अमरीका में स्‍िथत मानवाधिकार समूह सिख फॉर जस्टिस एसएफजे ने भारत में हुए सिख विरोधी दंगे को संयुक्‍त राष्‍ट्र में उठाने की बात कही है. कहा जा रहा है कि बीते दिनों वर्ष 1984 में हुए दंगे को होम मिनिस्‍टर राजनाथ सिंह ने नरसंहार कहा था. इसके बाद से अंतरराष्‍ट्रीय सिख संगठनों को मौका मिल गया है और वे इसे मुद्दा बना रहे हैं.


गृहमंत्री के बयान के बाद उठा मामलाअमरीका में सिखों के न्याय के लिए लड़ने वाली मानवाधिकार समूह सिख फॉर जस्टिस एसएफजे ने भारत में हुए 1984 के दंगे के मामले में इंटरफेयर किया है. समूह ने इस बात का ऐलान किया है कि वह इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में उठाएगी. समूह के कानूनी सलाहकार गुरपतवंत सिंह पन्नून ने बताया कि एसएफजे 2015 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा में 1984 के दंगों को नरसंहार करार देने के लिए प्रस्ताव पारित करने की अपील करेगा. इसमें इजरायल, आर्मेनिया, बोस्निया और रवांडा जैसे नरसंहार पीडित देश शामिल होंगे. हालांकि यह मामला भारत से ही उठाया गया है. बीते दिनों दिल्ली में भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस दंगे को नरसंहार कहा था. जिसके बाद से अब दुनिया भर के सिख संगठन इसके खिलाफ एकजुट हो रहे हैं.हजारों की संख्या में मारे गए थे सिख
सूत्रों की माने तो पिछले 30 वर्षो में पहली बार सात नवंबर को न्यूयार्क में स्थित मानवाधिकार के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायोग ने 1984 के दंगा पीडितों का बयान लिया था. जिसमें एसएफजे ने नवंबर 1984 सिख नरसंहार शीर्षक से 30 पेजों की रिपोर्ट सौंपी थी. गौरतलब जब 31 अक्टूबर 1984 को भारत की तत्कालीन पीएम श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या किए के बाद देशभर में भड़के सिख विरोधी दंगों में हजारों निर्दोष सिखों को मौत के घाट उतार दिया गया था. एक अनुमान के मुताबिक पूरे देश में करीब 10 हजार सिखों को बेरहमी से कत्ल कर दिया गया था, जिनमें 2500 से ज्यादा सिख तो देश की राजधानी दिल्ली में मारे गए थे. एक आंकड़े के मुताबिक अकेले दिल्ली में करीब 3000 सिख बच्चों, महिलाओं और बड़ों को मौत के घाट उतार दिया गया था.

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Posted By: Satyendra Kumar Singh