कानपुर लोकसभा सीट पर इस बार दो दिग्गज नेता आमने-सामने हैं. एक तरफ हैं कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल और दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता नेता मुरली मनोहर जोशी हैं.


केंद्रीय मंत्री जायसवाल कानपुर से जीत की हैट्रिक लगा कर चौथी बार चुनाव में उतर रहे हैं, जबकि नरेंद्र मोदी के लिए वाराणसी की सीट खाली करने के बाद मुरली मनोहर जोशी को कानपुर से भाजपा ने टिकट दिया है.इन दिग्गजों की टक्कर पर कई लोगों को फ़िल्म 'शोले' में गब्बर सिंह का एक संवाद याद आ रहा है, "अब आएगा मजा."ये वाक्य गब्बर सिंह तब कहता है जब जय और वीरू ने उसके पांच आदमी मार दिए थे.लोक सभा चुनाव का बिगुल फूँका जा चूका है, प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं.सीट का त्यागयह तो काफ़ी पहले से ही क़रीब करीब तय था कि कानपुर से कांग्रेस के टिकट पर श्रीप्रकाश जायसवाल ही मैदान में उतरेंगे. चुनाव विश्लेषक उनकी एक आसान जीत की बात कर भी रहे थे.


लेकिन जब मुरली मनोहर जोशी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी को नरेंद्र मोदी के लिए छोड़ कर कानपुर से लड़ने को तैयार हुए तब सारे पुराने समीकरण बदल गए.

पंडित पृथिनाथ कॉलेज के राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर डॉ राजेश गुप्ता कहते हैं, "कानपुर के इतिहास में इतना रोचक चुनाव पहली बार होने जा रहा है. एक तरफ़ कांग्रेस के श्रीप्रकाश जयसवाल हैं जो अपनी पार्टी में बड़ा ओहदा रखते हैं, मंत्री हैं तो उनके सामने भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेताओं के श्रेणी में आने वाले मुरली मनोहर जोशी हैं."श्रीप्रकाश जायसवाल कानपुर के है और जोशी बाहरी. इस सवाल के जवाब में मैथानी कहते हैं, "मुरली मनोहर जोशी ने नरेंद्र मोदी के लिए अपनी वाराणसी सीट का बलिदान किया है."वहीं उत्तर प्रदेश के कांग्रेस कमिटी के सचिव डॉ शैलेन्द्र दीक्षित भी इस बात को नकार रहे हैं कि टक्कर कांटे की होगी.वे कहते हैं, "कानपुर के लोगों के सामने दो प्रतिनिधि हैं. एक तरफ़ कानपुर की जनता की 15 साल तक सेवा करने वाले श्रीप्रकाश जायसवाल हैं और दूसरी तरफ मुरली मनोहर जोशी जो हर पांच साल के बाद एक नया चुनावी क्षेत्र चुनते हैं.वे कहते हैं, "हम तैयार हैं. कानपुर की जनता भी तैयार है. कानपुर की जनता किसी भी सूरत में एक बाहरी प्रत्याशी को न चुनेगी, न स्वीकार करेगी."

Posted By: Subhesh Sharma