आगरा। सरकार के तमाम निर्देशों और दावों के बाद भी सूबे की सड़कें बदहाल हैं। यातायात निदेशालय द्वारा दिया गया आरटीआई का जवाब इसकी तस्दीक करता है। निदेशालय द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़ों पर गौर करें तो छह से अधिक लोग हर दिन अपनी जान बदहाल सड़कों के चलते गंवाते हैं। ऐसे में प्रदेशभर में चलाए गए गड्ढामुक्त अभियान की सफलता सवालों के घेरे में है।

आरटीआई के जवाब से हुआ खुलासा

हाल ही में सड़क सुरक्षा से जुड़े बिन्दुओं पर सूचना अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई। जिस पर यातायात निदेशालय द्वारा मुहैया कराई गई जानकारी में बताया गया कि बदहाल सड़कों की वजह से गत वर्ष 4,286 हादसे हुए, जिसमें 2,275 लोगों की मौत हो गई। अगर प्रत्येक दिन का अंाकड़ा निकाला जाए तो रोज करीब छह लोगों ने खस्ताहाल सड़क के चलते जान गंवाई।

जिले की बदहाल स्थिति

जिले की सड़कों की हालत भी दयनीय है। शहर के अन्दर और बाहर लिंक रोड की बदहाली अभी तक नहीं सुधर सकी है। बारिश से खराब हुई सड़कों की मरम्मत कराई जानी थी, लेकिन अभी तक खराब सड़कों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो सका है। नगर निगम ने 100 करोड़ का प्रस्ताव खराब सड़कों के दुरुस्तीकरण के लिए बनाया था। इसके अलावा पीडब्ल्यूडी द्वारा भी करोड़ों रुपये से सड़कों को बनाया जाना था, लेकिन उन पर कार्य शुरु नहीं हो सका है।

आवारा जानवरों के चलते हुई 355 की मौत

यातायात निदेशालय के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में अवारा जानवरों से गत वर्ष में 622 सड़क हादसे हुए, जिसमें 355 लोगों की मौत हो गई। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर अब तक अवारा मवेशियों के चलते कई हादसे हो चुके हैं। इसमें दो फरवरी 2018 को एक व्यक्ति की मौत हो गई। 21 फरवरी को हादसे में एक की मौत, 30 मार्च 2018 को दो लोगों की मौत तीन गंभीर रुप से घायल, पांच अप्रैल को एक व्यक्ति की मौत, 14 अप्रैल को एक व्यक्ति की मौत हो गई। हादसे में एक व्यक्ति घायल हो गया। नौ मई को हादसे में दो घायल हो गए। एक जून 2018 को एक सिपाही की मौत, आठ जून 2018 को दो की मौत, 19 जून को हादसे में एक घायल हो गया। 15 अक्टूबर 2018 को हादसे में चार की मौत पांच घायल हो गए।

तकनीकी जांच के बाद दौड़ें वाहन

सड़क सुरक्षा विधेयक मसौदा में इस बात पर जोर दिया गया था कि तकनीकी जांच के बाद ही वाहन को सड़क पर चलाने की अनुमति प्रदान करनी चाहिए। हालांकि आरटीओ ऑफिस द्वारा वाहनों का फिटनेस सर्टिफिकेट जारी किया जाता है। उसमें जांच के नाम पर औपचारिकता की रस्म अदायगी भर की जाती है। इसमें तकरीबन 24 बिन्दुओं पर जांच होनी चाहिए, लेकिन हकीकत में जांच नहीं होती है।

Posted By: Inextlive