- क्योंकि जुलाई से चातुर्मास के साथ लग रहा है अधिक मास

- ग्रह-नक्षत्रों की चाल के कारण इस साल शुभ लग्नों की संख्या है कम

ALLAHABAD: ग्रह-नक्षत्रों के आधार पर शुभ कार्य के लिए कदम उठाने वाले अलर्ट हो जाएं। मांगलिक कार्य के साथ ही अगर पुत्र-पुत्री का विवाह करना है तो फिर दो जुलाई से पहले की ही डेट फिक्स कर लें। नहीं तो फिर नवंबर तक का इंतजार करना पड़ेगा। क्योंकि दो जुलाई से अधिक मास लगने जा रहा है। अधिक मास के बाद हरिशयन मास यानी चातुर्मास लग जाएगा, जो नवंबर के अंतिम सप्ताह में समाप्त होगा। नवंबर के अंतिम सप्ताह में केवल एक दिन का शुभ लगन मिलने के बाद दिसंबर से शुभ लगन शुरू होगा।

इस बार लगनों की संख्या है कम

सम्वत परिवर्तन के साथ ही हिंदू पंचांग के अनुसार नया वर्ष शुरु हो चुका है। जो यह बताता है कि इस साल पिछले वर्ष की अपेक्षा शुभ लगनों की संख्या कम है। अप्रैल, मई और जून में जहां ठीक-ठाक लगन हैं। वहीं अधिक मास और हरिशयन मास के बाद ख्म् नवंबर को प्रबोधिनी एकादशी से मंगल कार्यो की शुरुआत होने पर लगनों की संख्या कम है। दिसंबर में केवल तीन लगन है। वहीं जनवरी, फरवरी और मार्च में भी पिछले वर्ष की अपेक्षा लगनों की संख्या कम है।

बुक कर लें गेस्ट हाउस

नवंबर के बाद शुभ लगन की तिथि कम होने के कारण गेस्ट हाउस के लिए मारामारी शुरू हो गई है। जिन लोगों ने नवंबर के बाद विवाह की प्लानिंग कर रखी है, उन्होंने अभी से ही गेस्ट हाउस, लॉन, बैंड बाजा, डीजे, घोड़ी, रथ आदि की बुकिंग शुरू कर दी है। कईयों ने तो बुकिंग भी कर ली है। ऐसे में नवंबर के बाद क्राइसेज पीरियड में रेट और बढ़ेगा।

जून तक कर लें कन्या दान

इस समय उच्च कोटी का वृहस्पति चल रहा है। इस समय देव गुरु वृहस्पति कर्क राशि में हैं। कर्क राशि में देवगुरु वृहस्पति सबसे मजबूत माने जाते हैं। ज्योतिषाचार्यो की मानें तो उच्चकोटि का वृहस्पति क्ख् साल बाद आता है। जो अब समाप्ति की ओर है। दो जुलाई के बाद वृहस्पति की राशि बदल जाएगी। मलमास व चातुर्मास के बाद नवंबर में वृहस्पति सिंह राशि में आ जाएगा.सिंह की अपेक्षा कर्क राशि में वृहस्पति काफी बलवान होते हैं।

वृहस्पति की कृपा से होता है विवाह

कन्या का विवाह देव गुरु वृहस्पति की कृपा से होता है। जन्म कुंडली के अनुसार यदि कन्या का वृहस्पति मजबूत हो तो उनका विवाह जल्दी हो जाता है। जिनका वृहस्पति कमजोर होता है, उनका उपायों से मजबूत बनाया जाता है। जून तक कन्या का विवाह कर लेने यानी कन्या दान करने पर देव गुरु वृहस्पति की विशेष कृपा मिलेगी।

नौ ग्रहों में विवाह का सर्वाधिक संबंध वृहस्पति से है। वृहस्पति कमजोर होने पर विवाह में देरी होती है। दो जुलाई के बाद उच्च कोटी के वृहस्पति का योग बदल जाएगा, इसलिए जून तक कन्या का विवाह कर लेना उचित होगा। मलमास व वृहस्पति के सिंह राशि में होने की वजह से इस साल पिछले वर्ष की अपेक्षा विवाह के कम लग्न बन रहे हैं।

ज्योतिषाचार्य आशुतोष वाष्र्णेय

निदेशक, ग्रह नक्षत्रम ज्योतिष शोध संस्थान

सिविल लाइंस

ख्0क्ब्-क्भ्- के शुभ लग्न

अप्रैल- क्म्, क्8, क्9, ख्0, ख्क्, ख्ख्, ख्म्, ख्7, ख्8

मई- क्, ख्, 7, 8, 9, क्0, क्क्, क्7, क्8, क्9, ख्ब्, ख्भ्

जून- भ्, म्, 7, 9, क्0, क्क्, क्ख्, क्9, ख्0, ख्क्, ख्भ्

जुलाई- क्, ख्

अगस्त- गुरु अस्त व हरिशयन- चातुर्मास के कारण विवाह मुहुर्त नहीं

सितंबर- हरिशयन चातुर्मास व शुकास्त दोष के कारण विवाह मुहुर्त नहीं।

अक्टूबर- हरिशयन चातुर्मास व शुकास्त के कारण विवाह मुहूर्त नहीं।

नवंबर- शुकास्त व शुभ लग्न के अभाव में मुहूर्त नहीं।

दिसंबर- क्, क्ब्, क्भ्

जनवरी ख्0क्भ्- क्8, ख्म्, फ्0

फरवरी ख्0क्भ्- 7, 8, क्0, क्क्, क्ख्, क्भ्, क्म्, ख्म्, ख्7

मार्च- 7, क्0, क्क्, क्ख्

ख्0क्भ्-क्म्- के शुभ लग्न

अप्रैल- क्म्, ख्क्, ख्ख्, ख्7, ख्8, ख्9, फ्0

मई- 7, 9, क्ब्, ख्भ्, ख्7, ख्8, फ्0, फ्क्

जून- ख्, फ्, ब्, भ्, म्, क्0, क्क्, क्ख्

जुलाई- अधिक-मल-मास व हरिशयन चातुर्मास के कारण विवाह मुहूर्त नहीं।

अगस्त- शुक्र और गुरु के अस्त तथा हरिशयन चातुर्मास के कारण विवाह मुहूर्त नहीं है।

सितंबर- गुरु अस्त व हरिशयन के कारण विवाह मुहूर्त नहीं है।

अक्टूबर- हरिशयन चातुर्मास के कारण विवाह मुहूर्त नहीं है।

नवंबर- ख्म्

दिसंबर- 7, 8,क्फ्, क्ब्

जनवरी ख्0क्म्- क्9, ख्0, ख्7, ख्8, ख्9

फरवरी ख्0क्म्- 7, क्ख्, क्म्, क्7, ख्ख्, ख्ब्, ख्भ्, ख्म्, ख्9

मार्च ख्0क्म्- क्, फ्, भ्

Posted By: Inextlive