Shrilal Shukla is no more
साहित्य जगत में श्रीलाल शुकल एक बड़ा नाम है। 2009 के लिए ज्ञानपीठ अवाड्र से सम्मानित किए गए श्री शुक्ल का जन्म 1925 में हुआ था। और उन्हें 2008 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है।
श्री शुक्ल ने लखनउ में अपनी अंतिम सांस ली। उनकी फेमस बुक्स में राग दरबारी नावेल का नाम सबसे पहले लिया जाता है। इसके अलावा माखन, सूनी घाटी का सूरज, पहला पड़ाव, अज्ञातवास और विश्रामपुर का संत भी खासे चर्चित रहे हैं।साहित्य प्रेमियों और साहित्यकारों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। वह पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे और हास्पिटल में एडमिट थे।