- लगेज उतरवाने के लिए निर्धारित समय से अधिक देरी तक रोकी जा रही ट्रेनें

- लगेज उतरवाने के लिए निर्धारित समय से अधिक देरी तक रोकी जा रही ट्रेनें

BAREILLY:

BAREILLY:

बरेली जंक्शन फ्राइडे को दोपहर के 0क्.भ्भ् बजे होंगे। हावड़ा-हरिद्वार कुम्भ एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म नम्बर-ख् पर आकर रुकती है। बरेली में ट्रेन का ठहराव भ् मिनट का है, लेकिन ट्रेन प्लेटफॉर्म पर दोपहर 0ख्.0ब् मिनट तक रुकी रही। यानि, ठहराव समय से ब् मिनट विलंब से ट्रेन को रवाना किया गया। जबकि, कुम्भ एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय सुबह क्क्.0भ् जंक्शन पर पहुंचने की बजाय पहले से ही ख् घंटे लेट पहुंची थी, लेकिन लगेज उतारने के लिए ट्रेन को आगे बढ़ने के लिए सिग्नल ही नहीं दिया गया। यह स्थिति सिर्फ कुम्भ एक्सप्रेस के साथ नहीं है। ऐसा बाकी ट्रेनों के साथ भी है। जिस भी ट्रेन में लगेज कैरी किए जा रहे हैं उन सभी के साथ है। माल मंगा रहे व्यापारियों से मिलीभगत कर रेल अधिकारी ट्रेनों के ठहराव का समय बढ़ा रहे हैं। लिहाजा, एक के बाद एक ट्रेनों का रनिंग शेड्यूल बिगड़ रहा है, जिसका खामियाजा ट्रेन के लेट होने से यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है।

नहीं दिया आगे बढ़ने का सिग्नल

कुम्भ एक्सप्रेस में भ्0 से अधिक नग मिर्च और पान के थे। जिन्हें जंक्शन पर उतारा जा रहा था। ट्रेन ठहराव के भ् मिनट बीत जाने पर लोको पायलट और गार्ड ट्रेन को आगे बढ़ाने के लिए लगातार वायरलेस पर सिग्नल मांगते रहे, लेकिन स्टेशन मास्टर और कंट्रोल रूम से लगेज उतरने तक ट्रेन को आगे बढ़ने की इजाजत नहीं दी गई, जब तक एसएलआर कोच से सारा लगेज उतर नहीं गया। ट्रेन को पूरे 9 मिनट बाद ही रवाना किया गया। यहीं कारण है कि कोहरा खत्म होने और ट्रैक मेंटीनेंस का काम पूरा होने के बाद भी ट्रेनें भ्-क्0 घंटे लेट चल रही है। सैटरडे को तो अप लाइन की आला हजरत एक्सप्रेस और डाउन लाइन की जननायक एक्सप्रेस को लेटलतीफी के कारण ही रद करना पड़ा।

ठहराव समय तक ही रोक सकते हैं ट्रेन

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, लगेज की बुकिंग दो तरह से होती हैं। एक तो एसएलआर कोच जो कि लीज पर होता है। एक कोच में ब्0 टन माल ढोने का परमिशन होता है। दूसरा सामान्य बुकिंग रेलवे करता है। जिसका चार्ज दूरी और माल के वेट के आधार पर तय किया जाता है। ट्रेनों का जो ठहराव का समय होता है उसी समय में लगेज को उतारना और चढ़ाना पड़ता है। उससे अधिक समय तक ट्रेनों को नहीं रोक सकते हैं। यदि, ऐसा कोई करता है, तो उनके खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान हैं, लेकिन स्थानीय अधिकारी ट्रेन रोकने का अन्य कारण बता देते हैं।

कुत्ता-बिल्ली के लिए रोक सकते हैं

यदि, कोई जानवर जैसे कुत्ता, बिल्ली और मछली जा रही है, तभी ट्रेन को माल उतरने तक रोका जा सकता है। क्योंकि, ट्रेन के आगे रवाना करने और उनके वापस लौटने तक मरने का डर रहता है।

अक्सर इन ट्रेनों का ठहराव निर्धारित समय से अधिक

ट्रेन - ठहराव समय - रुकती हैं।

पंजाब मेल - भ् - 7-8 मिनट।

चंडीगढ़-लखनऊ - भ् - म्-7 मिनट।

अवध-आसाम - भ् - 7-9 मिनट।

जम्मूतवी-कोलकाता - भ् - म्-7 मिनट।

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नोट- मैक्सिमम लांग रूट की ट्रेनों का ठहराव अधिक होता है

बॉक्स मैटर

- ब्0 टन लगेज मैक्सिमम एक कोच लीज पर होता है।

- फ्0 लाख रुपए लगेज की बुकिंग से रेलवे को हर महीने प्राप्त होता है।

- भ् हजार रुपए पेनाल्टी अधिक लगेज होने पर।

- म् गुना चार्ज एक्स्ट्रा लगेज पर।

एक नजर

- ख्0 टन लगेज लीज के एसएलआर में रोजाना अनलोड होता हैं।

- क्ख् टन लगेज विदाउट लीज वाले एसएलआर में रोजाना अनलोड होता हैं।

- क्0 टन लगेज लीज वाले एसएलआर में रोजाना लोड होता हैं। करीब क्7 हजार रुपए रोजाना।

- 9 टन लगेज की बुकिंग सामान्य दिनों में रोजाना होती है। करीब 70 हजार रुपए का लगेज बुक हाेता है।

एसएलआर कोच लीज पर

बरेली आने वाली

- दिल्ली-बरेली पैसेंजर्स के ख् एसएलआर कोच लीज पर हैं। एक कोच भ्-भ् टन के हिसाब से लीज पर है।

- ऊना-हिमाचल एक्सप्रेस के ख् एसएलआर कोच लीज पर हैं। एक कोच भ्-भ् टन के हिसाब से लीज पर हैं।

बरेली से जाने वाली

- बरेली-वाराणसी एक्सप्रेस के ख् एसएलआर कोच लीज पर हैं। एक कोच ब्-ब् टन के हिसाब से लीज पर हैं। परडे क्भ्,ब्0ब् रुपए पर लीज।

लगेज के लिए ट्रेनों को अधिक देर तक नहीं रोका जाता है। यदि ऐसा कोई कर रहा है, तो गलत है। ट्रेन के ठहराव समय में ही लगेज उतारने और चढ़ाने का काम होता है। अधिक समय लगने पर ट्रेनों को रवाना कर दिया जाता है।

एएन झा, चीफ पार्सल सुपरवाइजर, जंक्शन

Posted By: Inextlive