गजल गायिकी के लायक फिल्में नहीं बनती: हरिहरन

तू ही रे, चप्पा-चप्पा चरखा चले, ये तो सच है कि भगवान हैं गाकर लोगों के चहेते बने हरिहरन वैसे तो किसी पहचान के मोहताज नहीं है। फिल्मों की जगह लाइव कंसर्ट और अपने एल्बम पर ज्यादा ध्यान देते हैं। अबतक उनके 30 एल्बम आ चुके हैं। देश विदेशों में अपनी गजलों का जादू चलाने वाले हरि हरन लखनऊ महोत्सव में परफॉर्म करने आये तो उन्होंने गजल और शहर से जुड़ी कई बातें शेयर की। उन्होंने बताया कि फिल्मों में अब गजलों का दौर नहीं है .ऐसा कहना गलत है क्योकि हकीकत में गजलों के लायक फिल्में ही नहीं बन पा रही हैं। गजल पोएट्री का फॉरमेट है। बिना कहानी के फिल्मों में गजल का कोई मतलब नहीं होता। इसके अलावा उन्होंने कहा कि बॉलीवुड का दायरा बहुत बड़ा है। उसके अपेक्षा यूटयूब अभी बच्चा है। उसके यूजर बहुत ही कम है। शहर के बारे में बात करते हुए वह बोले कि वो अक्सर शहर आया करते हैं। महोत्सव में सत्तर और नब्बे के दश्क से आ रहे हैं। यहां पर बहुत ही बदलाव हो गया है। पहले पांच हजार ही लोग आते थे। आज लाखों की संख्या में आते हैं। शहर में परफॉर्म करना इसलिए अच्छा लगता है क्योकि यहां के लोगों को क्लासिकल की समझ है। क्लासिकल को सुनने वालों की कमी नहीं है।

Posted By: Inextlive