'नमन' की दूसरी शाम को हरिहरन ने अपने गजलों से बनाया खास

अप्पा जी की फरमाइश पर उन्होंने पेश की बेहतरीन गजलें

VARANASI: संगीत की महफिल सजे और मंच से प्रख्यात शास्त्रीय गायक गिरिजा देवी और हरिहरन सुरों की वर्षा करें तो शायद ही कोई ऐसा होगा जो खुद को इस संगीत रसवर्षा में अपने को भीगने से रोक पाये। ऐसा ही कुछ शनिवार को महमूरगंज स्थित रमन निवास में हुआ। यहां हरिहरन ने अपनी गायकी से लोगों का दिल चुरा लिया। लोगों को भीगने में कुछ ऐसा मजा मिला कि सूखने की उनकी चाहत ही खत्म होती दिखी। मौका था गिरिजा देवी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में आयोजित संगीत संध्या 'नमन' के दूसरे दिन का। एक तो खुद अप्पा जी और उस पर से हरिहरन जैसे गायक की मंच पर मौजूदगी ने कार्यक्रम को यादगार बना दिया। अप्पा ने पहले फिर बाद में हरिहरन ने अपने सधे गले का जादू बिखेरा। अप्पा जी के फरमाइश पर हरिहरन गाते रहे और लोग सुध-बुध खोकर उनकी गायकी का लुत्फ उठाते रहे। हरिहरन ने अपने कार्यक्रम की शुरुआत दाग दहेलवी की गजल उज्र आने में भी हैं और बुलाते भी नहीं से की। उसके बाद उन्होंने अप्पा जी की फरमाइश पर दूर है मंजिल राह है मुश्किल सुना कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है, काश आसां कोई मंजर होता, मरीज ए इश्क का क्या है जिया जिया न जिया सुनाकर उन्होंने रसिक जनों को संगीत रस के अनंत सागर की गहराइयों से परीचित कराया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के गणमान्य लोग उपस्थित थे।

Posted By: Inextlive