नारद पुराण के अनुसार जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु ने दैत्य राज जलंधर की पत्नी वृन्दा का पतिव्रत धर्म भंग कर दिया था। इससे जलंधर कमजोर हो गया और देवताओं के साथ युद्ध में मारा गया।

कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराया जाता है। इस वर्ष तुलसी विवाह सोमवार, 19 नवम्बर 2018 को है। इस दिन शालिग्राम और तुलसी के विवाह के पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसमें इसके कारण का पता चलता है।
वृन्दा के श्राप से भगवान विष्णु हो गए शालिग्राम


नारद पुराण के अनुसार, जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु ने दैत्य राज जलंधर की पत्नी वृन्दा का पतिव्रत धर्म भंग कर दिया था। इससे जलंधर कमजोर हो गया और देवताओं के साथ युद्ध में मारा गया। जब वृंदा को इसी जानकारी हुई तो वृंदा ने भगवान विष्णु को पत्थर (शालिग्राम) होने और माता लक्ष्मी से वियोग होने का श्राप दिया।
इसलिए होता है तुलसी और शालिग्राम का विवाह


जब वृन्दा को पता चला कि उन्होंने तो भगवान को श्राप दे दिया है। इस पर भगवान विष्णु ने कहा कि मैंने तुम्हारा पतिव्रत धर्म भंग किया है, इसलिए मुझे इसका प्रायश्चित करना होगा। इस पर वृन्दा ने कहा कि मैं आपको अपने पति स्वरूप में पाना चाहती हूं।
फिर भगवान विष्णु ने कहा कि इसके लिए तुम्हें तुलसी के रूप में आना होगा। भगवान श्रीहरि के आर्शीवाद से वृन्दा तुलसी बन जाती हैं। फिर भगवान शालिग्राम से उनका विवाह होता है। तब से विष्णु जी के स्वरूप शालिग्राम की पूजा होने लगी। जगह—जगह देव उठनी एकादशी पर शालिग्राम और तुलसी विवाह संपन्न करवाए जाने लगे|
भगवान विष्णु तुलसी को अपने सिर पर धारण करते हैं। इसलिए श्रीहरि के पूजन में तुलसी का महत्व है।

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Posted By: Kartikeya Tiwari