DEHRADUN: सिख हमेशा से ही अपनी खुशमिजाजी और जिंदादिली के लिए जाने जाते हैं. वहीं हिंदी मूवीज में भी जॉली पर्सनैलिटी के जरिए पेश किया जाता रहा है. ऐसे ही हाल के दिनों में आई कुछ हिंदी फिल्म्स में सिख को सुपर हीरो की इमेज दी गई है. अपनी पगड़ी को 'साड्डा मान ते साड्डी शानÓ कहने वाली इस कौम की संख्या भले ही देश में कम है लेकिन पंजाबियों की शान इसी पगड़ी की वजह से है. अपनी इस शान को सिख कौम के युवाओं में प्रमोट करने के लिए सिटी के सिख समुदाय के ऐसे ही कुछ युवा आगे आए हैं. जो जल्द ही एक टर्बन क्लीनिक तैयार किया जा रहा है जहां यंग सिखों के सामने पगड़ी को कुछ अलग ही अंदाज में प्रमोट किया जा रहा है. टर्बन क्लीनिक मुख्य तौर पर टर्बन प्राइड मूवमेंट का एक खास हिस्सा है. जिसे साल 2005 में शुरू किया गया था. इस ही मूवमेंट के तहत सिखों की पहचान कहे जाने वाली पग को लेकर कई ऐसी अलग-अलग पहल की गई जो उनकी पगड़ी के महत्व को लोगों के बीच ज्यादा से ज्यादा प्रमोट कर सके. इसके तहत सबसे पहले मिस्टर सिंह इंटरनेशनल कॉम्पिटीशन को इंट्रोड्यूस किया गया. यह उन सिख ब्वॉयज को प्लेटफार्म देता है जो सही मायनों में पगड़ी को रेग्यूलरली पहनते हैं. इस कॉम्पिटीशन में लगातार सिख ब्वॉयज के बीच बढ़ते हुए क्रेज को देखते हुए इस ही तरह की कई वर्कशॉप्स भी ऑर्गनाइज की गई जहां पगड़ी के धार्मिक महत्व को लोगों तक पहुंचाया जा सके.


टर्बन प्रमोशन की ये मुहिम सिर्फ वोकल ही नहीं बल्कि हाईटेक तरीके से भी छेड़ी गई है। जिसके तहत इन्हीं सिख युवाओं के द्वारा एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है, जो टर्बन की कई वैरायटी को आप तक पहुंचाता है। स्मार्ट टर्बन सॉफ्टवेयर के नाम से जाना जाने वाला यह सॉफ्टवेयर टर्बन की कई अलग-अलग डिजायन के साथ इंस्टॉल किया गया है। साथ ही इसमें यूजर अपनी फोटो अपलोड कर सकता है और हर एक डिजाइन को खुद पर ट्राई भी कर सकता है। ये सॉफ्टवेयर ड्डश्चद्मद्घ.ठ्ठद्गह्ल  की साइट पर अपलोड है। जिसे इजली स्टाइलिश टर्बन की चाह रखने वाले युवा यूज कर सकते हैं।
टर्बन क्लीनिक पूरी तरह से टर्बन प्राइड मूवमेंट के तहत किया जा रहा एक प्रयास है। जिसे अकाल पूरख की फौज द्वारा शुरू किया गया था। अब तक ये टर्बन क्लीनिक अमृतसर, लुधियाना, यूके, मलेशिया, दिल्ली जैसी जगहों में वर्क कर रहे हैं। वेस्ट यूपी और उत्तराखंड में इस संगठन के रिप्रजेनटेटिव देवेंद्र पाल सिंह का कहना है, कि टर्बन क्लीनिक के जरिए स्कूल्स, लोकल सिख यूथ को सिखों में पग के महत्व के बारे में बताने के साथ ही उसे स्टाइल के साथ प्रमोट किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट में सिख ब्वॉयज और गल्र्स दोनों ही इनवॉल्व हैं। साथ ही हम एक हेल्प लाइन भी जारी करेंगे जो किसी भी खास ओकेजन पर पगड़ी बंधवाने के लिए हमें अप्रोच कर सकते हैं। इसके साथ ही सिटी के स्कूल्स में भी हम ऐसे नियम को मस्ट करने के लिए बातचीत कर रहे हैं। जहां सेवेंथ या एट्र्थ क्लास के बाद सिख स्टूडेंट्स को पगड़ी पहनना कंपल्सरी हो जाए। सिख पगड़ी को पारंपरिक भाषा में दस्तर ओर दुमाला के नाम से जाना जाता है। खालसा सिखों के बीच पगड़ी को पहनना धार्मिक तौर पर जरूरी माना गया है। सिख समुदाय के 10वें गुरू गोविंद सिंह जी द्वारा सिखों में पगड़ी पहनना कंपल्सरी किया गया है। धार्मिक दृष्टि से इसे पहनने के कई कारण हैं, जिसमें सबसे प्रमुख सिख समुदाय की सबसे अलग पहचान, अपने गुरुओं के प्रति आदर की भावना का परिचायक, बालों को गंदगी से बचाना और समुदाय के लोगों के बीच समानता और एकता के संदेश का संचार करना है।  


सिख पगड़ी को पारंपरिक रूप से छह तरह से बांधा जाता है। जिसमें, सबसे कॉमन 6 मीटर पगड़ी के कपड़े वाली डबल पट्टी नोक, दूसरी चंद तोरा धमाला जिसे खास तौर पर निहांग सिख पहनते हैं। फिर तीसरी अमृतसर धमाला जो 5 मीटर नीले कपड़े की होती है। चौथी बेसिक धमाला है, ये सबसे कॉन धमाला सिक्ख टर्बन है, जो अखंड सिख जत्था के युवाओं में पहनी जाती है। पांचवीं जनरल सिख टर्बन, जो सात राउंड वाली 7 मीटर लंबी बांधी जाती है। छठी केसकी टर्बन, ये अधिकतर पीले रंग में यंग ब्वॉयज पहनते हैं। इस पगड़ी को सिख गल्र्स भी पहनती हैं। सिर्फ ब्वॉयज ही नहीं बल्कि सिख धर्म में गल्र्स को भी पगड़ी पहनने का पूरा हक दिया गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार अगर सिख गर्ल चाहे तो वो पुरुष की तरह केसकी पगड़ी बांध सकती हैं। देवेंद्र पाल सिंह बताते हैं कि उनके टर्बन क्लीनिक प्रोजेक्ट में वो गल्र्स भी शामिल हैं, जो आमतौर पर पगड़ी पहनती हैं। क्योंकि हमारे रिलिजन में पुरुष और महिला को बराबर का दर्जा दिया गया है। तो महिलाएं भी इसे पहन सकती है।सिख क्लीनिक की पहल उत्तराखंड और वेस्ट यूपी में रहने वाले सिख समुदाय के युवाओं के लिए की गई है। जो आज के फैशन में इसे परहेज कर रहे हैं। ऐसे में अपनी आइडेंटी को एक डिफरेंट अंदाज में कैरी करने के लिए इस प्रयास को फॉलो किया जा रहा है। -देवेंद्र पाल सिंह, रिजनल रिप्रजेनटेटिव, अकाल पुरख की फौज

Posted By: Inextlive