमुग्ध कर दिया। उसके बाद अरे वाह-वाह, सुरात्रि प्यारी, जिस देश में गंगा बहती, पिया घर आएंगे जैसे मधुर गीतों को अपने स्वर देकर वातावरण को सम्मोहित कर दिया। वहीं इस मौके पर बॉलीवुड की सुप्रसिद्ध अदाकारा पद्मिनी कोल्हापुरे पहुंची। जिनका सभी ने बड़े ही गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। अंत में स्कूल के वरिष्ठ संचालक प्रियांशु अग्रवाल, शिक्षण सलाहकार सुनील त्यागी, प्रिंसीपल शर्मिला वासु राय ने विशिष्ठ अतिथि पद्मिनी कोल्हापुरे का आभार व्यक्त किया।

Posted By: Inextlive