शहर से सटे भमोरा में लंबे समय से सिंथेटिक दूध बनाकर बरेलियंस को सप्लाई किया जा रहा है.

- नकली दूध बनाने वाले 25 पैकेट के साथ एक आरोपी को किया गिरफ्तार

- खाद्य अधिकारियों ने दूध पाउडर के पैकेट जांच के लिए भेजे, रिपोर्ट आने पर होगी कार्रवाई

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BAREILLY : शहर से सटे भमोरा में लंबे समय से सिंथेटिक दूध बनाकर बरेलियंस को सप्लाई किया जा रहा है. अंजान बरेलियंस सेहत बनाने के चक्कर में मजे से सिंथेटिक दूध पी रहे हैं और धीरे-धीरे कई घातक बीमारियों को अपने अंदर पाल रहे हैं. मंडे को एसडीएम विशु राजा के निर्देशों पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी सोमनाथ कुशवाहा की टीम ने भमोरा तिराहे पर थाना दातागंज क्षेत्र के ग्राम बराही के राकेश पुत्र बुद्धपाल को ड्रम में 25 दूध पाउडर के पैकेट ले जाते हुए पकड़ा. पूछताछ में आरोपी ने बताया कि पाउडर का इस्तेमाल नकली दूध बनाने के लिए होता है. वह एक पैकेट 300 रुपये में बेचता है. एक पैकेट में 15 लीटर दूध तैयार होता है. साथ ही एक पैकेट में 3 किलो पनीर भी तैयार होता है. दूध 40 रुपये किलो तथा पनीर 250 रुपये किलो तक बिकता है.

जांच के लिए भेजे जाएंगे नमूने
खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि दूध के नमूने ले लिए हैं. इन्हें जांच के लिए भेजा जाएगा. रिपोर्ट के बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी. पूरे क्षेत्र में अवैध दूध का धंधा बड़े पैमाने पर चल रहा है. अब पाउडर से पनीर, खोया व दूध बनाकर मिठाइयां तक बेची जाती हैं, जिस विभाग की जिम्मेदारी है, वह कार्रवाई के लिए एसडीएम के निर्देशों का इंतजार करते हैं.

बरेली में दूध की कई मंडियां
शहर में दूध की कई मंडियां हैं. डेलापीर, कुतुबखाना, बानखाना, सुभाषनगर, नकटिया में दूध की मंडियां लगती हैं. यहां एक मंडी में प्रतिदिन दो-तीन सौ कुंतल दूध पहुंचता है. सुबह सात बजे से दस बजे मंडी में दूध बिकता है. मिठाई व्यापारी, कैटरिंग संचालक दूध को खरीदते हैं.

ऐसे बनता है नकली दूध
ग्लूकोज, इजी, रिफाइंड, सफेद पाउडर और मिल्क पाउडर में थोड़ा दूध डालकर मिलाकर उसे पेस्ट जैसा बना लिया जाता है. इसके बाद सफेद पेस्ट में पानी मिलाकर नकली दूध तैयार कर लिया जाता है.

दोगुना मुनाफा
एक लीटर नकली दूध तैयार करने पर बमुश्किल 13 से 16 रुपये तक खर्चा आता है. दूधिये बाजार और घरों में यह सिंथेटिक दूध 25 से 36 रुपये तक में बेचते हैं. भैंस का असली दूध गांवों में 25 से 30 रुपये किलो मिलता है. शहर में दूधिए इसे 35 से 40 रुपये किलो बेचते हैं. हालांकि इसमें भी पानी की मिलावट होती है.

मोटी मलाई से खुश न हों
दूधियों के जरिए सिंथेटिक दूध की होटलों, चाय की दुकानों और आसपास के इलाकों और शहर में घरों पर भी सप्लाई होती है. रिफाइंड मिला होने की वजह से असली के मुकाबले नकली दूध में ज्यादा चिकनाई होती. उबालने पर मलाई भी मोटी आती है. डेरी चलाने वाले संतोष ने पूछताछ में क्राइम ब्रांच को बताया कि नकली दूध में असली दूध से अधिक क्रीम निकलती है. खुशवीर ने बताया कि उसके यहां से दर्जनों दूधिए दूध खरीदकर शहर में सप्लाई करते हैं. रिठौरा के खाता मोहल्ले में 90 प्रतिशत लोग एक ही बिरादरी के हैं. इनमें करीब 70 प्रतिशत लोग दूध का कारोबार करते हैं.

गर्मी में दूध की खपत ज्यादा
शहर में रोज दूध की औसत सप्लाई लगभग डेढ़ लाख लीटर है. गर्मी में दूध की खपत बढ़ने से डिमांड 25 हजार लीटर तक बढ़ जाती है. अनुमान के मुताबिक इन दिनों मांग के सापेक्ष दूध का उत्पादन 60 हजार लीटर तक कम है. इसकी भरपाई मिलावट और सिंथेटिक दूध से ही की जा रही है.
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300 रुपये में बेचा जाता है एक पैकेट

15 लीटर दूध तैयार होता है एक पैकेट में

03 किलो पनीर भी तैयार होता है एक पैकेट में

40 रुपये किलो बिकता है नकली दूध

250 रुपये किलो बिकता है पनीर

ये है शहर में दूध की खपत

-15 हजार लीटर पराग डेयरी, मदर डेयरी और अन्य डेयरियों से

-55 हजार लीटर शहर की 403 निजी डेयरियों से

-20 हजार लीटर दूध दूधियों के जरिए

Posted By: Radhika Lala