सियासी संग्राम का अखाड़ा बनेगी राजधानी
- पुलिस और प्रशासन के लिए होगी बड़ी चुनौती
LUCKNOW: इलेक्शन करीब है। सियासी बिसात बिछ चुकी है। अखाड़ा लखनऊ ही बनेगा यह भी तय है। अब देखना दिलचस्प होगा कि इस अखाड़े में कौन किसे पछाड़ेगा। पहला राउंड बीएसपी के हक में कहा जा रहा है जब बीजेपी ने डेथ गोल के जरिये उसे बढ़त बनाने का मौका दिया। वहीं मैदान में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए कांग्रेस भी हाथ पांव मार रही है। यह उसने हजरतगंज में मौन प्रदर्शन कर जाहिर किया। इलेक्शन से पहले और कितने प्रदर्शन होंगे यह तो वक्त बतायेगा, लेकिन इसे लेकर पुलिस के हाथ पांव फूल रहे हैं। पुलिस की मुश्किलें बढ़ींपुलिस के स्ट्रेस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अधिकारी एक ड्यूटी पूरी कर घर पहुंच नहीं पाते कि उन्हें दूसरी ड्यूटी के लिए लगा दिया जाता है। मंगलवार को गोमतीनगर के विनीत खंड में तनाव के बाद मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारियों की वहां तैनाती गयी थी। बुधवार की रात जब बीएसपी ने प्रदर्शन का एलान किया तो आनन फानन में कुछ अधिकारियों की ड्यूटी हजरतगंज में लगा दी गयी। प्रदर्शन सुबह नौ बजे से होना था लेकिन अधिकारियों को सुबह छह बजे ही पहुंचने के निर्देश दिये गये थे।
पिछले चुनाव की हो रही पुनरावृत्ति
याद कीजिए 2011 में जब समाजवादी पार्टी ने प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। मार्च 2011 के बाद से इलेक्शन तक आये दिन लखनऊ के अलग अलग हिस्सों में धरना और प्रदर्शन सपा, बसपा और कांग्रेस की ओर से होते रहे। अब पांच साल बाद फिर वही नौबत है। धरना और प्रदर्शन का दौर शुरू हो चुका है। बीएसपी और कांग्रेस ने बुधवार को धरना दिया। सूत्रों का कहना है कि रणनीति तैयार कर बीजेपी भी जल्द ही लखनऊ में एक बड़ा प्रदर्शन करेगी। संयम बनाये रखना होगा चैलेंज सबसे बड़ा चैलेंज पुलिस के सामने होगा। बुधवार को बसपा के प्रदर्शन के दौरान एक ट्रैफिक सिपाही एक बसपा वर्कर से भिड़ गया। सिपाही का आरोप था कि बसपा वर्कर उसे गालियां दे रहा था। हालांकि मौके पर मौजूद इंस्पेक्टर हजरतगंज विजयमल यादव की सूझबूझ से मामला तूल पकड़ने से पहले ही शांत हो गया। उन्होंने दोनों को अलग किया वरना एक और मुद्दा सपा सरकार के खिलाफ भी बीएसपी को बैठे बिठाये मिल जाता। ऐसे में आने वाले दिनों में अगर थोड़ी सी भी चूक पुलिस या प्रशासन के अधिकारियों से हुई तो विपक्ष मुद्दा बनाने में देर नहीं करेगा।