आम लोगों की शिक़ायतें सुनने और उन्हें दूर करने के इरादे से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने मंत्रियों के साथ शनिवार को पहला जनता दरबार लगाया.


मगर पहले ही दिन सचिवालय में लगे जनता दरबार में पहुंचे सैकड़ों लोगों को संभालना पुलिस के लिए मुश्किल हो गया. इस वजह से भगदड़ होते-होते बची. केजरीवाल से मिलने की उम्मीद लिए लोगों ने बैरीकेड्स तोड़ दिए.इन हालात में मुख्यमंत्री केजरीवाल को दरबार बीच में ही छोड़कर जाना पड़ा.मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा, ''हमें इतनी भीड़ का अंदाज़ा नहीं था. भीड़ बेकाबू हो गई थी.''उन्होंने माना कि सरकारी व्यवस्थाओं में कहीं न कहीं कमी रही जिसे आगे ठीक से करना होगा.केजरीवाल ने बताया, ''आज तो एकदम से तूफ़ान आ गया. मेरी कुर्सी और मेज़ पर लोग चढ़ गए थे. इनमें से बहुत से ऐसे लोग थे, जो बधाई देने आए थे. और अगर मैं वहां से नहीं निकलता, तो भगदड़ की आशंका थी. कोई कुचला न जाए. इसलिए मैं घबरा गया और मुझे निकलना पड़ा.'''70% समस्याएं सरकारी कर्मियों की'


जनता दरबार में पहुंचे ज़्यादातर लोगों में वो थे, जो या तो दिल्ली सरकार के कर्मचारी हैं या फिर वहां से सेवानिवृत्त हो चुके हैं. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने माना कि सरकारी कर्मचारी सबसे ज़्यादा परेशान दिखे.

उन्होंने बताया, ''हालांकि मेरे पास कोई सही आंकड़ा नहीं है, मगर मुझे लगा कि 70 फ़ीसदी से ज्यादा दिक़्क़तें मेरे पास सरकारी कर्मचारियों की आईं. दूसरे नंबर पर लोग पानी और तीसरे बिजली की समस्याएं लेकर आए.''इनके अलावा बहुत से लोग जो जनता दरबार में पहुंचे, वे सरकारी दफ़्तरों में अस्थायी कर्मचारी के बतौर काम कर रहे हैं.केजरीवाल का कहना है कि उनकी समस्याएं एक दिन में हल नहीं हो सकतीं, मगर सरकार उन्हें प्राथमिकता के आधार पर देख रही है.केजरीवाल के मुताबिक़, ''अस्थायी कर्मचारियों को मैं समझा रहा हूं और वो समझ भी रहे हैं. मगर वो मिलने ज़रूर आते हैं. घर पर भी मिलते हैं और यहां भी मिलते हैं.''व्यवस्थाएंमुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शिक़ायतों को पांच अलग-अलग श्रेणियों में बांटा था.जनता दरबार को देखते हुए आईटीओ से राजघाट का रास्ता बंद रखा गया था.जनता दरबार की अवधि दो घंटे बताई गई थी पर शिक़ायतों की तादाद और भगदड़ की आशंका को देखते हुए उसे टालना पड़ा.अगला जनता दरबार कब तक होगा, अभी इस बारे में सरकार ने कोई फ़ैसला नहीं किया है.केजरीवाल ने बताया, ''मुझे लगता है कि दो-तीन दिन रुकना पड़ेगा. जगह कौन सी ठीक रहेगी, यह भी देखना होगा. अरेंजमेंट्स थोड़े और दुरुस्त करने की ज़रूरत है.''

Posted By: Subhesh Sharma