मौनी अमावस्या को नित्यकर्म से निवृत्त हो स्नान करके तिल तिल के लड्डू तिल का तेल आँवला वस्त्र आदि का दान करना चाहिए। इस दिन साधु महात्मा तथा ब्राह्मणों के सेवन के लिए अग्नि प्रज्वलित करना चाहिए तथा उन्हे कम्बल आदि जाड़े के वस्त्र देने चाहिए-

माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 'मौनी अमावस्या' के नाम से प्रसिद्ध है, जो इस वर्ष सोमवार 4 फरवरी को पड़ रही है। मौनी अमावस्या के दिन सोमवार का योग होने से इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है। यह सोमवती अमावस्या के नाम से प्रसिद्ध है।

साथ ही साथ सोमवार को प्रात:7 बजकर 46 मिनट से सिद्धि योग लग रहा है। यह सफलतादायक शुभ योग है। इसमें किए गए शुभ कार्य सफल होते हैं। समस्त शुभ कार्यों के लिए यह योग उत्तम फलदायक होता है।

स्नान का विशेष महत्व

इस पवित्र तिथि पर मौन रहकर अथवा मुनियों के समान आचरण पूर्वक स्नान-दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन त्रिवेणी अथवा गंगातट पर स्नान-दान की अपार महिमा है।

ये वस्तुएं करें दान


मौनी अमावस्या को नित्यकर्म से निवृत्त हो स्नान करके तिल, तिल के लड्डू, तिल का तेल, आँवला, वस्त्र आदि का दान करना चाहिए। इस दिन साधु, महात्मा तथा ब्राह्मणों के सेवन के लिए अग्नि प्रज्वलित करना चाहिए तथा उन्हे कम्बल आदि जाड़े के वस्त्र देने चाहिए-

तैलमामलकाश्चैव तीर्थे देयास्तु नित्यशः।

ततः प्रज्वालयेद्वह्निं सेवनार्थे द्विजन्मनाम्।।

कम्बलाजिनरत्नानि वासांसि विविधानि च।

चोलकानि च देयानि प्रच्छादनपटास्तथा।।

इस दिन गुड़ में काला तिल मिलाकर लड्डू बनाना चाहिए तथा उसे लाल वस्त्र में बाँधकर दान देना चाहिए। स्नान-दान आदि के अतिरिक्त इस दिन पितृ-श्राद्धादि करने का भी विधान है।

सोमवती अमावस्या पर सौभाग्य वृद्धि


सोमवती अमावस्या होने से पीपल वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करने के बाद विधान पूर्वक षोडशोपचार पूजन करनी चाहिए। स्त्रियों को सौभाग्य वृद्धि हेतु प्रदक्षिणा करनी चाहिए।

— ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र

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Posted By: Kartikeya Tiwari